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सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के आईपीएस अधिकारी का निलंबन किया रद - सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के आईपीएस अधिकारी का निलंबन किया रद

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश की विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और पूर्व पुलिस एडीजी (खुफिया) एबी वेंकटेश्वर राव का निलंबन रद करने का आदेश दिया (sc revokes andhra ips officer AB Venkateswara Rao suspension). जानिए क्या है पूरा मामला.

AB Venkateswara Rao
एबी वेंकटेश्वर राव
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Published : Apr 23, 2022, 7:47 PM IST

अमरावती : सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और पूर्व पुलिस एडीजी (खुफिया) एबी वेंकटेश्वर राव का निलंबन रद कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज करते हुए स्पष्ट कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि निलंबन अधिकतम दो साल के लिए हो सकता है और चूंकि दो साल की अवधि समाप्त हो गई है इसलिए निलंबन रद किया जाए.

दरअसल फरवरी 2020 में राज्य सरकार ने वेंकटेश्वर राव को उनके कथित कदाचार और एक इजरायली कंपनी से सुरक्षा उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं के लिए निलंबित कर दिया था. सरकार ने बयान में कहा था कि राव ने एक विदेशी निगरानी कंपनी को पुलिस सुरक्षा प्रोटोकॉल प्रणाली का विवरण सौंपा था जो राष्ट्रीय और राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती थी.

कोर्ट को आदेश पर एबी वेंकटेश्वर राव ने कहा कि, 'मैं हमेशा कानूनी रूप से आगे बढ़ा. निलंबन से लड़ने के लिए कानूनी सहारा लिया, जबकि सरकार ने केस जीतने के लिए बड़ी रकम खर्च की. मुझे एक झूठी रिपोर्ट के आधार पर निलंबित कर दिया गया था. हाईकोर्ट ने निलंबन रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आज इसकी पुष्टि की, लेकिन इसमें दो साल से ज्यादा का समय लगा. राव से पूछा कि ऐसा क्यों हुआ कि राज्य सरकार केस क्यों हार गई? क्या यह किसी को खुश करने के लिए किया गया था?'

'मेरे खिलाफ दुष्प्रचार अभियान शुरू किया था' : निलंबन रद होने के बाद उन्होंने अदालत परिसर में मीडिया से बात की. उन्होंने कहा कि 'मुझे 8 फरवरी, 2020 की आधी रात को निलंबित कर दिया गया था और उसी समय, सीएम के सीपीआरओ पुदी श्रीहरि ने मेरे खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान शुरू किया था. साक्षी टीवी पर दो दिनों तक इसका खूब प्रचार किया गया. इस झूठे प्रचार पर कई लोगों को विश्वास दिलाया गया. इसलिए, मैंने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है कि मैं कानूनी सहारा लूंगा. जब मैं निलंबन को लेकर कैट में गया तो राज्य सरकार ने वरिष्ठ वकील प्रकाश रेड्डी को हॉयर किया और उन्हें 20 लाख रुपये का भुगतान किया. एजी ने उच्च न्यायालय में सरकार का प्रतिनिधित्व किया और मुझे नहीं पता कि उन्हें कितना भुगतान किया गया था. सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के लिए वकीलों की एक टीम नियुक्त की गई थी. करोड़ों रुपये खर्च हुए होंगे. मैं मांग करता हूं कि सरकार मुझे कानूनी खर्चों के लिए उस पैसे के बराबर भुगतान करे जो उसने केस लड़ने पर खर्च किया.'

'विशेषज्ञों ने गढ़ी रिपोर्ट' : एबी वेंकटेश्वर राव ने कहा कि 'एक एडीजी (सीआईडी) द्वारा लिखी गई झूठी रिपोर्ट के आधार पर, जो एक डीजीपी द्वारा दिए गए जालसाजी ज्ञापन पर आधारित थी, तत्कालीन मुख्य सचिवों ने आंख बंद करके 24 घंटे के भीतर निलंबन आदेश जारी किए. झूठी रिपोर्टों के आधार पर निलंबन को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था. तीन वरिष्ठ अधिकारियों की एक समीक्षा समिति ने निलंबन को बढ़ाने की सिफारिश की थी. मैंने सरकार को गुमराह करने वाले अधिकारियों के आचरण की जानकारी भी सरकार को दी.

'सरकार बेबुनियाद केस लड़ने में क्यों बर्बाद कर रही पैसा' : मुझे नहीं पता कि उन्होंने कोई कार्रवाई की. डीएसपी से लेकर मुख्य सचिव तक सभी ने बेबुनियाद रिपोर्ट लिखीं. उन्होंने केंद्र सरकार को दी गई रिपोर्ट और अदालती हलफनामों में भी यही दोहराया. क्या किसी ने उन रिपोर्टों को पढ़ा? किसी ने सवाल क्यों नहीं किया? क्या कोई व्यावसायिकता है? सरकार टैक्स का पैसा बेबुनियाद केस लड़ने में क्यों बर्बाद कर रही है? उन्हें मेहनत की कीमत तब पता चले अगर वे खेतों की जुताई करें, पानी दें या सुबह से शाम तक काम करें. क्या उन अधिकारियों के लिए ऐसे तुच्छ और झूठे मामलों पर टैक्स का पैसा खर्च करना गलत नहीं है? क्या इसलिए हम IAS और IPS अधिकारी बन गए हैं? मैं सरकार से उन अधिकारियों को दंडित करने का आग्रह करता हूं जिन्होंने सरकार को गुमराह किया और अवैध, अनुचित और मनमाना निर्णय लिया.

'यूपीएससी को प्रभावित करने की कोशिश' : राव ने कहा कि उन्होंने जवाब तब दिया जब जांच रिपोर्ट आई. उन्होंने कहा कि इसे केंद्र सरकार और फिर यूपीएससी को भेजा गया था. यूपीएससी ने कहा कि समीक्षा में तीन से चार महीने लगेंगे. हालांकि, कुछ सरकारी विशेषज्ञों ने यूपीएससी से संपर्क किया था और उनसे अपने पक्ष में रिपोर्ट लिखने को कहा था. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को गुमराह करने के कारण सरकार मामले पर हुए खर्च की वसूली कर सकती है. उन्होंने कहा कि करदाताओं के एक-एक रुपये का हिसाब होना चाहिए.

'दोषियों पर कार्रवाई होने तक लड़ाई जारी रखेंगे' : उन्होंने कहा कि सीएस ने जवाब देने की जहमत नहीं उठाई जब उनसे निलंबन रद करने के लिए कहा, क्योंकि राज्य सरकार के पास उन्हें दो साल से अधिक के लिए निलंबित करने की शक्ति नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर सीएस समय पर जवाब देते तो पूरे बवाल से बचा जा सकता था. उन्होंने चेतावनी दी कि दोषियों पर कार्रवाई होने तक वह अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि इस मामले में राजनेताओं का हाथ था, उन्होंने कहा कि वह सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वह उन पर दर्ज आपराधिक मामले के खिलाफ कानूनी सहारा लेंगे. राव ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्यालय को रिपोर्ट करेंगे.

पढ़ें- निलंबित आईपीएस अधिकारी ने आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकारियों पर 'जालसाजी' का आरोप लगाया

अमरावती : सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और पूर्व पुलिस एडीजी (खुफिया) एबी वेंकटेश्वर राव का निलंबन रद कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज करते हुए स्पष्ट कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि निलंबन अधिकतम दो साल के लिए हो सकता है और चूंकि दो साल की अवधि समाप्त हो गई है इसलिए निलंबन रद किया जाए.

दरअसल फरवरी 2020 में राज्य सरकार ने वेंकटेश्वर राव को उनके कथित कदाचार और एक इजरायली कंपनी से सुरक्षा उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं के लिए निलंबित कर दिया था. सरकार ने बयान में कहा था कि राव ने एक विदेशी निगरानी कंपनी को पुलिस सुरक्षा प्रोटोकॉल प्रणाली का विवरण सौंपा था जो राष्ट्रीय और राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती थी.

कोर्ट को आदेश पर एबी वेंकटेश्वर राव ने कहा कि, 'मैं हमेशा कानूनी रूप से आगे बढ़ा. निलंबन से लड़ने के लिए कानूनी सहारा लिया, जबकि सरकार ने केस जीतने के लिए बड़ी रकम खर्च की. मुझे एक झूठी रिपोर्ट के आधार पर निलंबित कर दिया गया था. हाईकोर्ट ने निलंबन रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आज इसकी पुष्टि की, लेकिन इसमें दो साल से ज्यादा का समय लगा. राव से पूछा कि ऐसा क्यों हुआ कि राज्य सरकार केस क्यों हार गई? क्या यह किसी को खुश करने के लिए किया गया था?'

'मेरे खिलाफ दुष्प्रचार अभियान शुरू किया था' : निलंबन रद होने के बाद उन्होंने अदालत परिसर में मीडिया से बात की. उन्होंने कहा कि 'मुझे 8 फरवरी, 2020 की आधी रात को निलंबित कर दिया गया था और उसी समय, सीएम के सीपीआरओ पुदी श्रीहरि ने मेरे खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान शुरू किया था. साक्षी टीवी पर दो दिनों तक इसका खूब प्रचार किया गया. इस झूठे प्रचार पर कई लोगों को विश्वास दिलाया गया. इसलिए, मैंने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है कि मैं कानूनी सहारा लूंगा. जब मैं निलंबन को लेकर कैट में गया तो राज्य सरकार ने वरिष्ठ वकील प्रकाश रेड्डी को हॉयर किया और उन्हें 20 लाख रुपये का भुगतान किया. एजी ने उच्च न्यायालय में सरकार का प्रतिनिधित्व किया और मुझे नहीं पता कि उन्हें कितना भुगतान किया गया था. सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के लिए वकीलों की एक टीम नियुक्त की गई थी. करोड़ों रुपये खर्च हुए होंगे. मैं मांग करता हूं कि सरकार मुझे कानूनी खर्चों के लिए उस पैसे के बराबर भुगतान करे जो उसने केस लड़ने पर खर्च किया.'

'विशेषज्ञों ने गढ़ी रिपोर्ट' : एबी वेंकटेश्वर राव ने कहा कि 'एक एडीजी (सीआईडी) द्वारा लिखी गई झूठी रिपोर्ट के आधार पर, जो एक डीजीपी द्वारा दिए गए जालसाजी ज्ञापन पर आधारित थी, तत्कालीन मुख्य सचिवों ने आंख बंद करके 24 घंटे के भीतर निलंबन आदेश जारी किए. झूठी रिपोर्टों के आधार पर निलंबन को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था. तीन वरिष्ठ अधिकारियों की एक समीक्षा समिति ने निलंबन को बढ़ाने की सिफारिश की थी. मैंने सरकार को गुमराह करने वाले अधिकारियों के आचरण की जानकारी भी सरकार को दी.

'सरकार बेबुनियाद केस लड़ने में क्यों बर्बाद कर रही पैसा' : मुझे नहीं पता कि उन्होंने कोई कार्रवाई की. डीएसपी से लेकर मुख्य सचिव तक सभी ने बेबुनियाद रिपोर्ट लिखीं. उन्होंने केंद्र सरकार को दी गई रिपोर्ट और अदालती हलफनामों में भी यही दोहराया. क्या किसी ने उन रिपोर्टों को पढ़ा? किसी ने सवाल क्यों नहीं किया? क्या कोई व्यावसायिकता है? सरकार टैक्स का पैसा बेबुनियाद केस लड़ने में क्यों बर्बाद कर रही है? उन्हें मेहनत की कीमत तब पता चले अगर वे खेतों की जुताई करें, पानी दें या सुबह से शाम तक काम करें. क्या उन अधिकारियों के लिए ऐसे तुच्छ और झूठे मामलों पर टैक्स का पैसा खर्च करना गलत नहीं है? क्या इसलिए हम IAS और IPS अधिकारी बन गए हैं? मैं सरकार से उन अधिकारियों को दंडित करने का आग्रह करता हूं जिन्होंने सरकार को गुमराह किया और अवैध, अनुचित और मनमाना निर्णय लिया.

'यूपीएससी को प्रभावित करने की कोशिश' : राव ने कहा कि उन्होंने जवाब तब दिया जब जांच रिपोर्ट आई. उन्होंने कहा कि इसे केंद्र सरकार और फिर यूपीएससी को भेजा गया था. यूपीएससी ने कहा कि समीक्षा में तीन से चार महीने लगेंगे. हालांकि, कुछ सरकारी विशेषज्ञों ने यूपीएससी से संपर्क किया था और उनसे अपने पक्ष में रिपोर्ट लिखने को कहा था. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को गुमराह करने के कारण सरकार मामले पर हुए खर्च की वसूली कर सकती है. उन्होंने कहा कि करदाताओं के एक-एक रुपये का हिसाब होना चाहिए.

'दोषियों पर कार्रवाई होने तक लड़ाई जारी रखेंगे' : उन्होंने कहा कि सीएस ने जवाब देने की जहमत नहीं उठाई जब उनसे निलंबन रद करने के लिए कहा, क्योंकि राज्य सरकार के पास उन्हें दो साल से अधिक के लिए निलंबित करने की शक्ति नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर सीएस समय पर जवाब देते तो पूरे बवाल से बचा जा सकता था. उन्होंने चेतावनी दी कि दोषियों पर कार्रवाई होने तक वह अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि इस मामले में राजनेताओं का हाथ था, उन्होंने कहा कि वह सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वह उन पर दर्ज आपराधिक मामले के खिलाफ कानूनी सहारा लेंगे. राव ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्यालय को रिपोर्ट करेंगे.

पढ़ें- निलंबित आईपीएस अधिकारी ने आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकारियों पर 'जालसाजी' का आरोप लगाया

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