मुंबई : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की याचिका खारिज कर दी, जिसमें 'आदिश बंगले' में कथित अनधिकृत संरचनाओं को ध्वस्त करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी. केंद्रीय मंत्री को लागू कानूनों के अनुपालन में लाने के लिए तीन महीने का समय दिया, जिसमें विफल रहने पर हाई कोर्ट के फैसले को लागू करने का निर्देश दिया गया.
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया है, जिससे बंगले में अवैध निर्माण को ढहाने का रास्ता साफ हो गया. गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने उनके जुहू स्थित बंगले पर बने अवैध निर्माण को दो हफ्ते के भीतर गिराने का आदेश दिया था. अदालत ने बीएमसी को अवैध निर्माण गिराने का आदेश देते हुए यह माना था कि बंगले के कुछ हिस्से के निर्माण में कोस्टल रेग्युलेशन जोन और फ्लोर स्पेस इंडेक्स का उल्लंघन किया गया है.
हाईकोर्ट ने कहा था कि बीएमसी राणे परिवार की कंपनी के आवेदन को स्वीकार नहीं कर सकती, जिसमें यह मांग की गई थी, कि वह अनधिकृत निर्माण को मंजूरी प्रदान कर दें. अदालत ने कहा था कि यदि इसे मंजूरी दी जाती है तो फिर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण शुरू हो जाएंगे. बॉम्बे हाईकोर्ट ने राणे पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और एक सप्ताह के अंदर इसे जमा कराने का आदेश दिया था.
बता दें कि बीएमसी ने इसी साल जून में नारायण राणे की ओर से अवैध निर्माण को मंजूरी प्रदान करने के लिए बीएमसी के समक्ष पहली अर्जी दी गई थी, जिसे उसने खारिज कर दिया था. इसके बाद उनकी कंपनी ने जुलाई में दूसरा आवेदन दिया था, लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया. इस पर नारायण राणे की कंपनी ने हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन याचिका खारिज हो गई थी.