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बच्चों का स्कूल आना सुनिश्चित करना राज्य सरकारों का कर्तव्य : न्यायालय - राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कहा कि यह सुनिश्चित करना सभी राज्यों और क्रेंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों का कर्तव्य है कि बच्चे स्कूल आएं.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : May 9, 2022, 6:43 PM IST

Updated : May 9, 2022, 10:50 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने सोमवार को कहा कि यह सुनिश्चित करना सभी राज्यों और क्रेंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों का कर्तव्य है कि बच्चे स्कूल आएं. न्यायालय की यह टिप्पणी कोरोना वायरस महामारी की वजह से अभिभावकों की नौकरी या जीविकोपार्जन खत्म होने की वजह से बच्चों के स्कूल छोड़ने को लेकर जताई जा रही चिंता के बीच आई है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव (Justice LN Rao) और न्यायमूर्ति बीआर गवई (Justice BR Gavai) की पीठ ने इसके साथ ही एनसीपीसीआर को पोर्टल बनाने का निर्देश दिया जिसपर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इस संदर्भ में उठाए गए कदम की जानकारी अपलोड करनी होगी. शीर्ष अदालत ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट का आकलन करने के बाद आठ सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

ये भी पढ़ें - राजद्रोह कानून के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने का फैसला लिया गया: केंद्र का SC में जवाब

न्यायालय ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे शिक्षा या महिला एवं बाल विभाग के अधिकारियों को जिलावार नोडल अधिकारी के तौर पर तैनात कंरे। अदालत ने कहा कि ये नोडल अधिकारी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को निर्देश दे सकते हैं कि वे व्यक्तिगत तौर पर स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों के माता-पिता से संपर्क करें और एनसीपीसीआर को उठाए गए कदम की जानकारी दें, उनका नामांकन कराएं. शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से कहा कि वे उठाए गए कदमों और पारित आदेश का बड़े पैमाने पर प्रसार करें. न्यायालय ने इससे पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार को एनसीपीसीआर द्वारा बेघर बच्चों की सुरक्षा और देखरेख के लिए तैयार मानक परिचालन प्रकिया (एसओपी) को लागू करने का निर्देश दिया.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने सोमवार को कहा कि यह सुनिश्चित करना सभी राज्यों और क्रेंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों का कर्तव्य है कि बच्चे स्कूल आएं. न्यायालय की यह टिप्पणी कोरोना वायरस महामारी की वजह से अभिभावकों की नौकरी या जीविकोपार्जन खत्म होने की वजह से बच्चों के स्कूल छोड़ने को लेकर जताई जा रही चिंता के बीच आई है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव (Justice LN Rao) और न्यायमूर्ति बीआर गवई (Justice BR Gavai) की पीठ ने इसके साथ ही एनसीपीसीआर को पोर्टल बनाने का निर्देश दिया जिसपर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इस संदर्भ में उठाए गए कदम की जानकारी अपलोड करनी होगी. शीर्ष अदालत ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट का आकलन करने के बाद आठ सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

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न्यायालय ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे शिक्षा या महिला एवं बाल विभाग के अधिकारियों को जिलावार नोडल अधिकारी के तौर पर तैनात कंरे। अदालत ने कहा कि ये नोडल अधिकारी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को निर्देश दे सकते हैं कि वे व्यक्तिगत तौर पर स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों के माता-पिता से संपर्क करें और एनसीपीसीआर को उठाए गए कदम की जानकारी दें, उनका नामांकन कराएं. शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से कहा कि वे उठाए गए कदमों और पारित आदेश का बड़े पैमाने पर प्रसार करें. न्यायालय ने इससे पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार को एनसीपीसीआर द्वारा बेघर बच्चों की सुरक्षा और देखरेख के लिए तैयार मानक परिचालन प्रकिया (एसओपी) को लागू करने का निर्देश दिया.

Last Updated : May 9, 2022, 10:50 PM IST
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