नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद अपने कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर चिंतित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने स्वयंसेवकों को प्रेरित करने का कार्यक्रम शुरू करने तथा उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करने की योजना बनाई है. आरएसएस के सूत्रों ने यह जानकारी दी.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा की अनेक घटनाओं की खबरें आई हैं. इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को भारी बहुमत हासिल हुआ, जबकि भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी. भाजपा ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के कैडर उसके कार्यकर्ताओं पर हमला कर रहे हैं. कांग्रेस एवं वाम दलों ने भी ऐसे ही आरोप लगाए. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज किया है.
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इस बीच, आरएसएस के एक पदाधिकारी ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद संघ के स्वयंसेवकों एवं कार्यकर्ताओं को भारी हिंसा का सामना करना पड़ रहा है और प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी की शह पर जेहादी तत्व अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'संघ के कार्यकर्ताओं और मुख्य रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाले कार्यकताओं पर हमले हुए हैं. ये हमले इसलिए किए जा रहे हैं, क्योंकि हमारी विचारधारा से संबंध रखने वाली भाजपा ने उन विधानसभा क्षेत्रों में अपनी पैठ बढ़ा ली है जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति बहुल हैं.'
उन्होंने दावा किया कि संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों के सतत कार्यों की बदौलत भाजपा ने पहली बार राज्य में सभी 294 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब राज्य में संघ की पूरी व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है.
आरएसएस के पदाधिकारी ने कहा कि हमारे स्वयंसेवकों एवं कार्यकर्ताओं पर लगातार हमला गहरी चिंता का विषय है और इस चुनौतिपूर्ण समय में हम उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे. हम उन्हें प्रेरित करने तथा सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद के लिए कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहे हैं.
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इससे पहले, हाल ही में आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हिंसा की निंदा की थी.