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सिद्धारमैया ने वीरशैव-लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा के प्रयास पर पछतावे से इंकार किया

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Published : Aug 21, 2022, 10:30 AM IST

Updated : Aug 21, 2022, 2:41 PM IST

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने कार्यकाल के दौरान वीरशैव-लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने से संबंधित कदम पर किसी पछतावे से शनिवार को इनकार किया. एक दिन पहले एक महंत ने दावा किया कि कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर अपने को कसूरवार मानते हैं.

सिद्धरमैया ने वीरशैव-लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा के प्रयास पर पछतावे से इंकार किया
सिद्धरमैया ने वीरशैव-लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा के प्रयास पर पछतावे से इंकार किया

बेंगलुरु : कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने कार्यकाल के दौरान वीरशैव-लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने से संबंधित कदम पर किसी पछतावे से शनिवार को इनकार किया. एक दिन पहले एक महंत ने दावा किया कि कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर अपने को कसूरवार मानते हैं. सिद्धारमैया ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा कि नहीं, मैंने ऐसा (पछतावा पर) कुछ नहीं कहा. मैंने बस ये बताया कि क्या हुआ था. मैंने उन्हें (महंत) बताया कि हमने वीरशैव-लिंगायत को वह दर्जा देने की योजना बनाते समय क्या किया था.

पढ़ें: गुजरात में दो कैबिनेट मंत्रियों को उनके विभागों से हटाया गया

सिद्धारमैया ने कहा कि वह धार्मिक मामलों पर बहुत ध्यान नहीं देते. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दावणगेरे दक्षिण के विधायक शमनरु शिवशंकरप्पा ने उन्हें (सिद्धारमैया) वीरशैव-लिंगायत धर्म बनाने के लिए एक ज्ञापन सौंपा था. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले जब राज्य सरकार ने वीरशैव-लिंगायत संप्रदाय को हिंदू धर्म से अलग करके एक अलग धर्म का दर्जा देने की कोशिश की तो उनकी आलोचना हुई.

पढ़ें: तेलंगाना के मुनुगोड़े में उप चुनाव से पहले आज जनसभा को संबोधित करेंगे अमित शाह

चुनाव में, कांग्रेस ने सत्ता खो दी और त्रिशंकु विधानसभा हो गई क्योंकि पार्टी को खंडित जनादेश मिला था. शुक्रवार को, चिक्कमंगलुरु में बालेहोन्नूर स्थित रंभापुरी मठ के प्रसन्न वीरसोमेश्वर शिवाचार्य स्वामी ने कहा कि सिद्धरमैया को अपने कदम के लिए अफसोस है. स्वामी ने कहा कि जब वह (सिद्धरमैया) राज्य के मुख्यमंत्री थे, तो आरोप लगे थे कि वह वीरशैव-लिंगायत संप्रदाय को विभाजित करने के प्रयास का समर्थन कर रहे थे. आज, उन्होंने अपने मन की बात कह दी. स्वामी ने कहा कि उन्होंने (सिद्धरमैया) मुझसे कहा-मैंने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया, लेकिन कुछ लोगों ने मुझे गुमराह करने की कोशिश की. मुझे इसके लिए पछतावा है.

बेंगलुरु : कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने कार्यकाल के दौरान वीरशैव-लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने से संबंधित कदम पर किसी पछतावे से शनिवार को इनकार किया. एक दिन पहले एक महंत ने दावा किया कि कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर अपने को कसूरवार मानते हैं. सिद्धारमैया ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा कि नहीं, मैंने ऐसा (पछतावा पर) कुछ नहीं कहा. मैंने बस ये बताया कि क्या हुआ था. मैंने उन्हें (महंत) बताया कि हमने वीरशैव-लिंगायत को वह दर्जा देने की योजना बनाते समय क्या किया था.

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सिद्धारमैया ने कहा कि वह धार्मिक मामलों पर बहुत ध्यान नहीं देते. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दावणगेरे दक्षिण के विधायक शमनरु शिवशंकरप्पा ने उन्हें (सिद्धारमैया) वीरशैव-लिंगायत धर्म बनाने के लिए एक ज्ञापन सौंपा था. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले जब राज्य सरकार ने वीरशैव-लिंगायत संप्रदाय को हिंदू धर्म से अलग करके एक अलग धर्म का दर्जा देने की कोशिश की तो उनकी आलोचना हुई.

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चुनाव में, कांग्रेस ने सत्ता खो दी और त्रिशंकु विधानसभा हो गई क्योंकि पार्टी को खंडित जनादेश मिला था. शुक्रवार को, चिक्कमंगलुरु में बालेहोन्नूर स्थित रंभापुरी मठ के प्रसन्न वीरसोमेश्वर शिवाचार्य स्वामी ने कहा कि सिद्धरमैया को अपने कदम के लिए अफसोस है. स्वामी ने कहा कि जब वह (सिद्धरमैया) राज्य के मुख्यमंत्री थे, तो आरोप लगे थे कि वह वीरशैव-लिंगायत संप्रदाय को विभाजित करने के प्रयास का समर्थन कर रहे थे. आज, उन्होंने अपने मन की बात कह दी. स्वामी ने कहा कि उन्होंने (सिद्धरमैया) मुझसे कहा-मैंने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया, लेकिन कुछ लोगों ने मुझे गुमराह करने की कोशिश की. मुझे इसके लिए पछतावा है.

Last Updated : Aug 21, 2022, 2:41 PM IST
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