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एमपी में एक बार फिर मानवता शर्मसार, दादा की डेड बॉडी को बाइक पर ले जाने को मजबूर हुआ पोता, स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल

MP Shahdol News: एमपी के आदिवासी अंचल शहडोल में एक बार फिर अमानवीय घटना सामने आई है. यहां एक पोता अपने दादा के मृत शरीर को बाइक पर ले गया. इधर मामला सामने आने के बाद, एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं. आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला.

Shahdol News
शहडोल न्यूज
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 26, 2023, 7:05 PM IST

Updated : Nov 26, 2023, 7:57 PM IST

शहडोल का शर्मनाक वीडियो

शहडोल। शहडोल जिले में एक बार फिर से मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. इसमें एक पोते को अपने दादा के मृत शरीर को बाइक पर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके बाद अब ये मामला तूल पकड़ लिया है. पोते को अपने दादा के मृत शरीर को इस तरह से बाइक पर ले जाना. एक बार फिर से स्वास्थ्य सिस्टम पर कई सवाल खड़ी कर रहा है.

जानिए पूरा मामला: पूरा मामला शहडोल जिले के जनपद पंचायत सोहागपुर अंतर्गत धुरवार गांव का है. जहां के रहने वाले 56 साल के ललुईया बैगा को हाई बीपी होने के बाद उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उपचार के दौरान ललुईया बैगा की रविवार सुबह मौत हो गई. ललुईया बैगा की मौत के बाद परिजनों ने शव को ले जाने के लिए शव वाहन की व्यवस्था करनी चाही. लेकिन जब शव वाहन की व्यवस्था नहीं हुई, तो परिजन परेशान हो गए. फिर पोते ने बाइक पर ही अपने दादा के शव को रख कर ले जाने की ठानी.

जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर तक शव को लेकर रवाना हो गए. इस दौरान बाइक पर शव को पोता संभाल भी नहीं पा रहा था. इससे मृतक का शव बार-बार बाइक से गिरता नजर आ रहा था. इस घटना के बाद एक बार फिर से आदिवासी अंचल में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

पोते ने क्या कहा?: इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मृतक के पोते का कहना है कि वो शव वाहन के लिए हर जगह मांग कर चुके थे. इससे भी मांग कर रहे थे. वो इधर-उधर की बात कर रहा था. कोई पैसे मांगता हमारे पास पैसे थे नहीं हम लोग गरीब हैं, तो कुछ लोग तरह-तरह के फोन नंबर बताते. जब हमें कुछ समझ में नहीं आया, तो फिर हमने खुद ही बाइक पर अपने दादा के शव को रखकर गांव लेकर आए.

सिविल सर्जन ने कही ये बात: इस पूरे मामले को लेकर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन जीएस परिहार का कहना है- 'हमने यहां पर समाजसेवियों के माध्यम से कलेक्टर महोदय के निर्देशन पर गाड़ी देने की व्यवस्था कर रखी है. एक गाड़ी हमको नगर पालिका से उपलब्ध होती है, और एक एक रंजीत बशाक जो समाजसेवी हैं. 25 किलोमीटर तक अपना वाहन देते हैं. बाकी एक रोटरी क्लब और एक सत्य साईं सेवा संगठन सिंधी समाज की है. चार-पांच गाड़ियों की व्यवस्था रहती है. उनको सूचना मिलती है और वह आ जाते हैं लेकिन वह लोग बिना बताए ही बिना सूचना के शव को गाड़ी पर रखकर ले गए.'

'मगर इसमें दुखद पाइंट यह रहा कि हमारे गार्ड्स ने उन्हें जाते हुए देखा है. बाइक पर रख रहे हैं, लेकिन मुझे कोई सूचना नहीं दी गई. आज रविवार का दिन था. इन लोगों ने देखा है की बाइक से ले जा रहे हैं. शव वाहन की व्यवस्था नहीं हुई. जो भी कारण रहा हो, मुझे उन्होंने फोन नहीं किया. जब मुझे पता चला तो मैं आया, तब तक वो जा चुके थे. मैंने इंक्वारी की तो पता चला कि ये जो गार्ड थे, इनका आइडिया था. उनको आवश्यकता है. बाइक पर लेकर जा रहे हैं. इसके बारे में तत्काल आउट सोर्स कंपनी को निर्देशित किया है.'

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शहडोल का शर्मनाक वीडियो

शहडोल। शहडोल जिले में एक बार फिर से मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है. इसमें एक पोते को अपने दादा के मृत शरीर को बाइक पर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके बाद अब ये मामला तूल पकड़ लिया है. पोते को अपने दादा के मृत शरीर को इस तरह से बाइक पर ले जाना. एक बार फिर से स्वास्थ्य सिस्टम पर कई सवाल खड़ी कर रहा है.

जानिए पूरा मामला: पूरा मामला शहडोल जिले के जनपद पंचायत सोहागपुर अंतर्गत धुरवार गांव का है. जहां के रहने वाले 56 साल के ललुईया बैगा को हाई बीपी होने के बाद उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उपचार के दौरान ललुईया बैगा की रविवार सुबह मौत हो गई. ललुईया बैगा की मौत के बाद परिजनों ने शव को ले जाने के लिए शव वाहन की व्यवस्था करनी चाही. लेकिन जब शव वाहन की व्यवस्था नहीं हुई, तो परिजन परेशान हो गए. फिर पोते ने बाइक पर ही अपने दादा के शव को रख कर ले जाने की ठानी.

जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर तक शव को लेकर रवाना हो गए. इस दौरान बाइक पर शव को पोता संभाल भी नहीं पा रहा था. इससे मृतक का शव बार-बार बाइक से गिरता नजर आ रहा था. इस घटना के बाद एक बार फिर से आदिवासी अंचल में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

पोते ने क्या कहा?: इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मृतक के पोते का कहना है कि वो शव वाहन के लिए हर जगह मांग कर चुके थे. इससे भी मांग कर रहे थे. वो इधर-उधर की बात कर रहा था. कोई पैसे मांगता हमारे पास पैसे थे नहीं हम लोग गरीब हैं, तो कुछ लोग तरह-तरह के फोन नंबर बताते. जब हमें कुछ समझ में नहीं आया, तो फिर हमने खुद ही बाइक पर अपने दादा के शव को रखकर गांव लेकर आए.

सिविल सर्जन ने कही ये बात: इस पूरे मामले को लेकर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन जीएस परिहार का कहना है- 'हमने यहां पर समाजसेवियों के माध्यम से कलेक्टर महोदय के निर्देशन पर गाड़ी देने की व्यवस्था कर रखी है. एक गाड़ी हमको नगर पालिका से उपलब्ध होती है, और एक एक रंजीत बशाक जो समाजसेवी हैं. 25 किलोमीटर तक अपना वाहन देते हैं. बाकी एक रोटरी क्लब और एक सत्य साईं सेवा संगठन सिंधी समाज की है. चार-पांच गाड़ियों की व्यवस्था रहती है. उनको सूचना मिलती है और वह आ जाते हैं लेकिन वह लोग बिना बताए ही बिना सूचना के शव को गाड़ी पर रखकर ले गए.'

'मगर इसमें दुखद पाइंट यह रहा कि हमारे गार्ड्स ने उन्हें जाते हुए देखा है. बाइक पर रख रहे हैं, लेकिन मुझे कोई सूचना नहीं दी गई. आज रविवार का दिन था. इन लोगों ने देखा है की बाइक से ले जा रहे हैं. शव वाहन की व्यवस्था नहीं हुई. जो भी कारण रहा हो, मुझे उन्होंने फोन नहीं किया. जब मुझे पता चला तो मैं आया, तब तक वो जा चुके थे. मैंने इंक्वारी की तो पता चला कि ये जो गार्ड थे, इनका आइडिया था. उनको आवश्यकता है. बाइक पर लेकर जा रहे हैं. इसके बारे में तत्काल आउट सोर्स कंपनी को निर्देशित किया है.'

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Last Updated : Nov 26, 2023, 7:57 PM IST
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