ETV Bharat / bharat

पश्चिम बंगाल में शिवसेना लड़ेगी विधानसभा चुनाव, संजय राउत ने किया एलान - पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शिवसेना

संजय राउत ने कहा है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शिवसेना भी अपने उम्मीदवार उतारेगी. अप्रैल-मई 2021 में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. वहीं ओवैसी ने भी चुनावी ताल ठोक दी है, जिससे पश्चिम बंगाल का चुनाव काफी रोचक होगा.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शिवसेना
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शिवसेना
author img

By

Published : Jan 17, 2021, 7:27 PM IST

Updated : Jan 17, 2021, 8:12 PM IST

मुंबई : शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है. बता दें कि राज्य में अप्रैल-मई 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा प्रमुख प्रतिद्वंद्वी माने जा रहे हैं.

दिलचस्प है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं और ओवैसी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी बंगाल चुनाव भी लड़ेगी. ऐसी स्थिति में, कई आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि बिहार की तरह बंगाल में भी एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों का विभाजन कर बीजेपी को फायदा पहुंचाएगी.

यह भी पढ़ें: तृणमूल के साथ गठबंधन को एआईएमआईएम तैयार, दीदी की बढ़ी टेंशन

इन्हीं आशंकाओं और आरोपों का जवाब देते हुए एआईएमआईएम नेतृत्व ने आगामी चुनावों में भाजपा को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस-एआईएमआईएम गठबंधन के लिए एक खुला निमंत्रण भेजा है.

इससे पहले विगत दिसंबर में राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया था कि अंतिम मतदाता सूची 15 जनवरी को प्रकाशित की जाएगी. मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आरिज आफताब ने कहा था कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अंतिम मतदाता सूची 15 जनवरी को प्रकाशित की जाएगी.

यह भी पढ़ें: बंगाल विधानसभा चुनाव : अंतिम मतदाता सूची 15 जनवरी को प्रकाशित होगी

करीब आ रहे विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां भी देखी जा रही हैं. तृणमूल और भाजपा के बीच जुबानी जंग की एक कड़ी में टीएमसी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि भाजपा दहाई के अंक तक नहीं पहुंच पाएगी. भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय ने इस पर पलटवार किया था.

यह भी पढ़ें: बंगाल में भाजपा को दहाई के आंकड़े के लिए करना पड़ेगा संघर्ष : प्रशांत किशोर

पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर कहा था, 'पश्चिम बंगाल में बीजेपी की जो सुनामी चल रही है, सरकार बनने के बाद इस देश को एक चुनावी रणनीतिकार खोना पड़ेगा.'

बता दें कि 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 211 सीटें मिलीं. 45.6 फीसदी वोट मिले. कांग्रेस को 44 और सीपीएम को 26 सीटें मिलीं. भाजपा को 10.3 फीसदी वोट मिले. ममता ने तब भाजपा को नोटिस नहीं किया. वह लेफ्ट और कांग्रेस पर बरसती रहीं.

लेकिन पंचायत चुनाव 2018 में भाजपा ने 18 फीसदी वोट हासिल कर लिया. वह दूसरे स्थान पर रहीं. झारग्राम, बांकुरा और पुरुलिया के जनजातीय इलाकों में भाजपा ने ठीक-ठाक पैठ बनाई. ये इलाके झारखंड से लगे हुए हैं. उसके बाद 2019 में तो टीएमसी की नींद उड़ा दी. निश्चित तौर पर इस बार का विधानसभा चुनाव बहुत ही रुचिकर होने जा रहा है. भाजपा ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

2013 के बंगाल चुनावों में भाजपा आज की तुलना में एक कमजोर पार्टी थी, लेकिन आज हालात बदल गए हैं. भाजपा ने 2019 में 18 सीटें जीती थीं, जिससे भाजपा ने बंगाल में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से पाई. ऐसे में अब बंगाल की राजनीति में शिवसेना की एंट्री होने वाली है. अब यह देखना होगा कि बंगाल में शिवसेना की एंट्री से किसको लाभ होगा और किसको नुकसान.

गौरतलब है कि ममता सरकार का कार्यकाल 30 मई को खत्म होने जा रहा है.

मुंबई : शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है. बता दें कि राज्य में अप्रैल-मई 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा प्रमुख प्रतिद्वंद्वी माने जा रहे हैं.

दिलचस्प है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं और ओवैसी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी बंगाल चुनाव भी लड़ेगी. ऐसी स्थिति में, कई आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि बिहार की तरह बंगाल में भी एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों का विभाजन कर बीजेपी को फायदा पहुंचाएगी.

यह भी पढ़ें: तृणमूल के साथ गठबंधन को एआईएमआईएम तैयार, दीदी की बढ़ी टेंशन

इन्हीं आशंकाओं और आरोपों का जवाब देते हुए एआईएमआईएम नेतृत्व ने आगामी चुनावों में भाजपा को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस-एआईएमआईएम गठबंधन के लिए एक खुला निमंत्रण भेजा है.

इससे पहले विगत दिसंबर में राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया था कि अंतिम मतदाता सूची 15 जनवरी को प्रकाशित की जाएगी. मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आरिज आफताब ने कहा था कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अंतिम मतदाता सूची 15 जनवरी को प्रकाशित की जाएगी.

यह भी पढ़ें: बंगाल विधानसभा चुनाव : अंतिम मतदाता सूची 15 जनवरी को प्रकाशित होगी

करीब आ रहे विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां भी देखी जा रही हैं. तृणमूल और भाजपा के बीच जुबानी जंग की एक कड़ी में टीएमसी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि भाजपा दहाई के अंक तक नहीं पहुंच पाएगी. भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय ने इस पर पलटवार किया था.

यह भी पढ़ें: बंगाल में भाजपा को दहाई के आंकड़े के लिए करना पड़ेगा संघर्ष : प्रशांत किशोर

पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर कहा था, 'पश्चिम बंगाल में बीजेपी की जो सुनामी चल रही है, सरकार बनने के बाद इस देश को एक चुनावी रणनीतिकार खोना पड़ेगा.'

बता दें कि 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 211 सीटें मिलीं. 45.6 फीसदी वोट मिले. कांग्रेस को 44 और सीपीएम को 26 सीटें मिलीं. भाजपा को 10.3 फीसदी वोट मिले. ममता ने तब भाजपा को नोटिस नहीं किया. वह लेफ्ट और कांग्रेस पर बरसती रहीं.

लेकिन पंचायत चुनाव 2018 में भाजपा ने 18 फीसदी वोट हासिल कर लिया. वह दूसरे स्थान पर रहीं. झारग्राम, बांकुरा और पुरुलिया के जनजातीय इलाकों में भाजपा ने ठीक-ठाक पैठ बनाई. ये इलाके झारखंड से लगे हुए हैं. उसके बाद 2019 में तो टीएमसी की नींद उड़ा दी. निश्चित तौर पर इस बार का विधानसभा चुनाव बहुत ही रुचिकर होने जा रहा है. भाजपा ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

2013 के बंगाल चुनावों में भाजपा आज की तुलना में एक कमजोर पार्टी थी, लेकिन आज हालात बदल गए हैं. भाजपा ने 2019 में 18 सीटें जीती थीं, जिससे भाजपा ने बंगाल में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से पाई. ऐसे में अब बंगाल की राजनीति में शिवसेना की एंट्री होने वाली है. अब यह देखना होगा कि बंगाल में शिवसेना की एंट्री से किसको लाभ होगा और किसको नुकसान.

गौरतलब है कि ममता सरकार का कार्यकाल 30 मई को खत्म होने जा रहा है.

Last Updated : Jan 17, 2021, 8:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.