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जानें कहां देवी माता काे चढ़ाए जाते हैं समोसे और कचौरी - प्रसाद

राजधानी के पुरानी बस्ती इलाके में मां धूमावती का मंदिर (dhumavati temple) है. ये मंदिर शीतला मंदिर प्रांगण में स्थित है. इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां विराजमान मां धूमावती को मिठाई के अलावा नमकीन चीजों का भी भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि मां का उग्र रूप होने के कारण मां को नमकीन और तीखी चीजें प्रिय हैं.

ऐसी माता जिन्हें पसंद हैं तीखी चीजें
ऐसी माता जिन्हें पसंद हैं तीखी चीजें
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Published : Jun 19, 2021, 7:06 PM IST

रायपुर : माता दुर्गा ने राक्षसों का वध करने के लिए मां धूमावती (Maa Dhumavati) का रूप धारण किया था. वहीं सिद्धि पाने के लिए भी मां के इस रूप की पूजा की जाती है. शुक्रवार को राजधानी रायपुर में मां धूमावती की जयंती मनाई गई. ETV भारत आपको ऐसा मंदिर दिखाने जा रहा है जहां मां को मीठे के साथ नमकीन और तीखे खाने का भी भोग लगाया जाता है.

राजधानी के पुरानी बस्ती इलाके में मां धूमावती का मंदिर (dhumavati temple) है. ये मंदिर शीतला मंदिर प्रांगण में स्थित है. इस मंदिर की स्थापना यहां के पुजारी नीरज सैनी ने आज से 10 साल पहले कराई थी. शुक्रवार ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी तिथि को मां धूमावती की जयंती मनाई गई. मंदिर में माता की पूजा अर्चना के साथ हवन किया गया. मां को भोग अर्पित किए गए. लेकिन हर साल के मुकाबले, इस साल मां धूमावती की जयंती सादगीपूर्ण तरीके से मनाई गई. जिसमें लोगों की संख्या भी काफी कम थी.

ऐसी माता जिन्हें पसंद हैं तीखी चीजें, प्रसाद में चढ़ते हैं समोसे और कचौरी

देश का पहला ऐसा मंदिर

पुरानी बस्ती स्थित इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां स्थित मां धूमावती की पूजा अर्चना के साथ भक्तजन और श्रद्धालु फल-फूल और मिष्ठान के साथ नमकीन और तीखा खाद्य पदार्थ का भोग लगाते हैं. जिसमें समोसा, कचौड़ी, मिर्ची भजिया, आलूबोंडा जैसी चीजों का भोग मां धूमावती को लगाया जाता है. इस मंदिर के पुजारी नीरज सैनी का कहना है कि देश का ये पहला ऐसा मंदिर है जहां पर धूमावती पीठ की स्थापना की गई है.

निराकार रूप में विराजी हैं मां धूमावती

इस मंदिर में माता धूमावती निराकार रूप में विराजी हैं. इसका मतलब माता का कोई स्वरूप नहीं है. यहां ज्योति बिंदु के रूप में माता की पूजा अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि माता को भोग प्रसाद के रूप में तेल में तले हुए तीखे व्यंजन पसंद हैं. जिसे प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां धूमावती उग्र स्वभाव वाली देवी हैं. इसलिए मां को तीखे और मिर्च मसाले वाले खाद्य पदार्थ प्रिय हैं.

धूनी के रूप में विराजित हैं मां

मां धूमावती मंदिर के पुजारी नीरज सैनी बताते हैं कि वे मां धूमावती की साधना,आराधना और उपासना करते थे. जिसके बाद उन्हें मां ने अखंड धूनी के रूप में दर्शन दिए. जिसके बाद पुजारी में आज से 10 साल पहले धूमावती पीठ की स्थापना की गई. इस धूमावती पीठ में अश्वगंधा, धूप, नैवैद्य (मिठाई), फल, सहित तीखे और तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ मां धूमावती को अर्पित किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि माता उग्र और शांत दोनों स्वभाव की हैं.

तीनों महाशक्ति के रूप में विराजमान हैं रायपुर की मां महामाया

किसका रूप है मां धूमावती ?

मां धूमावती देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. या यूं कहें कि ये मां दुर्गा के दस विद्याओं में से एक हैं. इन सभी 10 महाविद्याओं में काली को प्रथम रूप माना जाता है. इन दस विद्याओं के नाम हैं

  • काली
  • तारा
  • छिन्नमस्ता
  • षोडशी
  • भुवनेश्वरी
  • त्रिपुर भैरवी
  • धूमावती
  • बगलामुखी
  • मातंगी
  • कमला

ये हैं मान्यताएं :

श्री देवीभागवत पुराण (Shri Devi Bhagwat Puran) के अनुसार महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव और उनकी पत्नी सती, जो कि पार्वती के पूर्वजन्म का रूप था, के बीच एक विवाद के कारण हुई. जब भगवान शिव और सती की शादी हुई तो सती के पिता दक्ष प्रजापति दोनों के विवाह से खुश नहीं थे. उन्होंने भगवान शिव का अपमान करने के उद्देश्य से एक यज्ञ का आयोजन किया. जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को न्योता दिया. लेकिन उन्होंने अपने दामाद भगवान शंकर और अपनी बेटी सती को आमंत्रित नहीं किया. लेकिन सती अपने पिता द्वारा आयोजित इस यज्ञ में जाने की जिद करने लगीं. जिसे शिवजी ने अनसुना कर दिया. इस पर सती ने खुद को एक भयानक रूप में परिवर्तित (महाकाली का अवतार) कर लिया.

भगवान शिव को रोकने के लिए बनाया दस रूप

माता सती के इस रूप को देखकर भगवान शिव भागने लगे. अपने पति को डरा हुआ जानकर माता सती उन्हें रोकने लगीं. तो शिव जिस दिशा में गए उस दिशा में मां का एक दूसरा रूप प्रकट होकर उन्हें रोकता है. इस तरह दसों दिशाओं में मां ने दस रूप लिए थे. वे ही दस महाविद्याएं कहलाईं. इस तरह देवी दस रूपों में विभाजित हो गईं. जिनसे वह शिव के विरोध को हराकर यज्ञ में शामिल हुईं.

इसे भी पढ़ें : बंगाल में लगभग 1.6 करोड़ महिलाओं को मिलेगा 'लक्ष्मी भंडार' योजना का लाभ

नमकीन चीजों का लगाया भोग

माता धूमावती के मंदिर में धूमावती मां की पूजा आराधना करने श्रद्धालु हमेशा यहां आते हैं. लेकिन कोरोना की वजह से लोगों की संख्या पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है. जिसका असर मां धूमावती जयंती पर भी देखने को मिला. यहां आने वाले भक्त बताते हैं कि माता की पूजा अर्चना के साथ ही माता को मिठाई और फल का भोग लगाने के साथ ही मां धूमावती को नमकीन चीजें भी पसंद हैं.

रायपुर : माता दुर्गा ने राक्षसों का वध करने के लिए मां धूमावती (Maa Dhumavati) का रूप धारण किया था. वहीं सिद्धि पाने के लिए भी मां के इस रूप की पूजा की जाती है. शुक्रवार को राजधानी रायपुर में मां धूमावती की जयंती मनाई गई. ETV भारत आपको ऐसा मंदिर दिखाने जा रहा है जहां मां को मीठे के साथ नमकीन और तीखे खाने का भी भोग लगाया जाता है.

राजधानी के पुरानी बस्ती इलाके में मां धूमावती का मंदिर (dhumavati temple) है. ये मंदिर शीतला मंदिर प्रांगण में स्थित है. इस मंदिर की स्थापना यहां के पुजारी नीरज सैनी ने आज से 10 साल पहले कराई थी. शुक्रवार ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी तिथि को मां धूमावती की जयंती मनाई गई. मंदिर में माता की पूजा अर्चना के साथ हवन किया गया. मां को भोग अर्पित किए गए. लेकिन हर साल के मुकाबले, इस साल मां धूमावती की जयंती सादगीपूर्ण तरीके से मनाई गई. जिसमें लोगों की संख्या भी काफी कम थी.

ऐसी माता जिन्हें पसंद हैं तीखी चीजें, प्रसाद में चढ़ते हैं समोसे और कचौरी

देश का पहला ऐसा मंदिर

पुरानी बस्ती स्थित इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां स्थित मां धूमावती की पूजा अर्चना के साथ भक्तजन और श्रद्धालु फल-फूल और मिष्ठान के साथ नमकीन और तीखा खाद्य पदार्थ का भोग लगाते हैं. जिसमें समोसा, कचौड़ी, मिर्ची भजिया, आलूबोंडा जैसी चीजों का भोग मां धूमावती को लगाया जाता है. इस मंदिर के पुजारी नीरज सैनी का कहना है कि देश का ये पहला ऐसा मंदिर है जहां पर धूमावती पीठ की स्थापना की गई है.

निराकार रूप में विराजी हैं मां धूमावती

इस मंदिर में माता धूमावती निराकार रूप में विराजी हैं. इसका मतलब माता का कोई स्वरूप नहीं है. यहां ज्योति बिंदु के रूप में माता की पूजा अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि माता को भोग प्रसाद के रूप में तेल में तले हुए तीखे व्यंजन पसंद हैं. जिसे प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां धूमावती उग्र स्वभाव वाली देवी हैं. इसलिए मां को तीखे और मिर्च मसाले वाले खाद्य पदार्थ प्रिय हैं.

धूनी के रूप में विराजित हैं मां

मां धूमावती मंदिर के पुजारी नीरज सैनी बताते हैं कि वे मां धूमावती की साधना,आराधना और उपासना करते थे. जिसके बाद उन्हें मां ने अखंड धूनी के रूप में दर्शन दिए. जिसके बाद पुजारी में आज से 10 साल पहले धूमावती पीठ की स्थापना की गई. इस धूमावती पीठ में अश्वगंधा, धूप, नैवैद्य (मिठाई), फल, सहित तीखे और तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ मां धूमावती को अर्पित किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि माता उग्र और शांत दोनों स्वभाव की हैं.

तीनों महाशक्ति के रूप में विराजमान हैं रायपुर की मां महामाया

किसका रूप है मां धूमावती ?

मां धूमावती देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. या यूं कहें कि ये मां दुर्गा के दस विद्याओं में से एक हैं. इन सभी 10 महाविद्याओं में काली को प्रथम रूप माना जाता है. इन दस विद्याओं के नाम हैं

  • काली
  • तारा
  • छिन्नमस्ता
  • षोडशी
  • भुवनेश्वरी
  • त्रिपुर भैरवी
  • धूमावती
  • बगलामुखी
  • मातंगी
  • कमला

ये हैं मान्यताएं :

श्री देवीभागवत पुराण (Shri Devi Bhagwat Puran) के अनुसार महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव और उनकी पत्नी सती, जो कि पार्वती के पूर्वजन्म का रूप था, के बीच एक विवाद के कारण हुई. जब भगवान शिव और सती की शादी हुई तो सती के पिता दक्ष प्रजापति दोनों के विवाह से खुश नहीं थे. उन्होंने भगवान शिव का अपमान करने के उद्देश्य से एक यज्ञ का आयोजन किया. जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को न्योता दिया. लेकिन उन्होंने अपने दामाद भगवान शंकर और अपनी बेटी सती को आमंत्रित नहीं किया. लेकिन सती अपने पिता द्वारा आयोजित इस यज्ञ में जाने की जिद करने लगीं. जिसे शिवजी ने अनसुना कर दिया. इस पर सती ने खुद को एक भयानक रूप में परिवर्तित (महाकाली का अवतार) कर लिया.

भगवान शिव को रोकने के लिए बनाया दस रूप

माता सती के इस रूप को देखकर भगवान शिव भागने लगे. अपने पति को डरा हुआ जानकर माता सती उन्हें रोकने लगीं. तो शिव जिस दिशा में गए उस दिशा में मां का एक दूसरा रूप प्रकट होकर उन्हें रोकता है. इस तरह दसों दिशाओं में मां ने दस रूप लिए थे. वे ही दस महाविद्याएं कहलाईं. इस तरह देवी दस रूपों में विभाजित हो गईं. जिनसे वह शिव के विरोध को हराकर यज्ञ में शामिल हुईं.

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नमकीन चीजों का लगाया भोग

माता धूमावती के मंदिर में धूमावती मां की पूजा आराधना करने श्रद्धालु हमेशा यहां आते हैं. लेकिन कोरोना की वजह से लोगों की संख्या पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है. जिसका असर मां धूमावती जयंती पर भी देखने को मिला. यहां आने वाले भक्त बताते हैं कि माता की पूजा अर्चना के साथ ही माता को मिठाई और फल का भोग लगाने के साथ ही मां धूमावती को नमकीन चीजें भी पसंद हैं.

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