ETV Bharat / bharat

SC Order in Finolex Cables Case: सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर एनसीएलएटी पीठ के लिए सख्त टिप्पणी - उच्चतम न्यायालय

फिनोलेक्स केबल्स मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने माना कि न्यायिक सदस्य राकेश कुमार और तकनीकी सदस्य आलोक श्रीवास्तव की राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण की पीठ ने उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना की. स्प्रीम कोर्ट ने इस मामले में बीती 13 अक्टूबर को आदेश दिया था. Supreme Court, Finolex Cables Case, SC Order in Finolex Cables Case.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 30, 2023, 5:38 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को माना कि न्यायिक सदस्य राकेश कुमार और तकनीकी सदस्य आलोक श्रीवास्तव की राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) की पीठ ने फिनोलेक्स केबल्स मामले में अपना फैसला सुनाकर जानबूझकर उसके 13 अक्टूबर के आदेश की अवहेलना की.

कुमार के वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उन्होंने अपने अंतरिम आदेश की अवहेलना करने वाले फैसले को लेकर शीर्ष अदालत द्वारा उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने के मद्देनजर अपना इस्तीफा दे दिया है. वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ को सूचित किया कि कुमार ने सोमवार को सुबह अपना इस्तीफा दे दिया है.

इस पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने एनसीएलएटी की कार्यवाही के सीसीटीवी फुटेज की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि पीठ में न्यायिक सदस्य कुमार द्वारा हलफनामे पर दी गई कुछ दलीलें पूरी तरह से सही नहीं थीं. पीठ ने कहा कि वीडियो यह स्पष्ट करता है कि दोनों वकीलों के पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति थी और न्यायिक सदस्य ने हालांकि कहा कि आदेश की कोई प्रति आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं की गई थी.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 'हम आधिकारिक तौर पर कैसे संवाद करें? क्या सीजेआई को एनसीएलएटी के अध्यक्ष को बुलाना चाहिए और कहना चाहिए, अरे, मेरे एक सहयोगी ने आज यह आदेश पारित किया?' पीठ ने कहा कि अदालतों के अधिकारी, वकील उन्हें बता रहे हैं और आदेश वहीं है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि क्या हुआ है और वे कह रहे हैं कि उन्हें आधिकारिक तौर पर यह बात बताने के लिए कहें.

पीठ ने कहा कि यह संदेह की छाया से परे स्पष्ट है कि हालांकि एनसीएलएटी को सुबह के सत्र के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से विधिवत अवगत कराया गया था कि निर्णय एजीएम परिणामों के बाद होगा, लेकिन एनसीएलएटी ने शीर्ष अदालत के आदेश पर ध्यान देने से इनकार कर दिया. पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि अगर एनसीएलएटी ने मामले में अपने निर्देशों से अवगत होने के बाद अपना फैसला टाल दिया होता तो आसमान नहीं टूट पड़ता.

पीठ ने कहा कि श्रीवास्तव, जिन्होंने केवल कुमार के निर्देश का पालन किया, ने बिना शर्त माफी मांगी. शीर्ष अदालत ने कुमार और श्रीवास्तव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद कर दी. शीर्ष अदालत ने कॉर्पोरेट विवाद के एक पक्षकार दीपक छाबड़िया पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और मामले में उनकी भूमिका के लिए एक जांचकर्ता पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.

कोर्ट ने कहा कि राशि का भुगतान चार सप्ताह में किया जाये और निर्देश दिया कि राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराई जाए. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि इस मामले को चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली एक अन्य एनसीएलएटी पीठ द्वारा नए सिरे से निपटाया जाए. एनसीएलएटी का आदेश फिनोलेक्स केबल्स की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) और कंपनी के प्रबंधन नियंत्रण पर प्रकाश छाबड़िया और दीपक छाबड़िया के कानूनी झगड़े से संबंधित था.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को माना कि न्यायिक सदस्य राकेश कुमार और तकनीकी सदस्य आलोक श्रीवास्तव की राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) की पीठ ने फिनोलेक्स केबल्स मामले में अपना फैसला सुनाकर जानबूझकर उसके 13 अक्टूबर के आदेश की अवहेलना की.

कुमार के वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उन्होंने अपने अंतरिम आदेश की अवहेलना करने वाले फैसले को लेकर शीर्ष अदालत द्वारा उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने के मद्देनजर अपना इस्तीफा दे दिया है. वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ को सूचित किया कि कुमार ने सोमवार को सुबह अपना इस्तीफा दे दिया है.

इस पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने एनसीएलएटी की कार्यवाही के सीसीटीवी फुटेज की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि पीठ में न्यायिक सदस्य कुमार द्वारा हलफनामे पर दी गई कुछ दलीलें पूरी तरह से सही नहीं थीं. पीठ ने कहा कि वीडियो यह स्पष्ट करता है कि दोनों वकीलों के पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति थी और न्यायिक सदस्य ने हालांकि कहा कि आदेश की कोई प्रति आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं की गई थी.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 'हम आधिकारिक तौर पर कैसे संवाद करें? क्या सीजेआई को एनसीएलएटी के अध्यक्ष को बुलाना चाहिए और कहना चाहिए, अरे, मेरे एक सहयोगी ने आज यह आदेश पारित किया?' पीठ ने कहा कि अदालतों के अधिकारी, वकील उन्हें बता रहे हैं और आदेश वहीं है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि क्या हुआ है और वे कह रहे हैं कि उन्हें आधिकारिक तौर पर यह बात बताने के लिए कहें.

पीठ ने कहा कि यह संदेह की छाया से परे स्पष्ट है कि हालांकि एनसीएलएटी को सुबह के सत्र के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से विधिवत अवगत कराया गया था कि निर्णय एजीएम परिणामों के बाद होगा, लेकिन एनसीएलएटी ने शीर्ष अदालत के आदेश पर ध्यान देने से इनकार कर दिया. पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि अगर एनसीएलएटी ने मामले में अपने निर्देशों से अवगत होने के बाद अपना फैसला टाल दिया होता तो आसमान नहीं टूट पड़ता.

पीठ ने कहा कि श्रीवास्तव, जिन्होंने केवल कुमार के निर्देश का पालन किया, ने बिना शर्त माफी मांगी. शीर्ष अदालत ने कुमार और श्रीवास्तव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद कर दी. शीर्ष अदालत ने कॉर्पोरेट विवाद के एक पक्षकार दीपक छाबड़िया पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और मामले में उनकी भूमिका के लिए एक जांचकर्ता पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.

कोर्ट ने कहा कि राशि का भुगतान चार सप्ताह में किया जाये और निर्देश दिया कि राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराई जाए. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि इस मामले को चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली एक अन्य एनसीएलएटी पीठ द्वारा नए सिरे से निपटाया जाए. एनसीएलएटी का आदेश फिनोलेक्स केबल्स की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) और कंपनी के प्रबंधन नियंत्रण पर प्रकाश छाबड़िया और दीपक छाबड़िया के कानूनी झगड़े से संबंधित था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.