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सुप्रीम कोर्ट ने आईसीएसई और सीबीएसई द्वारा तैयार फॉर्मूले पर विश्वास जताया

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने आज कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा ( board exams) आयोजित करने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar ) और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ( Justice Dinesh Maheshwari) की खंडपीठ ने बोर्डों द्वारा तैयार किए गए फॉर्मूले के खिलाफ कुछ दलों द्वारा किए गए सभी विरोधों को खारिज कर दिया और कहा कि 13 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति (expert committee) द्वारा सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया था.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jun 22, 2021, 6:07 PM IST

Updated : Jun 22, 2021, 6:56 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने आज कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा ( board exams) आयोजित करने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और पिछले वर्षों में छात्रों की आंतरिक परीक्षाओं (inetrnal exams ) के आधार पर आकलन करने के लिए आईसीएसई और सीबीएसई द्वारा तैयार किए गए फॉर्मूले में अपना विश्वास जताया.

कोर्ट का कहना है कि उसे दोनों बोर्डों के फैसलों में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं लगता, क्योंकि छात्र इसका समर्थन कर रहे हैं और यह उचित भी लगता है.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar ) और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ( Justice Dinesh Maheshwari) की खंडपीठ ने बोर्डों द्वारा तैयार किए गए फॉर्मूले के खिलाफ कुछ दलों द्वारा किए गए सभी विरोधों को खारिज कर दिया और कहा कि 13 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति (expert committee) द्वारा सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया था.

कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि CLAT, NDA जैसी अन्य परीक्षाएं हो रही हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि सीबीएसई को भी परीक्षा करवानी चाहिए.

प्रत्येक परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की संख्या अलग है, लॉजिस्टिक अलग है, प्रबंधन बोर्ड (managing board) अलग है और यह निकाय को तय करना है कि वे परीक्षा आयोजित करवाने में सक्षम होंगे या नहीं.

न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि सीबीएसई और आईसीएसई स्वायत्त निकाय (autonomous bodies) हैं और निर्णय ले सकते हैं.

यूपी के पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह (Senior Advocate Vikas Singh) ने सीबीएसई और आईसीएसई के फॉर्मूले के खिलाफ कुछ चिंता जताई थी और शुरुआत में ही ऑफ लाइन (physical exams) देने और बाद में इम्प्रूवाइजिंग का मौका मांगा था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि छात्रों को केवल एक ही विकल्प प्रदान किया जाएगा, या तो आंतरिक मूल्यांकन (internal assessment) के लिए या ऑफलाइन परीक्षा में शामिल होने का. इसलिए इस सुझाव को आगे नहीं बढ़ाया जा सका. स्कूलों की आशंकाओं पर डेटा में हेराफेरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि बोर्ड की ओर से उचित आकलन और निरीक्षण किया जाएगा.

अक्टूबर के आसपास होने वाली तीसरी कोविड लहर ( third covid wave) के बारे में उठाई गई चिंताओं और परीक्षा के लिए संभावित समय अवधि (tentative time period) भी अगस्त और अक्टूबर के बीच दी गई है.

पढ़ें - तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग 15 सितंबर तक नौ जिलों में कराए निकाय चुनाव : सुप्रीम कोर्ट

उसी दिन परिणाम घोषित (declaration of results) करने की प्रार्थना के लिए, अदालत को अटर्नी जनरल केके वेणुगोपल ( KK Venugoapl) द्वारा आश्वासन दिया गया था कि यूजीसी इसकी देखभाल कर रहा है और जब तक बोर्ड अपने परिणाम घोषित नहीं कर देते तब तक प्रवेश शुरू नहीं होंगे.

बता दें कि राज्य बोर्डों (state boards) से संबंधित मामला अभी भी अदालत में लंबित है और उस पर गुरुवार को सुनवाई होगी. तब तक आंध्र प्रदेश सरकार (Andhra Pradesh government ) को अपने निर्णय के बारे में सूचित करना होगा कि वह परीक्षा आयोजित करना चाहती है या नहीं.

कोर्ट को सूचित किया गया था कि आंध्र प्रदेश बोर्ड परीक्षा आयोजित करना चाहता है और उसे विश्वास है कि वह 5 लाख छात्रों को संभालने में सक्षम होगा.

हालांकि, अंतिम निर्णय नहीं लिया गया था और इसे जुलाई के लिए टाल दिया गया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने इसे कल तक सूचित करने और छोड़ने का आदेश दिया था. छात्र असमंजस में हैं. मामले की फिर सुनवाई 24 जून को होगी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने आज कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा ( board exams) आयोजित करने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और पिछले वर्षों में छात्रों की आंतरिक परीक्षाओं (inetrnal exams ) के आधार पर आकलन करने के लिए आईसीएसई और सीबीएसई द्वारा तैयार किए गए फॉर्मूले में अपना विश्वास जताया.

कोर्ट का कहना है कि उसे दोनों बोर्डों के फैसलों में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं लगता, क्योंकि छात्र इसका समर्थन कर रहे हैं और यह उचित भी लगता है.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar ) और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ( Justice Dinesh Maheshwari) की खंडपीठ ने बोर्डों द्वारा तैयार किए गए फॉर्मूले के खिलाफ कुछ दलों द्वारा किए गए सभी विरोधों को खारिज कर दिया और कहा कि 13 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति (expert committee) द्वारा सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया था.

कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि CLAT, NDA जैसी अन्य परीक्षाएं हो रही हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि सीबीएसई को भी परीक्षा करवानी चाहिए.

प्रत्येक परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की संख्या अलग है, लॉजिस्टिक अलग है, प्रबंधन बोर्ड (managing board) अलग है और यह निकाय को तय करना है कि वे परीक्षा आयोजित करवाने में सक्षम होंगे या नहीं.

न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि सीबीएसई और आईसीएसई स्वायत्त निकाय (autonomous bodies) हैं और निर्णय ले सकते हैं.

यूपी के पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह (Senior Advocate Vikas Singh) ने सीबीएसई और आईसीएसई के फॉर्मूले के खिलाफ कुछ चिंता जताई थी और शुरुआत में ही ऑफ लाइन (physical exams) देने और बाद में इम्प्रूवाइजिंग का मौका मांगा था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि छात्रों को केवल एक ही विकल्प प्रदान किया जाएगा, या तो आंतरिक मूल्यांकन (internal assessment) के लिए या ऑफलाइन परीक्षा में शामिल होने का. इसलिए इस सुझाव को आगे नहीं बढ़ाया जा सका. स्कूलों की आशंकाओं पर डेटा में हेराफेरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि बोर्ड की ओर से उचित आकलन और निरीक्षण किया जाएगा.

अक्टूबर के आसपास होने वाली तीसरी कोविड लहर ( third covid wave) के बारे में उठाई गई चिंताओं और परीक्षा के लिए संभावित समय अवधि (tentative time period) भी अगस्त और अक्टूबर के बीच दी गई है.

पढ़ें - तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग 15 सितंबर तक नौ जिलों में कराए निकाय चुनाव : सुप्रीम कोर्ट

उसी दिन परिणाम घोषित (declaration of results) करने की प्रार्थना के लिए, अदालत को अटर्नी जनरल केके वेणुगोपल ( KK Venugoapl) द्वारा आश्वासन दिया गया था कि यूजीसी इसकी देखभाल कर रहा है और जब तक बोर्ड अपने परिणाम घोषित नहीं कर देते तब तक प्रवेश शुरू नहीं होंगे.

बता दें कि राज्य बोर्डों (state boards) से संबंधित मामला अभी भी अदालत में लंबित है और उस पर गुरुवार को सुनवाई होगी. तब तक आंध्र प्रदेश सरकार (Andhra Pradesh government ) को अपने निर्णय के बारे में सूचित करना होगा कि वह परीक्षा आयोजित करना चाहती है या नहीं.

कोर्ट को सूचित किया गया था कि आंध्र प्रदेश बोर्ड परीक्षा आयोजित करना चाहता है और उसे विश्वास है कि वह 5 लाख छात्रों को संभालने में सक्षम होगा.

हालांकि, अंतिम निर्णय नहीं लिया गया था और इसे जुलाई के लिए टाल दिया गया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने इसे कल तक सूचित करने और छोड़ने का आदेश दिया था. छात्र असमंजस में हैं. मामले की फिर सुनवाई 24 जून को होगी.

Last Updated : Jun 22, 2021, 6:56 PM IST
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