नई दिल्ली : कई बैंकों को अंतर्राष्ट्रीय भुगतान नेटवर्क द सोसायटी फॉर वर्ल्ड वाइड इंटरबैंक फाइनैंशल टेलिकम्युनिकेशन (The Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) (SWIFT) से बाहर निकाले जाने के बाद रूस के केंद्रीय बैंक (Russia's central bank ) ने अपनी घरेलू भुगतान प्रणाली (Domestic Payment System) को वैकल्पिक वैश्विक भुगतान प्रणाली (Global Payment Mechanism) के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है. स्विफ्ट (SWIFT) एक ऐसी वैश्विक भुगतान प्रणाली है, जिसके माध्यम से दो अंतराष्ट्रीय पक्षों के बीच वित्तीय लेन-देन बहुत आसान हो जाता है.
क्या है स्विफ्ट (SWIFT)
यह दरअसल एक मैसेजिंग नेटवर्क है, जिसके जरिये धन के हस्तांतरण जैसे संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. इस सिस्टम से 200 देशों और 11 हजार वित्तीय संस्थानों को वित्तीय लेन-देन से जुड़े निर्देश मिलते हैं. इस सिस्टम का संचालन बेल्जियम से किया जाता है. स्विफ्ट से जुड़े बैंक इस सिस्टम का संचालन करते हैं. कई बैंक और वित्तीय संस्थान इसका हिस्सा हैं और वे इस प्रणाली का उपयोग करके बहुत ही तीव्रता के साथ सटीक और सुरक्षित रूप से धन का हस्तांतरण कर पाते हैं.
क्यों महत्वपूर्ण है स्विफ्ट (SWIFT)
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अंतरराष्ट्रीय लेन-देन बहुत जरूरी होता है. विदेशी व्यापार से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है. स्विफ्ट के जरिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विदेशी निवेश और प्रवासियों की ओर से देश में भेजी जाने वाली राशि जैसे कार्यों का मैनेजमेंट होता है. किसी देश को स्विफ्ट जैसे पेमेंट सिस्टम से बाहर कर दिया जाता है, तो इससे उसे देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा.
-
We have taken decisive action tonight with our international partners to shut Russia out of the global financial system, including the important first step of ejecting Russian banks from SWIFT.
— Boris Johnson (@BorisJohnson) February 26, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
We will keep working together to ensure Putin pays the price for his aggression.
">We have taken decisive action tonight with our international partners to shut Russia out of the global financial system, including the important first step of ejecting Russian banks from SWIFT.
— Boris Johnson (@BorisJohnson) February 26, 2022
We will keep working together to ensure Putin pays the price for his aggression.We have taken decisive action tonight with our international partners to shut Russia out of the global financial system, including the important first step of ejecting Russian banks from SWIFT.
— Boris Johnson (@BorisJohnson) February 26, 2022
We will keep working together to ensure Putin pays the price for his aggression.
पढ़ें: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोमानियाई 'मेयर' ने लगाई फटकार
मौजूदा स्थिति में तेजी से बढ़ाना संभव नहीं
एक विश्लेषक के मुताबिक इसमें बस एक ही समस्या है कि मौजूदा स्थिति में रूस के लिए अपनी भुगतान प्रणाली (Payment Mechanism) को तेजी से बढ़ाना संभव नहीं हो सकता है. रूस के मुताबिक उसकी भुगतान प्रणाली को चीन की भुगतान प्रणाली क्रॉस बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (सीआईपीएस) से जोड़ने की योजना बनायी जा रही है, जिसके बाद संभवत चीन वैश्विक स्तर पर इस भुगतान प्रणाली को प्रचलित कर पाएगा.
चीन और रूस एक साथ
इस बीच मॉर्निग पोस्ट (South China Morning Post) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डोन्ग्गुआन सिक्योरिटीज के विश्लेषक चेन वेगुआंग, लुओ वेबिन और लिउ मेंग्लिन ने स्विफ्ट प्रणाली पर निर्भरता कम करने की जरूरत पर बल दिया है. उन्होंने कहा है कि स्विफ्ट से रूस को जिस तरह हटाया गया और पिछले कुछ साल से जैसे चीन-अमेरिका का व्यापारिक तनाव चल रहा है, उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये स्विफ्ट (SWIFT) पर निर्भरता कम करनी जरूरी है.
पढ़ें: यूक्रेन में नवीन की मौत : भाजपा विधायक बोले, शव की जगह जिंदा छात्रों को लाया जा सकता है
एसबीआई (SBI) ने रूस की प्रतिबंधित संस्थाओं के साथ लेनदेन रोका
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने यूक्रेन में हमले को लेकर पश्चिम देशों द्वारा प्रतिबंधित रूस की संस्थाओं के साथ लेनदेन बंद कर दिया है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में एसबीआई ने अधिसूचना जारी की है. एसबीआई को डर है कि रूस की प्रतिबंधित संस्थाओं के साथ लेनदेन करने से कही उस पर भी पश्चिमी देश प्रतिबंध न लगा दें. उसने कहा कि अमेरिका, यूरोपीय संघ या संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की प्रतिबंधित सूची में शामिल संस्थाओं, बैंकों, बंदरगाहों या जहाजों के साथ किसी भी तरह का कोई लेनदेन नहीं किया जाएगा.
सूत्रों ने कहा कि प्रतिबंधित संस्थाओं को भुगतान की जाने वाली राशि बैंकिंग माध्यम के बजाय अन्य व्यवस्था के जरिए किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि एसबीआई रूस के मास्को में कमर्शियल इंडो बैंक नाम से संयुक्त उद्यम संचालित करता है. इसमें केनरा बैंक 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अन्य भागीदार है. भारतीय स्टेट बैंक ने इस मामले पर टिप्पणी को लेकर भेजे गए ई-मेल का फिलहाल जवाब नहीं दिया है. भारत के लिये रूस रक्षा उत्पादों और उपकरणों का बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार चालू वित्त वर्ष में अबतक 9.4 अरब डॉलर रहा जबकि 2020-21 में यह 8.1 अरब डॉलर था.