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Supreme Court News : कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून के क्रियान्वयन के लिए हर जिले में अधिकारी की नियुक्ति की जाए: न्यायालय

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सभी राज्यों के महिला और बाल विकास मंत्रालय को निर्देशित किया है कि वह कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न की निगरानी के लिए हर जिले में एक अफसर की नियुक्ति करें. (supreme court,Sexual Harassment of Women At Workplace)

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By PTI

Published : Oct 19, 2023, 10:33 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने गुरुवार को सभी राज्यों के महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) के प्रधान सचिवों को निर्देश दिया कि 'कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम' के प्रभावी क्रियान्वन पर निगरानी के लिए चार सप्ताह के अंदर प्रत्येक जिले में एक अधिकारी की नियुक्ति की जाए. भारत सरकार ने 2013 में यह कानून लागू किया था ताकि कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर ध्यान दिया जा सके.

न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रत्येक राज्य के महिला और बाल विकास मंत्रालय को यह निर्देश भी दिया कि कानून के तहत निगरानी और सहायता के लिए विभाग के अंदर एक नोडल कर्मी नियुक्त करने पर विचार हो. इसमें कहा गया कि यह व्यक्ति उक्त कानून और उसके क्रियान्वयन से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार के साथ समन्वय से काम कर सकेगा.

शीर्ष अदालत ने कहा कि एक परिपत्र या बुलेटिन विभाग की वेबसाइट पर छह सप्ताह के भीतर एक विशिष्ट स्थान पर अपलोड किया जाना चाहिए, जिसमें सभी जिला अधिकारियों के नाम और उनके संपर्क विवरण के साथ-साथ विभिन्न नोडल अधिकारियों का जिला-वार चार्ट और उनके संपर्क विवरण शामिल हों. शीर्ष अदालत ने कहा कि जिला अधिकारियों को उनकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के बारे में अनिवार्य रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें - Chhattisgarh Liquor Scam: आरोपियों के खिलाफ NBW जारी करवाने के लिए ईडी को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने गुरुवार को सभी राज्यों के महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) के प्रधान सचिवों को निर्देश दिया कि 'कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम' के प्रभावी क्रियान्वन पर निगरानी के लिए चार सप्ताह के अंदर प्रत्येक जिले में एक अधिकारी की नियुक्ति की जाए. भारत सरकार ने 2013 में यह कानून लागू किया था ताकि कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर ध्यान दिया जा सके.

न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रत्येक राज्य के महिला और बाल विकास मंत्रालय को यह निर्देश भी दिया कि कानून के तहत निगरानी और सहायता के लिए विभाग के अंदर एक नोडल कर्मी नियुक्त करने पर विचार हो. इसमें कहा गया कि यह व्यक्ति उक्त कानून और उसके क्रियान्वयन से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार के साथ समन्वय से काम कर सकेगा.

शीर्ष अदालत ने कहा कि एक परिपत्र या बुलेटिन विभाग की वेबसाइट पर छह सप्ताह के भीतर एक विशिष्ट स्थान पर अपलोड किया जाना चाहिए, जिसमें सभी जिला अधिकारियों के नाम और उनके संपर्क विवरण के साथ-साथ विभिन्न नोडल अधिकारियों का जिला-वार चार्ट और उनके संपर्क विवरण शामिल हों. शीर्ष अदालत ने कहा कि जिला अधिकारियों को उनकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के बारे में अनिवार्य रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.

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