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पूर्व-सीजेआई गोगोई के राज्यसभा में मनोनयन को चुनौती देने वाली याचिका SC ने की खारिज

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारत के पूर्व-सीजेआई रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) के राज्यसभा में मनोनयन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी.

Ranjan Gogoi
रंजन गोगोई
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Published : Nov 9, 2022, 7:15 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (पूर्व-सीजेआई) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) के राज्यसभा में मनोनयन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका बुधवार को खारिज कर दी और साथ भी यह भी कहा कि याचिकाकर्ता याचिका दायर करने के लिए पात्र नहीं हैं. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (Justices Sanjay Kishan Kaul) और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका (Justices Abhay S Oka) की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह एक 'पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन (प्रचार हित याचिका)' है.

याचिकाकर्ता सतीश एस. कांबिया की ओर से पेश वकील ने कहा कि पूर्व-सीजेआई राज्यसभा के लिए मनोनीत होने के योग्य नहीं हैं. पीठ ने कहा, 'पात्रता का फैसला कौन करेगा? आप? क्षमा करें, हमें इस याचिका में कोई दम नहीं नजर आता. आपको (खुद को) सौभाग्यशाली मानना चाहिए कि हम आप पर कोई जुर्माना नहीं लगा रहे हैं.' संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद मामले सहित कई प्रमुख मामलों में निर्णय सुनाने वाली पीठों का नेतृत्व कर चुके न्यायमूर्ति गोगोई का राज्यसभा के लिए मनोनयन 16 मार्च, 2020 को सरकार द्वारा किया गया था.

गोगोई ने उन पीठों का भी नेतृत्व किया था, जिन्होंने राफेल लड़ाकू विमान सौदे और प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश जैसे मामलों पर फैसला सुनाया था. गृह मंत्रालय द्वारा उच्च सदन के लिए उनके नामांकन की घोषणा की एक अधिसूचना 16 मार्च, 2020 को जारी की गई थी. न्यायमूर्ति गोगोई 13 महीने से कुछ अधिक के कार्यकाल के बाद नवंबर, 2019 में सीजेआई पद से सेवानिवृत्त हुए थे. वह राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाले भारत के पहले पूर्व प्रधान न्यायाधीश हैं. पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा राज्यसभा के सदस्य थे, लेकिन वे कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुने गए थे.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (पूर्व-सीजेआई) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) के राज्यसभा में मनोनयन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका बुधवार को खारिज कर दी और साथ भी यह भी कहा कि याचिकाकर्ता याचिका दायर करने के लिए पात्र नहीं हैं. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (Justices Sanjay Kishan Kaul) और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका (Justices Abhay S Oka) की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह एक 'पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन (प्रचार हित याचिका)' है.

याचिकाकर्ता सतीश एस. कांबिया की ओर से पेश वकील ने कहा कि पूर्व-सीजेआई राज्यसभा के लिए मनोनीत होने के योग्य नहीं हैं. पीठ ने कहा, 'पात्रता का फैसला कौन करेगा? आप? क्षमा करें, हमें इस याचिका में कोई दम नहीं नजर आता. आपको (खुद को) सौभाग्यशाली मानना चाहिए कि हम आप पर कोई जुर्माना नहीं लगा रहे हैं.' संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद मामले सहित कई प्रमुख मामलों में निर्णय सुनाने वाली पीठों का नेतृत्व कर चुके न्यायमूर्ति गोगोई का राज्यसभा के लिए मनोनयन 16 मार्च, 2020 को सरकार द्वारा किया गया था.

गोगोई ने उन पीठों का भी नेतृत्व किया था, जिन्होंने राफेल लड़ाकू विमान सौदे और प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश जैसे मामलों पर फैसला सुनाया था. गृह मंत्रालय द्वारा उच्च सदन के लिए उनके नामांकन की घोषणा की एक अधिसूचना 16 मार्च, 2020 को जारी की गई थी. न्यायमूर्ति गोगोई 13 महीने से कुछ अधिक के कार्यकाल के बाद नवंबर, 2019 में सीजेआई पद से सेवानिवृत्त हुए थे. वह राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाले भारत के पहले पूर्व प्रधान न्यायाधीश हैं. पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा राज्यसभा के सदस्य थे, लेकिन वे कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुने गए थे.

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(पीटीआई-भाषा)

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