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ओडिशा में वकीलों के प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट: कार्यवाही बाधित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा, पीठ की स्थापना की बहुत उम्मीद नहीं है, अब तो उम्मीद और कम हो गई है. अगर कुछ संभावना भी थी, तो अब वह उनके आचरण के कारण खत्म हो गई है.

Etv Bharat SC on the protest of lawyers in Odisha
Etv Bharat ओडिशा में वकीलों के प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट
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Published : Dec 15, 2022, 6:38 AM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को चेतावनी दी कि वह 'बार' के सदस्यों सहित ओडिशा के कुछ जिलों में अदालतों में तोड़फोड़ और कार्यवाही बाधित करने वालों पर सख्त कार्रवाई करेगा. साथ ही, शीर्ष अदालत ने हालात पर काबू पाने में पूरी तरह विफल रहने के लिए राज्य पुलिस को फटकार लगाई. शीर्ष अदालत ने कहा कि पश्चिमी ओडिशा में उच्च न्यायालय की एक स्थायी पीठ की स्थापना की मांग 'प्रतिष्ठा का मुद्दा' बन गई है. साथ ही, कहा कि अदालतों के कामकाज में प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के मद्देनजर उच्च न्यायालय की एक और पीठ होने का कोई औचित्य नहीं है

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा, पीठ की स्थापना की बहुत उम्मीद नहीं है, अब तो उम्मीद और कम हो गई है. अगर कुछ संभावना भी थी, तो अब वह उनके आचरण के कारण खत्म हो गई है. शीर्ष अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुए ओडिशा के पुलिस महानिदेशक और संबलपुर के महानिरीक्षक से कहा कि अगर राज्य पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ है, तो अदालत इससे निपटने के लिए वहां अर्द्धसैनिक बलों को भेज देगी. पीठ ने कहा कि हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए.

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने पीठ को सूचित किया कि उसने संबलपुर जिला बार एसोसिएशन के 43 प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं को कथित तौर पर तोड़फोड़ में शामिल होने के लिए निलंबित कर दिया है. पीठ ने कहा, ऐसे लोगों को वकील क्यों होना चाहिए? साथ ही आगाह किया, हम बेहद सख्त कार्रवाई करेंगे. संबलपुर के महानिरीक्षक ने पीठ को बताया कि जिला अदालत के आसपास त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है और शीर्ष अदालत के अंतिम आदेश के बाद 15 प्लाटून पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है. उन्होंने बताया कि उपद्रव करने वालों के खिलाफ तीन आपराधिक मामले दर्ज किये गये हैं. डीजीपी ने अदालत को बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है.

पीठ ने कहा कि डीजीपी और आईजी ने अदालत को आश्वासन दिया है कि वहां जो कुछ भी हुआ है, वह दोबारा नहीं होगा और किसी भी तरह से अदालती कार्यवाही में व्यवधान की अनुमति नहीं दी जाएगी. संबलपुर में 12 दिसंबर की घटना के बारे में अदालत के समक्ष रखी गई रिपोर्ट पर पीठ ने कहा कि कानून व्यवस्था को नियंत्रित करना पुलिस का काम है. रिपोर्ट में कहा गया कि अदालत की इमारत पर पत्थर फेंके गए और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को चेतावनी दी कि वह 'बार' के सदस्यों सहित ओडिशा के कुछ जिलों में अदालतों में तोड़फोड़ और कार्यवाही बाधित करने वालों पर सख्त कार्रवाई करेगा. साथ ही, शीर्ष अदालत ने हालात पर काबू पाने में पूरी तरह विफल रहने के लिए राज्य पुलिस को फटकार लगाई. शीर्ष अदालत ने कहा कि पश्चिमी ओडिशा में उच्च न्यायालय की एक स्थायी पीठ की स्थापना की मांग 'प्रतिष्ठा का मुद्दा' बन गई है. साथ ही, कहा कि अदालतों के कामकाज में प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के मद्देनजर उच्च न्यायालय की एक और पीठ होने का कोई औचित्य नहीं है

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा, पीठ की स्थापना की बहुत उम्मीद नहीं है, अब तो उम्मीद और कम हो गई है. अगर कुछ संभावना भी थी, तो अब वह उनके आचरण के कारण खत्म हो गई है. शीर्ष अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुए ओडिशा के पुलिस महानिदेशक और संबलपुर के महानिरीक्षक से कहा कि अगर राज्य पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ है, तो अदालत इससे निपटने के लिए वहां अर्द्धसैनिक बलों को भेज देगी. पीठ ने कहा कि हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए.

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने पीठ को सूचित किया कि उसने संबलपुर जिला बार एसोसिएशन के 43 प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं को कथित तौर पर तोड़फोड़ में शामिल होने के लिए निलंबित कर दिया है. पीठ ने कहा, ऐसे लोगों को वकील क्यों होना चाहिए? साथ ही आगाह किया, हम बेहद सख्त कार्रवाई करेंगे. संबलपुर के महानिरीक्षक ने पीठ को बताया कि जिला अदालत के आसपास त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है और शीर्ष अदालत के अंतिम आदेश के बाद 15 प्लाटून पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है. उन्होंने बताया कि उपद्रव करने वालों के खिलाफ तीन आपराधिक मामले दर्ज किये गये हैं. डीजीपी ने अदालत को बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है.

पीठ ने कहा कि डीजीपी और आईजी ने अदालत को आश्वासन दिया है कि वहां जो कुछ भी हुआ है, वह दोबारा नहीं होगा और किसी भी तरह से अदालती कार्यवाही में व्यवधान की अनुमति नहीं दी जाएगी. संबलपुर में 12 दिसंबर की घटना के बारे में अदालत के समक्ष रखी गई रिपोर्ट पर पीठ ने कहा कि कानून व्यवस्था को नियंत्रित करना पुलिस का काम है. रिपोर्ट में कहा गया कि अदालत की इमारत पर पत्थर फेंके गए और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया.

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