नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे हत्या के एक मामले में गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता एस.के. सुफियान को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की. वह नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट रहे थे. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली सुफियान की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयान दाखिल करने का निर्देश भी दिया. विशेष अनुमति याचिका पर निर्धारित तारीख को सुनवाई का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के वकीलों को सुनवाई की अगली तारीख से पहले अतिरिक्त दस्तावेज, यदि कोई हो, दाखिल करने की अनुमति है. मामला 31 जनवरी, 2022 के लिए सूचीबद्ध है. इस बीच याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी.
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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने का आदेश 29 नवंबर, 2021 को पारित किया गया था और दो महीने से सुफियान गिरफ्तारी से बचते रहे हैं.मेहता ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर अपराध है और वह व्यक्ति काफी प्रभावशाली है.
वहीं, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि पूरक आरोपपत्र दाखिल किया गया है, जिसमें फिर से याचिकाकर्ता का नाम नहीं लिया गया है. उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई भाजपा कार्यकर्ता देवव्रत मैती की मौत के मामले जांच कर रही है, जिनपर नंदीग्राम में कथित रूप से हमला किया गया था. उच्च न्यायालय ने सीबीआई को राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच करने का निर्देश दिया था.