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सुप्रीम कोर्ट ने तेदेपा प्रमुख नायडू, आंध्र पुलिस को फाइबरनेट मामले में सार्वजनिक रूप से बयान न देने कहा - FiberNet case

तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू और आंध्र प्रदेश पुलिस को सुप्रीम कोर्ट ने फाइबरनेट मामले में सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहने से मना किया है. साथ ही फाइबरनेट मामले में नायडू की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई कर रही पीठ ने विषय को 17 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया. Supreme Court, TDP chief N Chandrababu Naidu, Andhra Pradesh police,FiberNet case

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By PTI

Published : Dec 12, 2023, 8:45 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू और आंध्र प्रदेश पुलिस को फाइबरनेट मामले में सार्वजनिक रूप से कोई बयान न देने को कहा. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने नायडू की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से पूर्व मुख्यमंत्री को मामले में कोई भी चीज सार्वजनिक रूप से न बोलने को कहा.

न्यायालय में विषय की सुनवाई की शुरुआत में, आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने पीठ से कहा कि कौशल विकास निगम मामले में न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के बावजूद नायडू सार्वजनिक रूप से बयान देते रहे हैं. वहीं, लूथरा ने आरोप लगाया कि राज्य के महाधिवक्ता ने दिल्ली और हैदराबाद में संवाददाता सम्मेलन किए तथा नायडू की संलिप्तता वाले आपराधिक मामलों के बारे में बयान दिए जिनकी जांच राज्य पुलिस कर रही है.

फाइबरनेट मामले में नायडू की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई कर रही पीठ ने विषय को 17 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया. फाइबरनेट मामला आंध्र प्रदेश फाइबरनेट परियोजना के प्रथम चरण के तहत एक पसंदीदा कंपनी को 330 करोड़ रुपये के वर्क ऑर्डर आवंटित करने में निविदा में कथित हेरफेर से संबंधित है. आंध्र प्रदेश पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने आरोप लगाया है कि निविदा देने से लेकर काम पूरा होने तक परियोजना में अनियमितताएं की गईं, जिससे राज्य सरकार के खजाने को भारी नुकसान हुआ.

ये भी पढ़ें- चंद्रबाबू नायडू की जमानत के खिलाफ आंध्र सरकार की याचिका पर 19 जनवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू और आंध्र प्रदेश पुलिस को फाइबरनेट मामले में सार्वजनिक रूप से कोई बयान न देने को कहा. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने नायडू की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से पूर्व मुख्यमंत्री को मामले में कोई भी चीज सार्वजनिक रूप से न बोलने को कहा.

न्यायालय में विषय की सुनवाई की शुरुआत में, आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने पीठ से कहा कि कौशल विकास निगम मामले में न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के बावजूद नायडू सार्वजनिक रूप से बयान देते रहे हैं. वहीं, लूथरा ने आरोप लगाया कि राज्य के महाधिवक्ता ने दिल्ली और हैदराबाद में संवाददाता सम्मेलन किए तथा नायडू की संलिप्तता वाले आपराधिक मामलों के बारे में बयान दिए जिनकी जांच राज्य पुलिस कर रही है.

फाइबरनेट मामले में नायडू की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई कर रही पीठ ने विषय को 17 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया. फाइबरनेट मामला आंध्र प्रदेश फाइबरनेट परियोजना के प्रथम चरण के तहत एक पसंदीदा कंपनी को 330 करोड़ रुपये के वर्क ऑर्डर आवंटित करने में निविदा में कथित हेरफेर से संबंधित है. आंध्र प्रदेश पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने आरोप लगाया है कि निविदा देने से लेकर काम पूरा होने तक परियोजना में अनियमितताएं की गईं, जिससे राज्य सरकार के खजाने को भारी नुकसान हुआ.

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