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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य ने काशी विद्वत परिषद को दी शास्त्रार्थ की चुनौती

वाराणसी पहुंचे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के दंडी शिष्य (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) स्वामी गोविंदानंद (Swami Govindananda) ने काशी विद्वत परिषद को शास्त्रार्थ की खुली चुनौती दी है. आइए जानते है इस प्रकरण के बारे में...

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Published : Nov 12, 2022, 7:20 PM IST

वाराणसी: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) के दंडी शिष्य स्वामी गोविंदानंद (Swami Govindananda) ने काशी के विद्वानों को शंकराचार्य चयन के मुद्दे पर खुली चुनौती दी है. उनका कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया ही गलत तरीके से की गई और काशी विद्वत परिषद इनका साथ देकर बिल्कुल गलत कर रहा है इसलिए हम काशी विद्वत परिषद को शास्त्रार्थ की खुली चुनौती देते हैं.

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की तरफ से शारदा पीठ और द्वारिका पीठ के लिए नियुक्त किए गए अपने शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और सदानंद सरस्वती को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. इसे लेकर काशी विद्वत परिषद पहले से ही दो भागों में बंट गया है. एक भाग को वर्तमान अध्यक्ष और महामंत्री ने शुक्रवार को फर्जी करार करते हुए एफआईआर तक करवाने की बात कही, तो वहीं शनिवार को इन सबके बीच स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के दंडी शिष्य स्वामी गोविंदानंद ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और स्वामी सदानंद सरस्वती के अभिषेक को गलत करार देते हुए काशी विद्वत परिषद को फर्जी घोषित कर दिया है.

यह बोले स्वामी गोविंदानंद.

स्वामी गोविंदानंद सरस्वती का कहना है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ब्राह्मण ही नहीं हैं. वह ज्योतिषपीठ पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा रखा है. मैं शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का शिष्य हूं. सनातन धर्म पर संकट को देख कर मैं काशी आया हूं. स्वामी गोविंदानंद ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर निशाना साधते हुए कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद दुर्योधन की तरह अधार्मिक कार्य कर रहे हैं. उनका साथ विद्वानों की सर्वमान्य संस्था काशी विद्वत परिषद दुशासन की तरह दे रही हैं. मैं चुनौती देता हूं कि काशी विद्वत परिषद के विद्वान हमसे शास्त्रार्थ करें. धर्मशास्त्रों के अनुसार हमें बताएं कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कैसे धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं.

स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि पुरी के शंकराचार्य ने ज्योर्तिमठ में उनसे कहा था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ब्राह्मण नहीं हैं. परमहंसी गंगा आश्रम में पुरी के शंकराचार्य ने हमारे गुरुजी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज और सभी गुरु भाइयों के सामने कहा था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ब्राह्मण नहीं है. तब गुरुजी ने कहा था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती साबित करें कि वह ब्राह्मण हैं, तभी से वह भाग रहे हैं और आज तक साबित नहीं किए. स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि मैं एक बात यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि द्वापर युग में दुर्योधन था और कलयुग के आरंभ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हैं.

स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि मैं यही कहना चाहूंगा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अब तक अज्ञानता में जो अधर्म किया है, उसके लिए वह भगवान से सच्चे मन से माफी मांगें. हमारा सनातन धर्म मानव को सुधारने की शिक्षा देता है. वह बाद में अच्छा जीवन जी सकते हैं. अभी भी वह हठ करेंगे तो महाभारत के दुर्योधन के जैसी उनकी हालत होगी. हालांकि हम यह नहीं चाहेंगे कि हमारे गुरु भाई का हश्र दुर्योधन के जैसे हो.

इस पूरे मामले में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि मैं अभी हरिद्वार में हूं और इस संदर्भ में स्वामी गोविंद आनंद जी महाराज से यह स्पष्ट करना चाहता हूं, कि जिस व्यक्ति ने भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का समर्थन किया है वह काशी विद्वत परिषद का हिस्सा है ही नहीं, इस संदर्भ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हो चुकी है. उन्होंने संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए हैं. सोमवार तक उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर काशी विद्वत परिषद इस पूरे मामले को स्पष्ट कर देगा कि हम किसी को समर्थन नहीं कर रहे है. हम कानून के साथ हैं.

यह भी पढ़ें: जानिए कौन हैं, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के उत्तराधिकारी अविमुक्तेश्वरानंद

वाराणसी: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) के दंडी शिष्य स्वामी गोविंदानंद (Swami Govindananda) ने काशी के विद्वानों को शंकराचार्य चयन के मुद्दे पर खुली चुनौती दी है. उनका कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया ही गलत तरीके से की गई और काशी विद्वत परिषद इनका साथ देकर बिल्कुल गलत कर रहा है इसलिए हम काशी विद्वत परिषद को शास्त्रार्थ की खुली चुनौती देते हैं.

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की तरफ से शारदा पीठ और द्वारिका पीठ के लिए नियुक्त किए गए अपने शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और सदानंद सरस्वती को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. इसे लेकर काशी विद्वत परिषद पहले से ही दो भागों में बंट गया है. एक भाग को वर्तमान अध्यक्ष और महामंत्री ने शुक्रवार को फर्जी करार करते हुए एफआईआर तक करवाने की बात कही, तो वहीं शनिवार को इन सबके बीच स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के दंडी शिष्य स्वामी गोविंदानंद ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और स्वामी सदानंद सरस्वती के अभिषेक को गलत करार देते हुए काशी विद्वत परिषद को फर्जी घोषित कर दिया है.

यह बोले स्वामी गोविंदानंद.

स्वामी गोविंदानंद सरस्वती का कहना है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ब्राह्मण ही नहीं हैं. वह ज्योतिषपीठ पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा रखा है. मैं शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का शिष्य हूं. सनातन धर्म पर संकट को देख कर मैं काशी आया हूं. स्वामी गोविंदानंद ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर निशाना साधते हुए कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद दुर्योधन की तरह अधार्मिक कार्य कर रहे हैं. उनका साथ विद्वानों की सर्वमान्य संस्था काशी विद्वत परिषद दुशासन की तरह दे रही हैं. मैं चुनौती देता हूं कि काशी विद्वत परिषद के विद्वान हमसे शास्त्रार्थ करें. धर्मशास्त्रों के अनुसार हमें बताएं कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कैसे धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं.

स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि पुरी के शंकराचार्य ने ज्योर्तिमठ में उनसे कहा था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ब्राह्मण नहीं हैं. परमहंसी गंगा आश्रम में पुरी के शंकराचार्य ने हमारे गुरुजी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज और सभी गुरु भाइयों के सामने कहा था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ब्राह्मण नहीं है. तब गुरुजी ने कहा था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती साबित करें कि वह ब्राह्मण हैं, तभी से वह भाग रहे हैं और आज तक साबित नहीं किए. स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि मैं एक बात यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि द्वापर युग में दुर्योधन था और कलयुग के आरंभ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हैं.

स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि मैं यही कहना चाहूंगा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अब तक अज्ञानता में जो अधर्म किया है, उसके लिए वह भगवान से सच्चे मन से माफी मांगें. हमारा सनातन धर्म मानव को सुधारने की शिक्षा देता है. वह बाद में अच्छा जीवन जी सकते हैं. अभी भी वह हठ करेंगे तो महाभारत के दुर्योधन के जैसी उनकी हालत होगी. हालांकि हम यह नहीं चाहेंगे कि हमारे गुरु भाई का हश्र दुर्योधन के जैसे हो.

इस पूरे मामले में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि मैं अभी हरिद्वार में हूं और इस संदर्भ में स्वामी गोविंद आनंद जी महाराज से यह स्पष्ट करना चाहता हूं, कि जिस व्यक्ति ने भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का समर्थन किया है वह काशी विद्वत परिषद का हिस्सा है ही नहीं, इस संदर्भ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हो चुकी है. उन्होंने संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए हैं. सोमवार तक उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर काशी विद्वत परिषद इस पूरे मामले को स्पष्ट कर देगा कि हम किसी को समर्थन नहीं कर रहे है. हम कानून के साथ हैं.

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