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SCO Summit In India: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिले एस जयशंकर, द्विपक्षीय संबंधों पर हुई चर्चा

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की. उन्होंने क्रेमलिन पर हमले के एक दिन बाद रूसी समकक्ष के साथ मुलाकात की और यूक्रेन विवाद पर भी चर्चा की. पढ़ें इसे लेकर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

S Jaishankar meets Russian Foreign Minister Sergei Lavrov
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिले एस जयशंकर
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Published : May 4, 2023, 7:55 PM IST

नयी दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने गुरुवार को गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. बता दें कि एक दिन पहले ही क्रेमलिन ने यूक्रेन पर आरोप लगाया था कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मारने की कोशिश में रूस पर ड्रोन से हमला किया गया. बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग, यूक्रेन संघर्ष के साथ-साथ पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के संपूर्ण विस्तार की समीक्षा की.

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट किया कि रूस के एफएम सर्गेई लावरोव के साथ हमारे द्विपक्षीय, वैश्विक और बहुपक्षीय सहयोग की व्यापक समीक्षा. भारत के एससीओ अध्यक्ष पद के लिए रूस के समर्थन की सराहना की. जी20 और ब्रिक्स के मुद्दों पर भी चर्चा की. रूसी विदेश मंत्री 5 मई, शुक्रवार को होने वाली एससीओ एफएम की बैठक में शामिल होने के लिए गुरुवार सुबह गोवा पहुंचे. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक के मौके पर बेनाउलिम के एक बीच रिसॉर्ट में वार्ता हुई.

रूसी और भारतीय समकक्षों के बीच बैठक वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव की पृष्ठभूमि में हो रही है. हालांकि, इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि वार्ता के दौरान व्यापार संबंधी मुद्दों पर चर्चा हुई या नहीं. यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारत रूस पर उस व्यापार असंतुलन को तत्काल दूर करने के लिए दबाव डालता रहा है जो मास्को, रूस के पक्ष में रहा है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हाल के वर्षों में भारत द्वारा यूक्रेन संकट की पृष्ठभूमि में रूसी तेल की खरीद शुरू करने के बाद भारत और रूस के बीच व्यापार में काफी वृद्धि हुई है.

जब यूक्रेन संकट की बात आती है तो भारत बहुत ही अजीब स्थिति में है, क्योंकि पश्चिम के दबाव के बावजूद उसने खुले तौर पर यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है. भारत ने बार-बार अपनी स्थिति दोहराई है कि संघर्ष को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) 2001 में स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है.

पढ़ें: बिलावल भुट्टो गोवा में एससीओ बैठक में हिस्सा लेने के लिए गोवा पहुंचे

एससीओ की सदस्यता में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. 2017 में सदस्य बनने के बाद से यह पहली बार है, जब भारत ने समूह की अध्यक्षता संभाली है. दिल्ली इस साल जुलाई में एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा.

नयी दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने गुरुवार को गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. बता दें कि एक दिन पहले ही क्रेमलिन ने यूक्रेन पर आरोप लगाया था कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मारने की कोशिश में रूस पर ड्रोन से हमला किया गया. बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग, यूक्रेन संघर्ष के साथ-साथ पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के संपूर्ण विस्तार की समीक्षा की.

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट किया कि रूस के एफएम सर्गेई लावरोव के साथ हमारे द्विपक्षीय, वैश्विक और बहुपक्षीय सहयोग की व्यापक समीक्षा. भारत के एससीओ अध्यक्ष पद के लिए रूस के समर्थन की सराहना की. जी20 और ब्रिक्स के मुद्दों पर भी चर्चा की. रूसी विदेश मंत्री 5 मई, शुक्रवार को होने वाली एससीओ एफएम की बैठक में शामिल होने के लिए गुरुवार सुबह गोवा पहुंचे. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक के मौके पर बेनाउलिम के एक बीच रिसॉर्ट में वार्ता हुई.

रूसी और भारतीय समकक्षों के बीच बैठक वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव की पृष्ठभूमि में हो रही है. हालांकि, इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि वार्ता के दौरान व्यापार संबंधी मुद्दों पर चर्चा हुई या नहीं. यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारत रूस पर उस व्यापार असंतुलन को तत्काल दूर करने के लिए दबाव डालता रहा है जो मास्को, रूस के पक्ष में रहा है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हाल के वर्षों में भारत द्वारा यूक्रेन संकट की पृष्ठभूमि में रूसी तेल की खरीद शुरू करने के बाद भारत और रूस के बीच व्यापार में काफी वृद्धि हुई है.

जब यूक्रेन संकट की बात आती है तो भारत बहुत ही अजीब स्थिति में है, क्योंकि पश्चिम के दबाव के बावजूद उसने खुले तौर पर यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है. भारत ने बार-बार अपनी स्थिति दोहराई है कि संघर्ष को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) 2001 में स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है.

पढ़ें: बिलावल भुट्टो गोवा में एससीओ बैठक में हिस्सा लेने के लिए गोवा पहुंचे

एससीओ की सदस्यता में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. 2017 में सदस्य बनने के बाद से यह पहली बार है, जब भारत ने समूह की अध्यक्षता संभाली है. दिल्ली इस साल जुलाई में एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा.

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