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सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ कार्रवाई करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान के विरुद्ध अवमानना करने को लेकर दायर याचिका पर विचार करने से मना कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर... Supreme Court,Udhayanidhi Stalin,Sanatan Dharma

Supreme Court refuses to take action against Udhayanidhi Stalin
उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ कार्रवाई करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
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By IANS

Published : Nov 29, 2023, 9:44 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह 'सनातन धर्म' पर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के विवादास्पद बयान के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर विचार नहीं करेगा. जस्टिस संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा, 'अगर हम इस तरह की याचिकाओं पर विचार करना शुरू करेंगे, तो इसकी बाढ़ आ जाएगी. हम व्यक्तिगत मामलों में नहीं जाएंगे.'

पीठ ने कहा कि अगर वह व्यक्तिगत मामलों में जाना शुरू कर देगी, तो वह मुख्य मामले से ही नहीं निपट पाएगी, साथ ही यह भी कहा कि देश भर में व्यक्तिगत मामलों की सुनवाई करना असंभव होगा. इसने टिप्पणी की, 'हम व्यक्तिगत पहलुओं से नहीं निपट सकते. हम ये कर सकते हैं कि एक प्रशासन तंत्र स्थापित कर सकते हैं. यदि कोई उल्लंघन होता है, तो आपको संबंधित उच्च न्यायालय में जाना होगा.'

सितंबर में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने स्टालिन जूनियर और 'सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन' के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था. इस साल अप्रैल में, शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया था कि संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में देखता है, साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हेट स्पीच के मामलों में कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.

ये भी पढ़ें - दिल्ली के मुख्य सचिव को मिला छह महीने का एक्सटेंशन, केजरीवाल सरकार कर रही थी विरोध

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह 'सनातन धर्म' पर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के विवादास्पद बयान के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर विचार नहीं करेगा. जस्टिस संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा, 'अगर हम इस तरह की याचिकाओं पर विचार करना शुरू करेंगे, तो इसकी बाढ़ आ जाएगी. हम व्यक्तिगत मामलों में नहीं जाएंगे.'

पीठ ने कहा कि अगर वह व्यक्तिगत मामलों में जाना शुरू कर देगी, तो वह मुख्य मामले से ही नहीं निपट पाएगी, साथ ही यह भी कहा कि देश भर में व्यक्तिगत मामलों की सुनवाई करना असंभव होगा. इसने टिप्पणी की, 'हम व्यक्तिगत पहलुओं से नहीं निपट सकते. हम ये कर सकते हैं कि एक प्रशासन तंत्र स्थापित कर सकते हैं. यदि कोई उल्लंघन होता है, तो आपको संबंधित उच्च न्यायालय में जाना होगा.'

सितंबर में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने स्टालिन जूनियर और 'सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन' के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था. इस साल अप्रैल में, शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया था कि संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में देखता है, साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हेट स्पीच के मामलों में कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.

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