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कैदियों के लिए मतदान का अधिकार मांगने वाली याचिका पर SC ने मांगा केंद्र और ईसी से जवाब

जेल में बंद कैदियों को मतदान का अनुमति नहीं है. उन्हें यह अधिकार दिलाने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में जन प्रतिनिधित्व कानून के उस प्रावधान की वैधता को चुनौती दी गई है जो कैदियों को मताधिकार से वंचित करता है. शीर्ष कोर्ट ने इस पर केंद्र और चुनाव आयोग (EC) से जवाब मांगा है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 31, 2022, 3:34 PM IST

Updated : Oct 31, 2022, 6:02 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग (Election Commission) को नोटिस जारी किया, जो कैदियों को उनके मतदान के अधिकार से वंचित करता है.

प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी ने अधिवक्ता जोहेब हुसैन की दलीलों पर विचार किया और गृह मंत्रालय (एमएचए) और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. पीठ ने जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई 29 दिसंबर को तय की है.

दरअसल याचिका 2019 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य प्रसन्ना भट्टाचार्य ने दायर की थी, जिसमें अधिनियम की धारा 62 (5) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.

याचिका में तर्क दिया गया कि 'दीवानी जेल में बंद लोग भी अपने वोट के अधिकार से वंचित हैं. इस तरह कारावास के उद्देश्य के आधार पर यह कोई उचित वर्गीकरण नहीं है. इसमें अपराध की प्रकृति या सजा की अवधि के आधार पर किसी भी प्रकार के उचित वर्गीकरण का अभाव है. यह अभाव अनुच्छेद 14 के तहत समानता के मौलिक अधिकार के लिए अभिशाप है.'

पढ़ें- मतदाता सूची को आधार से जोड़ने के केंद्र के फैसले के खिलाफ याचिका, SC में होगी सुनवाई

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग (Election Commission) को नोटिस जारी किया, जो कैदियों को उनके मतदान के अधिकार से वंचित करता है.

प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी ने अधिवक्ता जोहेब हुसैन की दलीलों पर विचार किया और गृह मंत्रालय (एमएचए) और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. पीठ ने जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई 29 दिसंबर को तय की है.

दरअसल याचिका 2019 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य प्रसन्ना भट्टाचार्य ने दायर की थी, जिसमें अधिनियम की धारा 62 (5) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.

याचिका में तर्क दिया गया कि 'दीवानी जेल में बंद लोग भी अपने वोट के अधिकार से वंचित हैं. इस तरह कारावास के उद्देश्य के आधार पर यह कोई उचित वर्गीकरण नहीं है. इसमें अपराध की प्रकृति या सजा की अवधि के आधार पर किसी भी प्रकार के उचित वर्गीकरण का अभाव है. यह अभाव अनुच्छेद 14 के तहत समानता के मौलिक अधिकार के लिए अभिशाप है.'

पढ़ें- मतदाता सूची को आधार से जोड़ने के केंद्र के फैसले के खिलाफ याचिका, SC में होगी सुनवाई

(आईएएनएस)

Last Updated : Oct 31, 2022, 6:02 PM IST
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