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Russia-Ukraine standoff : यूक्रेन में पहले बड़े 'जल युद्ध' की आशंका - Russia Ukraine standoff

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के बीच युद्ध छिड़ने की आशंका है. दोनों देशों के बीच व्याप्त तनाव के बीच यदि युद्ध छिड़ता है, तो यह पानी के ऊपर आधुनिक युग का पहला युद्ध (first big water war in offing) होगा. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट

Russia-Ukraine standoff
यूक्रेन में पहले बड़े जल युद्ध की आशंका
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Published : Jan 24, 2022, 10:57 PM IST

Updated : Jan 24, 2022, 11:07 PM IST

नई दिल्ली : जल पर युद्ध और उसके प्रभाव मानव इतिहास के आवर्ती विषय (recurring theme in human history) रहे हैं. पानी को लेकर हुई लड़ाई का सबसे प्रमुख उदाहरण कर्बला की लड़ाई है. लगभग 1,400 साल पहले सऊदी अरब में कर्बला की लड़ाई (battle of Karbala in Saudi Arabia) हुई थी. इस युद्ध में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन ने उम्मायद खलीफा यज़ीद (Ummayid Caliph Yazid) की सेना के खिलाफ लड़ाई में शहादत दी थी. इसके बाद खलीफा वंश को उखाड़ फेंकने का मार्ग प्रशस्त हुआ.

वर्तमान में पानी को लेकर एक और युद्ध रूस और यूक्रेन की सीमाओं पर होने की आशंका है. यह स्थान कर्बला से लगभग 4,000 किमी दूर है. रूस ने यूक्रेन से लगी सीमा पर लगभग 1,00,000 सैनिक और विशाल सैन्य साजो-सामान तैनात किए हैं. अमेरिकी सरकार ने रविवार को यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित दूतावास के कर्मचारियों को निकलने का आदेश दिया है. ऐसे हालात में चौतरफा युद्ध का खतरा (imminence of an all-out war) मंडरा रहा है.

सोमवार को, यूके ने यूक्रेन के संदर्भ में एक यात्रा परामर्श जारी किया. इसमें कहा गया रूस से बढ़ते खतरे के मद्देनजर कुछ दूतावास कर्मचारियों और आश्रितों को कीव से वापस बुलाया जा रहा है. इससे पहले शनिवार को, अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा की थी, हम यूक्रेन की अग्रिम पंक्ति के रक्षकों के लिए गोला-बारूद सहित नई घातक रक्षात्मक सुरक्षा सहायता के साथ यूक्रेन की सहायता कर रहे हैं.

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अमेरिका ने कहा था, यूक्रेन के सशस्त्र बलों के लिए कुल 20 करोड़ डॉलर की कई खेपों में से पहली खेप 22 जनवरी को यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंची. बाइडेन प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि आने वाले हफ्तों में और अधिक मदद यूक्रेन पहुंचाई जाएगी.

बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के बीच पनप रही युद्ध की आशंका के बीच कहना गलत नहीं होगा कि आधुनिक युग में पानी पर होने वाला यह पहला बड़ा युद्ध होगा.

बता दें कि यूक्रेन सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) का हिस्सा था. यह 1991 में अलग हो गया था. एक 'तटस्थ' राष्ट्र के रूप में यूक्रेन ने रूस के साथ सैन्य संपर्क बनाए रखा, लेकिन नाटो के करीब जाने की भी शुरुआत हो गई.

बता दें कि 2014 में, रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और क्रीमिया पर कब्जा कर लिया, यूक्रेन रूसी-प्रभुत्व वाला क्षेत्र है जिसकी आबादी करीब 2.5 मिलियन है. चारों तरफ से समुद्र से घिरा हुआ मजबूत प्रायद्वीप यूक्रेन ने एक बांध बनाकर क्रीमिया तक पानी की पहुंच अवरुद्ध कर दिया.

क्रीमिया को पहले सोवियत-युग की नहर से पानी मिलता था. नीपर नदी (Dneiper river) पर बनी यह नहर मुख्य रूप से यूक्रेन की मुख्य भूमि पर नदियों के माध्यम से पानी की जरूरत के 85 प्रतिशत की आपूर्ति करती थी.

दिल्ली विश्वविद्यालय में रूसी इतिहास पढ़ाने वाले प्रो. कुमार संजय सिंह कहते हैं, यदि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ जाता है, तो यह आधुनिक युग का पहला जल युद्ध हो सकता है जिसमें एक अंतर-क्षेत्रीय संघर्ष को ट्रिगर करने की क्षमता हो सकती है.

नई दिल्ली : जल पर युद्ध और उसके प्रभाव मानव इतिहास के आवर्ती विषय (recurring theme in human history) रहे हैं. पानी को लेकर हुई लड़ाई का सबसे प्रमुख उदाहरण कर्बला की लड़ाई है. लगभग 1,400 साल पहले सऊदी अरब में कर्बला की लड़ाई (battle of Karbala in Saudi Arabia) हुई थी. इस युद्ध में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन ने उम्मायद खलीफा यज़ीद (Ummayid Caliph Yazid) की सेना के खिलाफ लड़ाई में शहादत दी थी. इसके बाद खलीफा वंश को उखाड़ फेंकने का मार्ग प्रशस्त हुआ.

वर्तमान में पानी को लेकर एक और युद्ध रूस और यूक्रेन की सीमाओं पर होने की आशंका है. यह स्थान कर्बला से लगभग 4,000 किमी दूर है. रूस ने यूक्रेन से लगी सीमा पर लगभग 1,00,000 सैनिक और विशाल सैन्य साजो-सामान तैनात किए हैं. अमेरिकी सरकार ने रविवार को यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित दूतावास के कर्मचारियों को निकलने का आदेश दिया है. ऐसे हालात में चौतरफा युद्ध का खतरा (imminence of an all-out war) मंडरा रहा है.

सोमवार को, यूके ने यूक्रेन के संदर्भ में एक यात्रा परामर्श जारी किया. इसमें कहा गया रूस से बढ़ते खतरे के मद्देनजर कुछ दूतावास कर्मचारियों और आश्रितों को कीव से वापस बुलाया जा रहा है. इससे पहले शनिवार को, अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा की थी, हम यूक्रेन की अग्रिम पंक्ति के रक्षकों के लिए गोला-बारूद सहित नई घातक रक्षात्मक सुरक्षा सहायता के साथ यूक्रेन की सहायता कर रहे हैं.

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अमेरिका ने कहा था, यूक्रेन के सशस्त्र बलों के लिए कुल 20 करोड़ डॉलर की कई खेपों में से पहली खेप 22 जनवरी को यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंची. बाइडेन प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि आने वाले हफ्तों में और अधिक मदद यूक्रेन पहुंचाई जाएगी.

बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के बीच पनप रही युद्ध की आशंका के बीच कहना गलत नहीं होगा कि आधुनिक युग में पानी पर होने वाला यह पहला बड़ा युद्ध होगा.

बता दें कि यूक्रेन सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) का हिस्सा था. यह 1991 में अलग हो गया था. एक 'तटस्थ' राष्ट्र के रूप में यूक्रेन ने रूस के साथ सैन्य संपर्क बनाए रखा, लेकिन नाटो के करीब जाने की भी शुरुआत हो गई.

बता दें कि 2014 में, रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और क्रीमिया पर कब्जा कर लिया, यूक्रेन रूसी-प्रभुत्व वाला क्षेत्र है जिसकी आबादी करीब 2.5 मिलियन है. चारों तरफ से समुद्र से घिरा हुआ मजबूत प्रायद्वीप यूक्रेन ने एक बांध बनाकर क्रीमिया तक पानी की पहुंच अवरुद्ध कर दिया.

क्रीमिया को पहले सोवियत-युग की नहर से पानी मिलता था. नीपर नदी (Dneiper river) पर बनी यह नहर मुख्य रूप से यूक्रेन की मुख्य भूमि पर नदियों के माध्यम से पानी की जरूरत के 85 प्रतिशत की आपूर्ति करती थी.

दिल्ली विश्वविद्यालय में रूसी इतिहास पढ़ाने वाले प्रो. कुमार संजय सिंह कहते हैं, यदि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ जाता है, तो यह आधुनिक युग का पहला जल युद्ध हो सकता है जिसमें एक अंतर-क्षेत्रीय संघर्ष को ट्रिगर करने की क्षमता हो सकती है.

Last Updated : Jan 24, 2022, 11:07 PM IST
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