लखनऊ : सितंबर 2023 को राजधानी के सीएमएस स्कूल में छात्र आतिफ की मौत, जुलाई 2023 को सीतापुर के रामपुर मथुरा में आनंद प्रकाश की संदिग्ध मौत और जून 2023 को उन्नाव के गंगाघाट में मिली अधजली युवक की मौत का राज अब तक खुल नहीं सका है. न सिर्फ इन तीनों बल्कि लखनऊ समेत करीब छह जिलों की 6500 मौतों का राज लखनऊ में मौजूद बोलतों में बंद है, जो वर्षों से बोतल का ढक्कन खुलने का इंतजार कर रहे हैं.
राजधानी के अलीगंज इलाके में प्रतिष्ठित सीएमएस स्कूल के नौवीं छात्र आतिफ की सितंबर 2023 को अचानक क्लास में मौत हो गई. पुलिस ने छात्र के शव का पोस्टमार्टम करवाया, रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हुआ लिहाजा शव का विसरा सुरक्षित कर लिया गया और उसे जांच के लिए लखनऊ की फोरेंसिक लैब में भेज दिया गया. डेढ़ माह से अधिक का समय बीत जाने पर अलीगंज पुलिस रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, ताकि अपनी विवेचना आगे बढ़ा सके.
सीतापुर जिले के रामपुर मथुरा में प्रेम प्रसंग के चलते एक युवक आनंद प्रकाश की जुलाई 2023 को हत्या कर दी गई. हत्या कैसे की गई यह जानने के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, लेकिन पुलिस के लिए मुश्किलें तब खड़ी हुईं जब पीएम रिपोर्ट में मौत का कारण साफ नहीं हो सका तो पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने आनंद का विसरा सुरक्षित कर उसे लखनऊ फोरेंसिक लैब भेज दिया. लखनऊ की लैब में आनंद की मौत का राज खोलने वाला विसरा शीशी में बंद है और उसके खुलने और जांच होने का इंतजार रामपुर मथुरा की पुलिस कर रही है, ताकि जांच आगे बढ़ाई जा सके और हत्यारों के खिलाफ मजबूत सबूत इकट्ठे कर सके.
आतिफ और आनंद प्रकाश की ही तरह एक गुमनाम शख्स की भी मौत का राज लखनऊ की फोरेंसिक लैब में बंद है. जून 2023 को उन्नाव के गंगाघाट थानांतर्गत एक कंबल में लिपटी लाश मिली. पुलिस ने जब कंबल हटाकर लाश देखी तो वह अधजली थी और उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी. पोटमार्टम में यह तो साफ हुआ कि युवक को मारने के बाद ही जलाया गया, लेकिन मारा कैसे गया यह स्पष्ट नहीं होने पर शव के विसरा को लखनऊ के फोरेंसिक लैब भेज दिया गया.
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में तैनात डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक कहती हैं कि 'आमतौर पर फोरेंसिक लैब में भेजे गए विसरा को जल्द से जल्द जांच कर रिपोर्ट देनी होती है, ताकि पुलिस जल्द से जल्द रिपोर्ट के सहारे केस की गुत्थी सुलझाकर आरोपी की धड़पकड़ कर सके या उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा कर चार्जशीट कोर्ट में पेश कर सके. डीसीपी कहती हैं कि विसरा रिपोर्ट का किसी भी अनसुलझे केस में काफी महत्व होता है. विसरा रिपोर्ट समय से न मिलने पर विवेचक हत्या और दुर्घटना के बीच फर्क तय नहीं कर पाते हैं, जिस कारण केस पर फर्क पड़ता है. वहीं, फोरेंसिक डिपार्टमेंट दावा करता है कि विसरा की जांच रिपोर्ट तैयार करने में दो से तीन दिन लगते हैं. कुछ मामलों में ज्यादा भी समय लग जाता है.'
फोरेंसिक डिपार्टमेंट के डायरेक्टर सुधीर कुमार के मुताबिक, 'लैब में लखनऊ के अलावा अन्य जिलों से भी नमूने लाए जाते हैं, ऐसे में संख्या अधिक होने के कारण कभी कभी देर हो जाती है, हालांकि विसरा का पेंडेंसी होना ये जरूर साफ करता है कि दावे सिर्फ दावे ही हैं.' सूत्रों के मुताबिक, फोरेंसिक लैब में कर्मचारियों की संख्या कम है और काम ज्यादा. ऐसे में उन्हीं मामलों में तेजी दिखाई जाती है जो हाई प्रोफाइल या चर्चित होते हैं. इसके अलावा कई बार कोर्ट से आर्डर के आधार पर केस को प्रमुखता से लिया जाता है.