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Sanatana Dharma Controversy: डेंगू, मलेरिया और मच्छर जैसी है डीएमके, राज्य से उखाड़ फेंकने की जरूरत: बीजेपी

तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने द्रमुक (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम) पार्टी को एक साहसिक चुनौती जारी की है, जिसमें आगामी चुनावों में सनातन धर्म के मुद्दे पर आमने-सामने की लड़ाई का आह्वान किया गया है. अन्नामलाई ने द्रमुक पर हिंदू धर्म के प्रति अपने रुख पर ढुलमुल होने का आरोप लगाया और पार्टी को डेंगू, मलेरिया, और कोसु (मच्छर) से जोड़ते हुए तीखी आलोचना की.

Tamil Nadu BJP President K Annamalai
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 7, 2023, 10:55 PM IST

चेन्नई: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने सनातन धर्म का दृढ़ता से बचाव करते हुए गुरुवार को कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक) एक जातिवादी पार्टी है और इसे खत्म किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने द्रमुक के दलित उत्थान को लेकर सवाल भी उठाया. उन्होंने द्रमुक को डेंगू मलेरिया कोसु (मच्छर) करार देते हुए कहा कि इसके उन्मूलन की जरूरत है.

अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उनके बेटे उदयनिधि के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों की सनातन धर्म के खिलाफ बयानबाजी में कमी आई है और यह अच्छा है. उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट किया और कहा कि आप दोनों जानते हैं कि आप पिछले 3-4 दिन से एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने स्टालिन और उदयनिधि पर झूठ बोलने का आरोप लगाया.

अन्नामलाई ने कहा कि अगर तमिलनाडु से किसी चीज को खत्म करने की जरूरत है, तो वह द्रमुक है, जिसमें डी का अर्थ डेंगू, एम का मलेरिया और के का कोसु (मच्छर) है. अन्नामलाई ने कहा कि स्टालिन ने दावा किया था कि सनातन धर्म अनिवार्य तौर पर भेदभाव करता है और इसीलिए द्रविड आंदोलन की शुरुआत हुई थी.

प्रतिष्ठित तमिल दलित नेता एम सी राजा के दौर का उल्लेख करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने 1923 में उन्होंने यह कहते हुए जस्टिस पार्टी छोड़ दी थी कि ब्राह्मणवादी वर्चस्व की जगह ऊंची जाति के हिंदुओं ने ले ली है और संगठन में अनुसूचित जाति के नेताओं के लिए कोई जगह नहीं बची है. जिन सिद्धांतों पर जस्टिस पार्टी का गठन किया गया उनका पालन नहीं किया जा रहा.

तमिलनाडु की पहली महिला दलित मंत्री सत्यवाणी मुथु, जो दिवंगत एम करुणानिधि के नेतृत्व वाली डीएमके कैबिनेट का हिस्सा थीं, ने 1974 में विधानसभा के अंदर मुख्यमंत्री के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए. अन्नामलाई ने दावा किया कि ये ऐसे उदाहरण हैं जिनसे पता चलता है कि डीएमके के अंदर दलित नेताओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था.

उन्होंने कहा कि जब आप कहते हैं कि आप यहां सनातन धर्म की कुछ बुराइयों को खत्म करने और समानता को बढ़ावा देने के लिए आए हैं, तो यह शैतान द्वारा धर्मग्रंथों का हवाला देने जैसा है. तमिलनाडु मंत्रिमंडल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 35 मंत्रियों में से तीन अनुसूचित समुदाय से हैं, दो महिलाएं हैं और आप इसे प्रगतिशील कहते हैं?

(अतिरिक्त इनपुट-एजेंसी)

चेन्नई: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने सनातन धर्म का दृढ़ता से बचाव करते हुए गुरुवार को कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक) एक जातिवादी पार्टी है और इसे खत्म किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने द्रमुक के दलित उत्थान को लेकर सवाल भी उठाया. उन्होंने द्रमुक को डेंगू मलेरिया कोसु (मच्छर) करार देते हुए कहा कि इसके उन्मूलन की जरूरत है.

अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उनके बेटे उदयनिधि के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों की सनातन धर्म के खिलाफ बयानबाजी में कमी आई है और यह अच्छा है. उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट किया और कहा कि आप दोनों जानते हैं कि आप पिछले 3-4 दिन से एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने स्टालिन और उदयनिधि पर झूठ बोलने का आरोप लगाया.

अन्नामलाई ने कहा कि अगर तमिलनाडु से किसी चीज को खत्म करने की जरूरत है, तो वह द्रमुक है, जिसमें डी का अर्थ डेंगू, एम का मलेरिया और के का कोसु (मच्छर) है. अन्नामलाई ने कहा कि स्टालिन ने दावा किया था कि सनातन धर्म अनिवार्य तौर पर भेदभाव करता है और इसीलिए द्रविड आंदोलन की शुरुआत हुई थी.

प्रतिष्ठित तमिल दलित नेता एम सी राजा के दौर का उल्लेख करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने 1923 में उन्होंने यह कहते हुए जस्टिस पार्टी छोड़ दी थी कि ब्राह्मणवादी वर्चस्व की जगह ऊंची जाति के हिंदुओं ने ले ली है और संगठन में अनुसूचित जाति के नेताओं के लिए कोई जगह नहीं बची है. जिन सिद्धांतों पर जस्टिस पार्टी का गठन किया गया उनका पालन नहीं किया जा रहा.

तमिलनाडु की पहली महिला दलित मंत्री सत्यवाणी मुथु, जो दिवंगत एम करुणानिधि के नेतृत्व वाली डीएमके कैबिनेट का हिस्सा थीं, ने 1974 में विधानसभा के अंदर मुख्यमंत्री के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए. अन्नामलाई ने दावा किया कि ये ऐसे उदाहरण हैं जिनसे पता चलता है कि डीएमके के अंदर दलित नेताओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था.

उन्होंने कहा कि जब आप कहते हैं कि आप यहां सनातन धर्म की कुछ बुराइयों को खत्म करने और समानता को बढ़ावा देने के लिए आए हैं, तो यह शैतान द्वारा धर्मग्रंथों का हवाला देने जैसा है. तमिलनाडु मंत्रिमंडल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 35 मंत्रियों में से तीन अनुसूचित समुदाय से हैं, दो महिलाएं हैं और आप इसे प्रगतिशील कहते हैं?

(अतिरिक्त इनपुट-एजेंसी)

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