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Chardham Yatra: चारधाम जाने वाले श्रद्धालुओं का होगा बीमा, दुर्घटना पर ₹1 लाख का कवर - दुर्घटना पर ₹1 लाख का कवर

चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मौत पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने बड़ा फैसला लिया है. समिति के मुताबिक चारधाम मंदिर परिसर में दुर्घटना की स्थिति में प्रत्येक भक्त को एक लाख रुपये का बीमा प्रदान करने का निर्णय लिया है.

Chardham Yatra
चारधाम यात्रा
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Published : Jun 15, 2022, 3:36 PM IST

Updated : Jun 15, 2022, 7:37 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में चल रही चारधाम यात्रा में इस साल जहां रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, तो वहीं पिछले वर्षों के मुकाबले इस बार तीर्थयात्रियों की मौत में भी रिकॉर्ड इजाफा देखने को मिल रहा है. चारधाम यात्रा 2022 पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इस बार 20 लाख के पार पहुंच गई है. वहीं, अब तक चारों धामों में 166 तीर्थ यात्रियों की मौत भी हो चुकी है.

चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मौत पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने बड़ा फैसला लिया है. समिति के मुताबिक बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री मंदिर परिसर में दुर्घटना की स्थिति में प्रत्येक भक्त को एक लाख रुपये का बीमा प्रदान करने का निर्णय लिया है. किसी तरह की घटना होने पर मंदिर प्रबंधन को समिति को जानकारी देने होगी.

  • #उत्तराखंड स्थित चारधामों के मंदिर परिसर में किसी प्रकार की दुर्घटना पर श्रद्धालुओं को एक लाख रुपए का बीमा देय होगा।

    प्रदेश के पर्यटन मंत्री @satpalmaharaj जी की प्रेरणा से संचालित मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा बीमा धनराशि का प्रीमियम दिए जाने पर @BKTC_UK आभार व्यक्त करती है। pic.twitter.com/ROKZxMCp0N

    — Ajendra Ajay (@AjendraAjay) June 15, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पढ़ें: Chardham Yatra: अब तक 166 यात्रियों की मौत, श्रद्धालुओं की संख्या 20 लाख के पार

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति: करोड़ों हिंदूओं की आस्था के केंद्र बदरीनाथ और केदारनाथ धामों में तीर्थयात्रा की व्यवस्था संभालने के लिए वर्ष 1939 में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का गठन किया गया. 1939 में बनी बदरी-केदार मंदिर समिति का अधिनियम 1941 से प्रभावी हुआ. मंदिर समिति अधिनियम की धारा 27 के अंतर्गत प्रताप सिंह चौहान डिप्टी कलक्टर स्पेशल ऑफिसर पद पर मंदिर समिति में नियुक्त हुए. वर्ष 1962 में इस पद को सचिव नाम दिया गया और वर्ष 1964 में इस पद को मुख्य कार्याधिकारी पद का नाम दिया गया.

दरअसल उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित चार धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री, के रास्ते में ह्रदय संबंधी समस्याओं के कारण श्रद्धालुओं की मौत की घटनाएं हर साल होती हैं, लेकिन इस बार यह संख्या कहीं ज्यादा है. पिछले सालों के आंकड़ों से साफ है कि वर्ष 2019 में 90 से ज्यादा, वर्ष 2018 में 102, वर्ष 2017 में 112 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हुई थी.

गौरतलब है कि ये आंकड़े अप्रैल-मई में यात्रा शुरू होने से लेकर अक्टूबर-नवंबर में उसके बंद होने तक यानी छह माह की अवधि के हैं. अक्षय तृतीया पर तीन मई को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हुई थी, जबकि केदारनाथ के कपाट छह मई को और बदरीनाथ के कपाट आठ मई को खुले थे.

देहरादून: उत्तराखंड में चल रही चारधाम यात्रा में इस साल जहां रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, तो वहीं पिछले वर्षों के मुकाबले इस बार तीर्थयात्रियों की मौत में भी रिकॉर्ड इजाफा देखने को मिल रहा है. चारधाम यात्रा 2022 पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इस बार 20 लाख के पार पहुंच गई है. वहीं, अब तक चारों धामों में 166 तीर्थ यात्रियों की मौत भी हो चुकी है.

चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मौत पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने बड़ा फैसला लिया है. समिति के मुताबिक बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री मंदिर परिसर में दुर्घटना की स्थिति में प्रत्येक भक्त को एक लाख रुपये का बीमा प्रदान करने का निर्णय लिया है. किसी तरह की घटना होने पर मंदिर प्रबंधन को समिति को जानकारी देने होगी.

  • #उत्तराखंड स्थित चारधामों के मंदिर परिसर में किसी प्रकार की दुर्घटना पर श्रद्धालुओं को एक लाख रुपए का बीमा देय होगा।

    प्रदेश के पर्यटन मंत्री @satpalmaharaj जी की प्रेरणा से संचालित मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा बीमा धनराशि का प्रीमियम दिए जाने पर @BKTC_UK आभार व्यक्त करती है। pic.twitter.com/ROKZxMCp0N

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पढ़ें: Chardham Yatra: अब तक 166 यात्रियों की मौत, श्रद्धालुओं की संख्या 20 लाख के पार

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति: करोड़ों हिंदूओं की आस्था के केंद्र बदरीनाथ और केदारनाथ धामों में तीर्थयात्रा की व्यवस्था संभालने के लिए वर्ष 1939 में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का गठन किया गया. 1939 में बनी बदरी-केदार मंदिर समिति का अधिनियम 1941 से प्रभावी हुआ. मंदिर समिति अधिनियम की धारा 27 के अंतर्गत प्रताप सिंह चौहान डिप्टी कलक्टर स्पेशल ऑफिसर पद पर मंदिर समिति में नियुक्त हुए. वर्ष 1962 में इस पद को सचिव नाम दिया गया और वर्ष 1964 में इस पद को मुख्य कार्याधिकारी पद का नाम दिया गया.

दरअसल उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित चार धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री, के रास्ते में ह्रदय संबंधी समस्याओं के कारण श्रद्धालुओं की मौत की घटनाएं हर साल होती हैं, लेकिन इस बार यह संख्या कहीं ज्यादा है. पिछले सालों के आंकड़ों से साफ है कि वर्ष 2019 में 90 से ज्यादा, वर्ष 2018 में 102, वर्ष 2017 में 112 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हुई थी.

गौरतलब है कि ये आंकड़े अप्रैल-मई में यात्रा शुरू होने से लेकर अक्टूबर-नवंबर में उसके बंद होने तक यानी छह माह की अवधि के हैं. अक्षय तृतीया पर तीन मई को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हुई थी, जबकि केदारनाथ के कपाट छह मई को और बदरीनाथ के कपाट आठ मई को खुले थे.

Last Updated : Jun 15, 2022, 7:37 PM IST
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