कोलकाता : शुभेंदु अधिकारी ने आज हल्दिया में एक रैली की. वहां उन्होंने कहा कि शुभेंदु अधिकारी किसी भी पद पर नहीं है. मंत्रालय छोड़ने के बाद लोग मेरी रैली में आए. लोगों को टीएमसी, भाजपा, सीपीआई (एम) यहां नहीं लाए हैं. यह लोगों के साथ मेरा आध्यात्मिक रिश्ता है, जो लोग आए हैं. सतीश सामंता के जन्मदिन के अवसर पर शुभेंदु अधिकारी ने हल्दिया हेलीपैड ग्राउंड में रैली कर अपनी ताकत दिखाई. शुभेंदु लंबे समय से तृणमूल कांग्रेस के साथ दूरी बनाए हुए हैं. उन्होंने पहले ही मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया है. दादर अनुगामी के सूत्रों के मुताबिक वह आज विधायक का पद छोड़ सकते हैं. वह दोपहर 12.30 बजे के करीब अपने कांति निवास से कोलकाता के लिए रवाना हो चुके हैं.
पहली पहचान भारतीय, फिर बंगाली
मंत्रालय छोड़ने से पहले भी शुभेंदु ने विभिन्न स्थानों पर विभिन्न राजनीतिक बैनरों के तहत रैली की थीं. मंत्रालय से इस्तीफा देने के बाद से विभिन्न स्थानों पर गैर राजनीतिक रैलियां की हैं. हालांकि, इनमें उन्होंने कोई राजनीतिक संदेश नहीं दिया. आज भी उन्होंने ऐसा ही किया. सबसे पहले उन्होंने सतीश सामंता के जीवन और आदर्शों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सतीश सामंता को उचित सम्मान नहीं दिया गया. इसके अलावा, उन्होंने हल्दिया बंदरगाह का नाम सतीश सामंता के नाम पर करने की इच्छा व्यक्त की. शुभेंदु ने कहा कि मैं चाहे किसी भी पद पर रहूं, पहली पहचान भारतीय है. फिर बंगाली. गांवों और जिलों में अगली लड़ाई जीतेंगे. उन्होंने कहा कि वह सतीश सामंता के रास्ते पर चलेंगे.
ममता पर बिना नाम लिए किया हमला
शुभेंदु ने ममता बनर्जी पर भी नाम लिए बिना हमला किया. शुभेंदु ने कहा कि मैं व्यक्तिगत हमलों में विश्वास नहीं करता हूं. उच्च पदों पर बैठे कई लोगों ने मुझ पर हमला किया है, लेकिन कोई भी मुझे रोक नहीं सकता है. मुझे यहां भी आने से रोका गया. मुझ पर हमला किया गया लेकिन माताओं का आशीर्वाद मुझे सही जगह पर लेकर आया है.
यह भी पढ़ें: ममता की दो टूक- जो नेता विपक्ष के संपर्क में हैं, तृणमूल छोड़ने को स्वतंत्र
सौगत राय की मध्यस्ता काम नहीं आई
पिछले कुछ समय से शुभेंदु अधिकारी की तस्वीरों वाले बैनर और पोस्टर राज्य के विभिन्न हिस्सों में देखे गए हैं. इसके नीचे लिखा है, 'हम दादर अनुगामी का अनुसरण करते हैं'. उन्होंने पार्टी के झंडे के बिना कई स्थानों पर बैठकें भी कीं. नंदीग्राम में शहीद दिवस के अवसर पर सुबह बैठक आयोजित करने के बाद दोपहर में तृणमूल की ओर से एक अलग बैठक आयोजित की गई. उन्होंने खेजुरी दिवस के अवसर पर खजूरी में राजनीतिक बैनर के नीचे मार्च किया. वयोवृद्ध तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत राय ने बार-बार शुभेंदु से मुलाकात की मगर कोई हल नहीं निकला.
यह भी पढ़ें: शुभेंदु का 'बागी' रूख बरकरार, TMC सांसद बोले- अब बातचीत नहीं होगी
अभिषेक बनर्जी व प्रशांत किशोर ने भी की कोशिश
1 दिसंबर की रात को अभिषेक बनर्जी, प्रशांत किशोर, सौगत रॉय और सुदीप बनर्जी के साथ शुभेंदु की मुलाकात के बाद टीएमसी को एक सकारात्मक संदेश मिला लेकिन अगले दिन दोपहर से ही स्थिति बदलने लगी. मुख्य मध्यस्थ सौगत रॉय को एक वाट्स एप संदेश में सूचित किया गया कि उनके लिए एक साथ काम करना मुश्किल था. इस घटना के बाद राज्य की सत्ताधारी पार्टी शर्मिंदा हो गई. इस स्थिति में, शुभेंदु को तृणमूल कांग्रेस कर्मचारी महासंघ के संरक्षक के पद से हटा दिया गया.