मुंगेर: 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्थान पर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बनाई गई है. इसे केंद्र सरकार ने 2023-24 सत्र से सभी शिक्षण संस्थान में लागू करवाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन केंद्र सरकार से पहले ही विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान (Vidya Bharati Akhil Bharatiya Shiksha Sansthan) अपने बिहार झारखंड के 75 शिक्षण संस्थान के अलावा देशभर के 1000 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों के प्री प्राइमरी कक्षाओं में इसे लागू कर कीर्तिमान स्थापित कर रही है.
''कोई पद चिन्ह बनाता है और कोई पद चिन्ह पर चलता है. हम लोग पदचिन्ह बनाते हैं, इसलिए केंद्र सरकार द्वारा तय समय सीमा के पहले हम लोग इसी वर्ष 2022-23 के सत्र से अपने सभी विद्यालयों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर रहे हैं.''- प्रदीप कुशवाहा, बिहार प्रांतीय सचिव, विद्या भारती
एक साल पहले से की जा रही तैयारी: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 2022-23 सत्र में आरंभ करने के लिए विद्या भारती ने 2021 से ही कार्य प्रारंभ कर दिया था. इस संबंध में प्रांतीय सचिव ने बताया कि इसके लिए प्रांत स्तरीय बैठक, शिविर और सम्मेलन के आयोजन किए जा रहे थे. मुंगेर जिले में भी 19 से 22 फरवरी तक चलने वाला प्राचार्य सम्मेलन भी इसी कड़ी के रूप में है. उन्होंने बताया कि इसके लिए शिशु वाटिका के आचार्य, विधिक व निरीक्षक को प्रशिक्षण दिया गया है. साथ ही साथ आचार्य व अभिभावक के लिए पुस्तक भी छप गई हैं.
प्री-प्राइमरी कक्षा में सबसे पहले होगी लागू: विद्या भारती देश में लगभग 1000 शिक्षण संस्थानों के प्री प्राइमरी कक्षा में नई शिक्षा नीति को लागू कर रहा है. इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रदीप कुशवाहा ने बताया कि बिहार झारखंड के तीन समिति के अंतर्गत 75 शिक्षण संस्थान सहित देश के 1000 विद्यालय में प्री प्राइमरी कक्षा अरुण, उदय और प्रभात कक्षाओं में हम लोग नई राष्ट्रीय शिक्षा पाठ्यक्रम को प्रारंभ कर रहे हैं.
विद्या भारती का परिचय: विद्या भारती संस्कार और रोजगार परक शिक्षा देने वाली विश्व का अग्रणी शिक्षण संस्थान है. इस बारे में जानकारी देते हुए प्रांतीय सचिव ने बताया कि 1977 में स्थापित विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के देश और विदेश में लगभग 25 हजार शिक्षण संस्थान है. जिसमें 1 लाख 25 हजार प्राचार्य कार्यरत हैं और इसमें 50 लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. यह विश्व का बड़ा गैर सरकारी शिक्षण संस्थान है. इसके अंतर्गत सरस्वती शिशु मंदिर, सरस्वती विद्या मंदिर शिक्षण संस्थान संचालित है.
क्या है राष्ट्रीय शिक्षा नीति?: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान साबित होगी. इससे छात्रों का सर्वांगीण विकास तो होगा ही साथ ही छात्र अपने जीवन में स्वाबलंबी भी होंगे. इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रांतीय सचिव ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्थान पर लाई गई है. यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है. 1968 और 1986 के बाद भारत की तीसरी शिक्षा नीति है. इस पर जीडीपी के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि इसमें 10+2 कक्षा व्यवस्था के स्थान पर 5+3+3+4 कक्षा किया गया है. अब 3 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों को विद्यालय शिक्षा दी जाएगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्राचीन शिक्षा, वर्तमान शिक्षा और भविष्य निर्धारण करने वाली शिक्षा समाहित है.
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से पहले कक्षा 11 से छात्र विषय चुन सकते थे. नई नीति लागू हो जाने से अब छात्रों को कक्षा 9 से विषय चुनने की आजादी होगी. 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बदलाव होगा. अब वर्ष में दो बार सेमेस्टर प्रणाली द्वारा ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्ट इस फॉर्मेट में परीक्षा आयोजित की जाएगी. अब 6 साल की उम्र पढ़ाई की शुरुआत की जगह 3 वर्ष की आयु से आंगनवाड़ी केंद्र से पढ़ाई शुरू होगी.
इसके साथ ही उच्च शिक्षा में बदलाव देखने को मिलेंगे. वर्तमान में 3 या 4 साल के डिग्री कोर्स में यदि कोई छात्र किसी कारणवश बीच में पढ़ाई छोड़ देता है, तो उसे कोई डिग्री नहीं मिलती है. अब नई शिक्षा नीति में यह बदलाव हुआ अगर कोई छात्र स्नातक के 3 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में 1 वर्ष में ही पढ़ाई छोड़ देता है, तो 1 वर्ष की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट, 2 वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा और 3 वर्ष की पढ़ाई पर डिग्री का सर्टिफिकेट उन्हें मिलेगा.