हैदराबाद : 31 अक्टूबर 1875 को सरदार वल्लभभाई पटेल को जन्म हुआ था. उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. ऐसे तो सरदार पटेल की जयंती हर साल मनाई जाती है, लेकिन 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से घोषणा के बाद इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. इस अवसर पर देश भर में कई आयोजन किए जाते हैं. भारत के लौह पुरुष को सम्मानित करने के लिए 2018 में पीएम मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था. इसे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' कहा जाता है. सरदार पटेल के योगदान को सम्मान देने के लिए मोदी सरकार ने 2020 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार' देने का निर्णय लिया था.
भारत के आजादी, एकीकरण में उनके योगदान सहित देश की राजनीति में उनके योगदान को याद करने के लिए इस दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देश-विदेशों में भारत सरकार व राज्य सरकारों की ओर से कई आयोजन किए जाते हैं. इसके अलावा इस अवसर पर रन फोर यूनिटी, सेमिनार सहित कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.
सरदार पटेल का जीवन एक नजर में
- सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात के नडियाड शहर में हुआ था.
- सरदार पटेल के पिता झवेरभाई किसान थे और उनकी मां लाड़बाई एक सामान्य गृहणीं थी.
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On Jayanti of Sardar Vallabhbhai Patel, Academy paid tribute with 5 km run for unity in which 163 trainees of 74 RR, faculty, and staff of Academy participated. pic.twitter.com/O56OkK2UvT
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- 1918-1928 के बीच उन्होंने कई किसान सत्याग्रहों की अगुआई की.
- 1924 में महानगर पालिक चुनाव में अध्यक्ष चुने गए.
- 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गये.
- 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई.
- 1950 तक वे 4 बार भारत के कार्यकारी प्रधानमंत्री रहे हैं.
- वे भारत के पहले उपप्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री रह चुके हैं.
- 1991 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
- भारत को एकीकृत करने के लिए उनके योगदान के लिए उन्हें भारत का 'लौह पुरुष' और 'भारत का एकीकरणकर्ता' की उपाधि से नवाजा गया. बारडोली इलाके में विभिन्न आंदोलनों में भूमिका के लिए वहां की महिलाओं ने उन्हें 'सरदार' या 'प्रमुख; की उपाधि से नवाजा.
- सरदार पटेल ने अखंड भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं. उन्होंने 562 अर्ध-स्वायत्त रियासत और ब्रिटिश कालीन कालोनियों को जोड़ने के लिए अपने राजनीति और कूटनीतिक कौशल का परिचय दिया.
- इनका निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में बिरला हाउस में हुआ.
सरदार पटेल की सोच है राष्ट्रीय पुलिस एकेडमी
आजादी के बाद भारत में पुलिस अधिकारियों के लिए केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान की परिकल्पना सरदार वल्लभ भाई पटेल की थी. इसके आधार पर 15 सितंबर 1948 को सेंट्रल पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज की स्थापना राजस्थान के माउंट आबू में की गई. 1967 में सेंट्रल पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज का नामकरण राष्ट्रीय पुलिस एकेडमी के रूप में किया गया. 1975 में राष्ट्रीय पुलिस एकेडमी स्थाई रूप से हैदराबाद शहर से 8 किलोमीटर दूर हैदराबाद-बैंगलौर हाईवे किनारे स्थापित की गई है. यह 275 एकड़ में फैली हुई है. 1974 में राष्ट्रीय पुलिस एकेडमी का नामकरण सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस एकेडमी के रूप में कर दिया गया. यह भारत सहित कई देशों के पुलिस अधिकारियों के सेवा पूर्व व सेवा के दौरान प्रशिक्षण के लिए नोडल संस्थान है. इसके अलावा यहां कई गैर पुलिस अधिकारियों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है.
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एक तरह से मेरे सामने लघु भारत का स्वरूप दिख रहा है। राज्य अलग है, भाषा अलग है, परंपरा अलग है, लेकिन यहां मौजूद हर व्यक्ति एकता की मजबूत डोर से जुड़ा हुआ है: पीएम @narendramodi#NationalUnityDay #SardarVallabhbhaiPatel #RashtriyaEktaDiwas pic.twitter.com/5sIioyqSeV
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A befitting tribute to Sardar Vallabhbhai Patel Ji will be to tread on the path of unity, integrity and inclusivity, the ideals that were so valued by Sardar Sahab.
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Flagged off #Run4Unity at Major Dhyanchand Stadium. pic.twitter.com/JU97Weu0MD
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On Jayanti of Sardar Vallabhbhai Patel, Director Shri Amit Grag, faculty and staff of Academy offered floral tribute and took Rashtriya Ekta Divas pledge. pic.twitter.com/pzJdGUPAEZ
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पढ़ाई के लिए सरदार पटेल की जगह उनके बड़े भाई गये थे विदेश
सरदार पटेल के दोनों भाइयों का शुरुआती नाम वी जे पटेल ही था. बीबीसी पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार सरदार पटेल की इच्छा थी कि वे वकालत की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जायें. 1905 में इसके लिए उन्होंने प्रयास किया. इसके बाद उनका यात्रा टिकट पासपोर्ट डाक से उनके घर आया. इसी बीच डाकिया ने उनका पासपोर्ट और यात्रा टिकट बड़े भाई विठ्ठल भाई पटेल को दे दिया. इसके बाद विठ्ठल भाई ने बड़ा होने के नाते स्वयं विदेश जाने का फैसला किया. इसके बाद सरदार पटेल ने भाई की इच्छा का सम्मान करते हुए उन्हें वकालत की पढ़ाई के लिए विदेश भेजा. स्वयं 36 साल की उम्र में वे पढ़ाई के लिए विदेश गये. इस दौरान उन्होंने 36 महीने की वकालत की पढ़ाई मात्र 30 महीने में पूरी कर ली.
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महान स्वतंत्रता सेनानी और देश के प्रथम गृह मंत्री, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को उनकी जयंती पर कोटि कोटि नमन।
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भारत को जोड़ने, पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने की प्रेरणा सरदार पटेल से ही मिलती है। pic.twitter.com/cAbtgJ0tIM
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भारत को जोड़ने, पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने की प्रेरणा सरदार पटेल से ही मिलती है। pic.twitter.com/cAbtgJ0tIMमहान स्वतंत्रता सेनानी और देश के प्रथम गृह मंत्री, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को उनकी जयंती पर कोटि कोटि नमन।
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भारत को जोड़ने, पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने की प्रेरणा सरदार पटेल से ही मिलती है। pic.twitter.com/cAbtgJ0tIM