हैदराबाद: तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री ई राजेंद्र पर भूमि अतिक्रमण के आरोप लगे हैं. वहीं, सीएम के चंद्रशेखर राव ने इस मामले की जानकारी होने पर इसे काफी गंभीर मामला बताया है. जानकारी के मुताबिक चंद्रशेखर राव ने स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ भूमि अतिक्रमण की शिकायतों की जांच के आदेश भी दिए हैं.
इसी बीच स्वास्थ मंत्रालय की कमान सीएम के चंद्रशेखर राव को सौंप दी गई है. राज्यपाल के अनुमोदन के बाद उन्हें यह कमान सौंपी गई है.
सीएम ने राज्य के मुख्य सचिव सोमेश कुमार को निर्देश देते हुए कहा कि मेदक जिले के मसाईपेट मंडल के अचम्पेट के बाहरी इलाकों में भूमि अतिक्रमण की शिकायतों पर जिला कलेक्टर से जांच करवाई जाए और जल्द से जल्द विस्तृत रिपोर्ट सोंपी जाए.
विस्तृत जांच सौंपने के निर्देश
इसके अलावा चंद्रशेखर राव ने डीजीपी (सतर्कता), पूर्णचंद्र राव को भी आरोपों पर सच्चाई का पता लगाने के निर्देश दिए हैं. सीएम ने आदेश जारी किए कि मामले की प्राथमिक जांच तुरंत की जाए. उन्होंने अधिकारी को एक विस्तृत जांच करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा. मुख्यमंत्री ने मेदक जिले में कुछ किसानों की ओर से शिकायत दर्ज कराने के बाद जांच का आदेश दिया, आरोप लगाया कि राजेंद्र ने मुर्गीपालन उद्योग शुरू करने के लिए 100 एकड़ से अधिक भूमि को जबरन अपने कब्जे में ले लिया.
स्वास्थ्य मंत्री ने दी सफाई
वहीं, दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्री इतेला राजेंदर ने जमीन हड़पने के इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि मैं निर्दोष हूं. उन्होंने कहा कि उनका जीवन तेलंगाना के लोगों के लिए जाना जाता है और उन्हें कुछ भी छिपाने की जरूरत नहीं है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एक सिटिंग न्यायाधीश से इस मामले की जांच कराई जाए.
मुर्गी पालन उद्योग के लिए हुआ अतिक्रमण
बता दें, अछमपेट और हाकिमपेट गांवों के आठ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मुर्गी पालन उद्योग शुरू करने के लिए मंत्री और उनके अनुयायियों ने उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा कर लिया था. उन्होंने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की और उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए अपील की कि सरकार की ओर से उन्हें दी गई भूमि को उन्हें तुरंत बहाल किया जाए.
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यह पहली बार है, जब टीआरएस सरकार में किसी मंत्री को जमीन हड़पने के आरोपों का सामना करना पड़ा और पीड़ितों ने सीधे मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की. पीड़ितों ने मुख्यमंत्री को बताया कि उन्हें 1994 में सरकार द्वारा भूमि आवंटित की गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि खननकर्ता और उनके सहयोगी सूरी उर्फ अल्ली सुदर्शन और यमजला सुदर्शन रेड्डी ने उनसे जबरन भूमि के कागजात बनवा लिए.