हैदराबाद : असम के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को एक बार फिर से मोदी कैबिनेट में जगह मिली है. वो आयुष मंत्रालय का पदभार संभालेंगे असम में लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद सर्बानंद सोनोवाल की जगह हेमंत बिस्व सरमा को जब मुख्यमंत्री बनाया गया था तभी तय हो गया था कि सोनोवाल को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. सोनोवाल के मंत्री बनने पर उनके समर्थकों में खुशी की लहर है. इस मौके पर वह मठाई बांट रहे हैं.
सोनोवाल का सियासी सफर
सर्बानंद सोनोवाल के सियासी सफर की शुरुआत असम के सबसे पुराने छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) से हुई. साल 1992 से 1999 तक वो इस छात्र संगठन के अध्यक्ष रहे. इसके बाद उन्होंने असम गण परिषद का दामन थामा और साल 2001 में पहली बार असम विधानसभा पहुंचे. 2004 में वो डिब्रूगढ़ लोकसभा सीट से पहली बार संसद पहुंचे लेकिन 2009 आम चुनाव में हार गए.
साल 2011 में सोनोवाल ने बीजेपी का कमल थाम लिया था. जिसके बाद साल 2012 में उन्हें बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य की भी जिम्मेदारी दी गई. साल 2014 लोकसभा चुनाव में सर्बानंद सोनोवाल लखीमपुर सीट से जीत हासिल की, केंद्र में मोदी सरकार बनी तो उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह मिली.
साल 2016 में असम विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें असम की माजुली विधानसभा सीट से टिकट दिया गया और असम में पहली बार कमल खिला तो जीत का सेहरा सर्बानंद सोनोवाल के सिर ही सजा. असम में बीजेपी की पहली सरकार के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ही बने. 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने लगातार दूसरी बार बहुमत हासिल किया लेकिन इस बार मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की जगह हेमंत बिस्व सरमा को बनाया गया.
वकील से मुख्यमंत्री तक
58 साल के सर्बानंद सोनोवाल का जन्म 31 अक्टूबर 1962 को डिब्रूगढ़ जिले के मुलुक गांव में हुआ था. डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में बीए करने के बाद उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की. छात्र नेता से लेकर एक वकील, विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री तक वो सियासत में कई किरदार निभा चुके हैं.