नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सोमवार को दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'एक भिन्न उच्च न्यायालय' के पूर्व न्यायाधीश के लखीमपुर खीरी हिंसा की उत्तर प्रदेश एसआईटी द्वारा की जा रही जांच की निगरानी करने की बात कहे जाने से 'संकेत मिलता है कि इंसाफ से समझौता किया जा रहा है.'
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार कहा कि उसे विश्वास नहीं है और वह नहीं चाहता है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त किया गया एक सदस्यीय आयोग लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच जारी रखे, जिसमें चार किसानों समेत आठ लोग मारे गये थे.
लखीमपुर खीरी जिले में तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को नामित किया था.
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा, एक बार फिर अपनी टिप्पणियों से सुप्रीम कोर्ट ने राज्य एवं केंद्र सरकारों द्वारा पक्षपाती जांच के बारे में अपनी आशंका स्पष्ट रूप से प्रकट की है और संकेत दिया है कि इंसाफ से समझौता किया जा रहा है.
एसकेएम ने कहा, '(नरेंद्र) मोदी सरकार को अब कम से कम होश में आ जाना चाहिए एवं अजय मिश्रा टेनी को तत्काल बर्खास्त और गिरफ्तार करना चाहिए. एसकेएम पहले दिन से ही मांग कर रहा है कि लखीमपुर खीरी नरसंहार की जांच सीधे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की जानी चाहिए.'
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तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारियों का एक समूह जब उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था तो चार किसान एसयूवी से कुचल गए थे. उसके बाद दो भाजपा कार्यकर्ताओं एवं एक ड्राइवर की कथित रूप से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. इस दौरान एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी.
(पीटीआई-भाषा)