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एसडीआरएफ ने जारी किया वीडियो, ऋषिगंगा की झील खतरनाक नहीं - वाडिया के वैज्ञानिक

उत्तराखंड में एसडीआरएफ कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने एक वीडियो साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि इस झील की चौड़ाई 50 मीटर के करीब है, इसकी लंबाई फिलहाल 200 मीटर तो दिखाई दे रही है लेकिन आगे से मोड़ होने की वजह से पूरी लंबाई दिखाई नहीं दे रही.

एसडीआरएफ ने जारी किया वीडियो
एसडीआरएफ ने जारी किया वीडियो
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Published : Feb 13, 2021, 10:49 PM IST

देहरादून : जोशीमठ के रैणी गांव में आयी आपदा के बाद से ही लगातार राहत बचाव कार्य जारी है. वहीं, हाल ही में रैणी गांव के समीप देखी गई झील को लेकर अब स्थिति लगभग स्पष्ट हो गई है. एक ओर वाडिया के वैज्ञानिक झील की जानकारी जुटाने में जुटे हैं वहीं ऋषिगंगा वैली में मौजूद झील का निरीक्षण करने के लिए एसडीआरएफ की टीम पहुंच गई है.

मौके पर पहुंचे एसडीआरएफ कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने झील का मुआयना किया. यह बात निकलकर सामने आई कि इस झील का पानी बिल्कुल साफ है और ठीक-ठाक मात्रा में इस झील से पानी निकल रहा है. ऐसे में यह झील खतरनाक नहीं है.

SDRF ने जारी किया वीडियो

नवनीत भुल्लर ने एक वीडियो साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि इस झील की चौड़ाई 50 मीटर के करीब है. इसके साथ ही इसकी लंबाई फिलहाल 200 मीटर तो दिखाई दे रही है लेकिन आगे से मोड़ होने की वजह से पूरी लंबाई दिखाई नहीं दे रही.

वीडियो में नवनीत भुल्लर बताते हैं कि झील के एक किनारे से अच्छा खासा पानी डिस्चार्ज हो रहा है, यानी एक रिवर की तरह पानी डिस्चार्ज हो रहा है.

झील का पानी बिल्कुल साफ है. यही नहीं, जहां लेक बनी है उसके मुहाने पर जो मलबा इकट्ठा है वो करीब 500-700 मीटर तक का है जिसमें बर्फ भी शामिल है. इसके साथ ही मलबे पर कुछ जगहों पर पानी भी जमा हुआ दिखाई दे रहा है.

सरकार ने झील के निरीक्षण के लिए बनाई थी कमेटी

गौर हो कि ऋषिगंगा वैली में झील की सूचना मिलने के बाद से ही वैज्ञानिक लगातार हेलीकॉप्टर के माध्यम से उसका निरीक्षण कर रहे थे, जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने इस झील के निरीक्षण करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था. इसी सिलसिले में एसडीआरएफ की टीम को इस झील के निरीक्षण करने के लिए रवाना किया गया था.

बता दें ऋषिगंगा के मुहाने पर बनी झील के पानी से फिलहाल कोई खतरा न हो, लेकिन लगातार राज्य आपदा प्रतिवादन बल उत्तराखंड (SDRF) सतर्क है, राहत एवं बचाव कार्यों में लगा हुआ है. पेंग से लेकर तपोवन तक SDRF द्वारा मैन्युअली अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है.

पढ़ें- सीमा विवाद : चालाक ड्रैगन से पाना है पार तो भारत को देना होगा रणनीति को धार

पेंग, रैणी व तपोवन में SDRF की एक एक टीम तैनात की गई है. दूरबीन, सैटेलाइट फोन व PA सिस्टम से लैस SDRF की टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देंगी.

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण डीआईजी एसडीआरएफ ने बताया कि SDRF की टीमें लगातार सैटेलाइट फोन के माध्यम से सम्पर्क में हैं.

देहरादून : जोशीमठ के रैणी गांव में आयी आपदा के बाद से ही लगातार राहत बचाव कार्य जारी है. वहीं, हाल ही में रैणी गांव के समीप देखी गई झील को लेकर अब स्थिति लगभग स्पष्ट हो गई है. एक ओर वाडिया के वैज्ञानिक झील की जानकारी जुटाने में जुटे हैं वहीं ऋषिगंगा वैली में मौजूद झील का निरीक्षण करने के लिए एसडीआरएफ की टीम पहुंच गई है.

मौके पर पहुंचे एसडीआरएफ कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने झील का मुआयना किया. यह बात निकलकर सामने आई कि इस झील का पानी बिल्कुल साफ है और ठीक-ठाक मात्रा में इस झील से पानी निकल रहा है. ऐसे में यह झील खतरनाक नहीं है.

SDRF ने जारी किया वीडियो

नवनीत भुल्लर ने एक वीडियो साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि इस झील की चौड़ाई 50 मीटर के करीब है. इसके साथ ही इसकी लंबाई फिलहाल 200 मीटर तो दिखाई दे रही है लेकिन आगे से मोड़ होने की वजह से पूरी लंबाई दिखाई नहीं दे रही.

वीडियो में नवनीत भुल्लर बताते हैं कि झील के एक किनारे से अच्छा खासा पानी डिस्चार्ज हो रहा है, यानी एक रिवर की तरह पानी डिस्चार्ज हो रहा है.

झील का पानी बिल्कुल साफ है. यही नहीं, जहां लेक बनी है उसके मुहाने पर जो मलबा इकट्ठा है वो करीब 500-700 मीटर तक का है जिसमें बर्फ भी शामिल है. इसके साथ ही मलबे पर कुछ जगहों पर पानी भी जमा हुआ दिखाई दे रहा है.

सरकार ने झील के निरीक्षण के लिए बनाई थी कमेटी

गौर हो कि ऋषिगंगा वैली में झील की सूचना मिलने के बाद से ही वैज्ञानिक लगातार हेलीकॉप्टर के माध्यम से उसका निरीक्षण कर रहे थे, जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने इस झील के निरीक्षण करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था. इसी सिलसिले में एसडीआरएफ की टीम को इस झील के निरीक्षण करने के लिए रवाना किया गया था.

बता दें ऋषिगंगा के मुहाने पर बनी झील के पानी से फिलहाल कोई खतरा न हो, लेकिन लगातार राज्य आपदा प्रतिवादन बल उत्तराखंड (SDRF) सतर्क है, राहत एवं बचाव कार्यों में लगा हुआ है. पेंग से लेकर तपोवन तक SDRF द्वारा मैन्युअली अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है.

पढ़ें- सीमा विवाद : चालाक ड्रैगन से पाना है पार तो भारत को देना होगा रणनीति को धार

पेंग, रैणी व तपोवन में SDRF की एक एक टीम तैनात की गई है. दूरबीन, सैटेलाइट फोन व PA सिस्टम से लैस SDRF की टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देंगी.

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण डीआईजी एसडीआरएफ ने बताया कि SDRF की टीमें लगातार सैटेलाइट फोन के माध्यम से सम्पर्क में हैं.

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