बक्सर: बिहार के बक्सर में जिला उपभोक्ता आयोग ने शहर के एक प्रसिद्ध रेस्टोरेंट पर डोसा के साथ सांभर नहीं देने के परिवाद पत्र पर सुनवाई के बाद 3500 का जुर्माना लगाया है. नगर थाना क्षेत्र के बंग्ला घाट के रहने वाले उपभोक्ता मनीष पाठक ने आयोग में परिवाद पत्र दाखिल किया था. ग्यारह महीने बाद आए इस फैसले ने सबको हैरान कर दिया है. वहीं शिकायतकर्ता ने कानून की जीत बताया है.
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15 अगस्त 2022 का है मामला: बंग्ला घाट के रहने वाले उपभोक्ता मनीष पाठक ने परिवाद पत्र के माध्यम से न्यायालय को यह बताया था कि घर में एक समारोह के दौरान 15 अगस्त 2022 को नगर थाना क्षेत्र के गोला में स्थित रेस्टोरेंट से 140 रुपये का भुगतान कर उन्होंने स्पेशल मसाला डोसा का ऑर्डर किया था. जब पार्सल दिया और उसे घर पर खोलकर देखा तो उसमें सांभर नहीं था. जिसके कारण माता-पिता के साथ ही अतिथियों के सामने उन्हें शर्मिंदा होना पड़ा.
रेस्टोरेंट मालिक ने नोटिस का जवाब नहीं दिया: मनीष ने बताया कि मसाला डोसा के साथ सांभर नहीं देने पर अगले दिन शिकायत की तो संचालक ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया. जिसके बाद उन्होंने रेस्टोरेंट संचालक को नोटिस भेजवाया, जिसका जवाब वहां के प्रबंधक ने नहीं दिया. उसके बाद अपने उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा के लिए परिवादी ने जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद पत्र दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई थी.
ग्यारह महीने बाद आया फैसला: वहीं, परिवादी के परिवाद पत्र पर सुनवाई के दौरान रेस्टोरेंट की सेवा में त्रुटि पाई गई. जिसके बाद आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश सिंह और सदस्य वरुण कुमार की खंडपीठ ने परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट के लिए दो हजार का जुर्माना साथ ही वाद खर्च के रूप में अलग से 1500 रुपये का जुर्माना लगाते हुए 45 दिनों के अंदर रेस्टोरेंट प्रबंधक को कुल 3500 रुपये जुर्माना के तौर पर भुगतान करने का निर्देश दिया. निर्धारित समय अवधि में राशि का भुगतान नहीं करने पर 8 प्रतिशत ब्याज के साथ राशि चुकाना होगा.
न्याय मिलने से उपभोक्ता खुश: इस फैसले से उपभोक्ता पाठक बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 2022 को मेरा जन्म दिन था. इसलिए रात को हम सबने मसाला डोसा खाने का प्लान किया था. 140 रुपये पे करने के बाद जब पार्सल लेकर घर आया और खोला तो उसमें सांभर नहीं था. अगले दिन शिकायत करने पर रेस्टोरेंट संचालक ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि 140 रुपये में क्या रेस्टोरेंट खरीदोगे? बक्सर सिविल कोर्ट में अधिवक्ता होने के नाते मैंने न्यायिक लड़ाई लड़ने का फैसला किया.
"15 अगस्त 2022 को मेरा जन्मदिन था. 9 बजे रात को रेस्टोरेंट गया और मेन्यू के हिसाब से 140 रुपये दिया और पार्सल लेकर घर आ गया. जब पार्सल खोला तो डोसे में सांभर नहीं था, केवल चटनी थी. रात होने के कारण हमलोग रेस्टोरेंट नहीं गए. सुबह रेस्टोरेंट गए तो संचालक ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया, जिसके बाद मैंने जिला उपभोक्ता आयोग के सामने शिकायत की. अब फैसला मेरे पक्ष में आया है."- मनीष पाठक, अधिवक्ता, व्यवहार न्यायालय