नई दिल्ली/रायपुर: धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का रुख करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है. आरोप लगाया गया है कि गैर बीजेपी राज्यों में केंद्रीय जांच एजेंसियों के सामान्य कामकाज का दुरुपयोग धमकाने और परेशान करने के लिए किया जा रहा है. राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ के समक्ष आरोप लगाया कि राज्य के आबकारी विभाग के कई अधिकारियों को धमकाया जा रहा है, जिसकी शिकायत की गई है. दावा किया कि ईडी आबकारी विभाग के अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तारी की धमकी दे रहा है. साथ ही मुख्यमंत्री को फंसाने की कोशिश कर रहा है.
'बौखलाया हुआ है ईडी': छत्तीसगढ़ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि ''ईडी बौखलाया हुआ है. वे आबकारी अधिकारियों को धमका रहे हैं. यह चौंकाने वाली स्थिति है. चुनाव आ रहे हैं. इसलिए यह सब हो रहा है."
'छत्तीसगढ़ में की जा रही है घोटाले की जांच': ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने आरोपों का खंडन किया. कहा "एजेंसी राज्य में एक घोटाले की जांच कर रही है." इस पर पीठ ने कहा "जब आप इस तरह का व्यवहार करते हैं तो एक वास्तविक कारण भी संदिग्ध हो जाता है. भय का माहौल न बनाएं."
अनुच्छेद 131 के तहत दी गई है चुनौती: भूपेश बघेल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए वकील सुमीर सोढ़ी के माध्यम से मुकदमा दायर किया है. अनुच्छेद 131 किसी राज्य को केंद्र या किसी अन्य राज्य के साथ विवाद के मामलों में सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जाने का अधिकार देता है.
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आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों ने की है शिकायत: राज्य सरकर ने याचिका में पक्षकार बनाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है. इसमें दावा किया गया है कि आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों ने जांच के दौरान ईडी अधिकारियों पर मानसिक और शारीरिक यातना का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत की है. ईडी उनके मुताबिक बयान न देने पर आबकारी विभाग के अधिकारियों की गिरफ्तारी या उनके परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी की धमकी दे रही है.
राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कर रही काम: राज्य सरकार की ओर से दावा किया गया कि ईडी की कार्रवाई न केवल जबरदस्ती, अवैध, पक्षपातपूर्ण, सनकी, राजनीतिक रूप से प्रेरित है, बल्कि पूरी तरह से अधिकार क्षेत्र और कानून के अधिकार के बिना भी है. जांच एजेंसी राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम कर रही है. जांच पूरी तरह से पक्षपाती, गैर स्वतंत्र है. साथ ही छत्तीसगढ़ में अस्थिरता लाने के लिए किया जा रहा है.
(स्त्रोत-पीटीआई)