नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने किसान महापंचायत को लेकर सुनवाई की. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति के लिए सोमवार तक हलफनामा दायर करें.
वहीं, कोर्ट ने यह नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि आंदोलन के चलते राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 'सत्याग्रह' करने की अनुमति मांग रहे किसानों के एक संगठन से कहा कि आपने शहर को घेर लिया है और अब आप अंदर आकर प्रदर्शन करना चाहते हैं.
कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान यातायात बाधित कर रहे हैं, ट्रेनों और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि आपने पूरे शहर को अवरुद्ध कर रखा है, और अब आप शहर के भीतर आकर प्रदर्शन करना चाहते हैं. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस रविकुमार की बेंच ने कहा कि आप कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, इसका मतलब है कि आपको कोर्ट पर भरोसा है. फिर विरोध-प्रदर्शन की क्या जरुरत है.
बता दें, केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों (three new agricultural laws) के खिलाफ हरियाणा, पंजाब और यूपी के किसान बीते कई माह से दिल्ली की सीमा पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. सर्दी, गर्मी और बरसात के महीने बीत चुके हैं मगर किसान धरना स्थल खाली करने को तैयार नहीं हैं, और ना ही उनका हौसला डिगा है. हालांकि इस लंबे वक्त में किसान आंदोलन ने कई तरह के रंग देख, कई तरह का वक्त देखा और कई तरह के मौसम देखे. 26 जनवरी को हुई घटना के बाद जब आंदोलन की आलोचना शुरू हुई तो लोगों ने कहा कि अब ये खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
एक वक्त गाजीपुर बॉर्डर पर बहुत कम किसान बचे थे और रात में पुलिस फोर्स ने धरना स्थल को चारों तरफ से घेर लिया. राकेश टिकैत को उस वक्त लगा कि मामला बिगड़ रहा है और फिर कैमरे पर उनकी आंखों से आंसू टपक गए और वो आंसू लोगों का सैलाब लेकर आया. अब आंदोलन को 300 दिन (Farmer protest 300 Days) से ज्यादा हो गए हैं और ये एक तरीके से आम जिंदगी जैसा हो गया है.