ETV Bharat / bharat

2000 के नोट बदलने की योजना काले धन के जमाखोरों का 'शाही स्वागत' : कांग्रेस

2000 के नोट बंद होने को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एक श्वेतपत्र लाने की मांग की है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Congress news
कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ
author img

By

Published : May 23, 2023, 8:39 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने मंगलवार को 2000 रुपये के नोटों को बदलने के कदम को 'काले धन के जमाखोरों का शाही स्वागत' करार देते हुए केंद्र की आलोचना की और इस मुद्दे पर एक श्वेत पत्र की मांग की.

कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने कहा, 'हम मांग करते हैं कि सरकार को इस मुद्दे पर एक श्वेत पत्र लाना चाहिए. पहले 2000 रुपये के नोट क्यों जारी किए गए और अब इन्हें वापस क्यों लिया जा रहा है?'

प्रो. वल्लभ के अनुसार, पीएम मोदी ने पहले 2016 में विनाशकारी विमुद्रीकरण (1000 रुपये और 500 रुपये के प्रचलित नोटों पर प्रतिबंध लगाने) की घोषणा की थी, जिसने असंगठित क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया था.

उन्होंने कहा कि 'काले धन पर अंकुश लगाने के लिए नोटबंदी के बाद 2000 रुपये के नोट पेश किए गए थे. लेकिन अब लगता है कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया. मैं उन लोगों या अर्थशास्त्रियों से मिलने के लिए बहुत उत्सुक हूं जिन्होंने पीएम को 2000 रुपये के नोट लाने का सुझाव दिया था.'

प्रो. वल्लभ के अनुसार, एक्सचेंज ऑफर के तहत कोई भी बैंक में एक बार में 20,000 रुपये की सीमा तक 2000 रुपये के नोट बदलवा सकता है.

प्रो. वल्लभ ने कहा, 'इसका मतलब यह है कि व्यक्ति एक बार में 20,000 रुपये के नोट बदल सकता है और एक दिन में कई बार इसे दोहरा सकता है. उसके लिए कोई पहचान प्रस्तुत करने या बैंक को कोई अन्य जानकारी प्रदान करने की कोई आवश्यकता नहीं है.'

कांग्रेस नेता ने कहा कि '2000 रुपये के नोटों की अदला-बदली से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और निम्न मध्यम वर्ग और किसानों को नुकसान होगा. यह काले धन वालों के लिए सिंगल विंडो प्रोग्राम की तरह है.'

उन्होंने कहा कि 'मौजूदा समय में 2000 रुपये के 181 करोड़ नोट चलन में हैं. इनकी वैल्यू 3.62 लाख करोड़ रुपए है. यदि इन सभी नोटों को अगले चार महीनों में बदलना है, तो इसमें 36 करोड़ लेनदेन शामिल होंगे और बैंकों के 2.5 करोड़ मानव घंटे का उपभोग करेंगे, यह मानते हुए कि एक लेनदेन में 4 मिनट शामिल होंगे.'
कांग्रेस नेता ने कहा कि विनिमय प्रस्ताव में बैंक श्रम घंटों की भारी बर्बादी शामिल होगी, ऐसे समय में जब उन्हें देश में व्यावसायिक गतिविधि को आगे बढ़ाने के लिए ऋण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

प्रो वल्लभ ने कहा कि 'इसके अलावा, जबकि पीएम ठंडे मौसम में विदेश में हैं, लगभग 11 करोड़ किसान और 6 करोड़ छोटे और मध्यम उद्यम और मध्यम वर्ग को बैंकों में 43 डिग्री सेल्सियस तापमान में कतारों में खड़े होने के लिए मजबूर किया गया है. किसान और छोटे और मध्यम क्षेत्र के लोग वे हैं जिन्हें कार्यशील पूंजी के रूप में 2000 रुपये के नोट अपने पास रखने की आवश्यकता है क्योंकि उनके पास हमेशा ऑनलाइन भुगतान करने की सुविधा नहीं होती है.'

कांग्रेस नेता ने बताया कि 2000 रुपये के नोटों की अदला-बदली विवेकाधीन उपभोक्ता मांग को भी कम करेगी जहां लोग यात्रा और अन्य विलासिता के सामान पर अपनी अतिरिक्त आय खर्च करते हैं.

प्रो. वल्लभ ने कहा कि 'एक कम विवेकाधीन उपभोक्ता मांग जीएसटी संग्रह को कम कर देगी जो बदले में करदाताओं के पैसे से वित्तपोषित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित करेगी.'

उन्होंने कहा कि '2000 रुपये के नोटों के विनिमय कार्यक्रम के कारण गरीब और मध्यम वर्ग को नुकसान होगा, जबकि जिनके पास काला धन है, उन्हें नहीं होगा. दिलचस्प यह भी है कि आरबीआई ने इस एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए सर्कुलर तो जारी कर दिया है लेकिन यह भी कहा है कि उसके बाद भी नोट वैध रहेंगे. अगर ऐसा है तो इसे वापस क्यों लिया जाए.

पढ़ें- RBI ने किया खास इंतजाम, घर बैठे भी कर सकते हैं 2000 रुपये की नोटबदली, जानें कैसे

नई दिल्ली : कांग्रेस ने मंगलवार को 2000 रुपये के नोटों को बदलने के कदम को 'काले धन के जमाखोरों का शाही स्वागत' करार देते हुए केंद्र की आलोचना की और इस मुद्दे पर एक श्वेत पत्र की मांग की.

कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने कहा, 'हम मांग करते हैं कि सरकार को इस मुद्दे पर एक श्वेत पत्र लाना चाहिए. पहले 2000 रुपये के नोट क्यों जारी किए गए और अब इन्हें वापस क्यों लिया जा रहा है?'

प्रो. वल्लभ के अनुसार, पीएम मोदी ने पहले 2016 में विनाशकारी विमुद्रीकरण (1000 रुपये और 500 रुपये के प्रचलित नोटों पर प्रतिबंध लगाने) की घोषणा की थी, जिसने असंगठित क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया था.

उन्होंने कहा कि 'काले धन पर अंकुश लगाने के लिए नोटबंदी के बाद 2000 रुपये के नोट पेश किए गए थे. लेकिन अब लगता है कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया. मैं उन लोगों या अर्थशास्त्रियों से मिलने के लिए बहुत उत्सुक हूं जिन्होंने पीएम को 2000 रुपये के नोट लाने का सुझाव दिया था.'

प्रो. वल्लभ के अनुसार, एक्सचेंज ऑफर के तहत कोई भी बैंक में एक बार में 20,000 रुपये की सीमा तक 2000 रुपये के नोट बदलवा सकता है.

प्रो. वल्लभ ने कहा, 'इसका मतलब यह है कि व्यक्ति एक बार में 20,000 रुपये के नोट बदल सकता है और एक दिन में कई बार इसे दोहरा सकता है. उसके लिए कोई पहचान प्रस्तुत करने या बैंक को कोई अन्य जानकारी प्रदान करने की कोई आवश्यकता नहीं है.'

कांग्रेस नेता ने कहा कि '2000 रुपये के नोटों की अदला-बदली से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और निम्न मध्यम वर्ग और किसानों को नुकसान होगा. यह काले धन वालों के लिए सिंगल विंडो प्रोग्राम की तरह है.'

उन्होंने कहा कि 'मौजूदा समय में 2000 रुपये के 181 करोड़ नोट चलन में हैं. इनकी वैल्यू 3.62 लाख करोड़ रुपए है. यदि इन सभी नोटों को अगले चार महीनों में बदलना है, तो इसमें 36 करोड़ लेनदेन शामिल होंगे और बैंकों के 2.5 करोड़ मानव घंटे का उपभोग करेंगे, यह मानते हुए कि एक लेनदेन में 4 मिनट शामिल होंगे.'
कांग्रेस नेता ने कहा कि विनिमय प्रस्ताव में बैंक श्रम घंटों की भारी बर्बादी शामिल होगी, ऐसे समय में जब उन्हें देश में व्यावसायिक गतिविधि को आगे बढ़ाने के लिए ऋण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

प्रो वल्लभ ने कहा कि 'इसके अलावा, जबकि पीएम ठंडे मौसम में विदेश में हैं, लगभग 11 करोड़ किसान और 6 करोड़ छोटे और मध्यम उद्यम और मध्यम वर्ग को बैंकों में 43 डिग्री सेल्सियस तापमान में कतारों में खड़े होने के लिए मजबूर किया गया है. किसान और छोटे और मध्यम क्षेत्र के लोग वे हैं जिन्हें कार्यशील पूंजी के रूप में 2000 रुपये के नोट अपने पास रखने की आवश्यकता है क्योंकि उनके पास हमेशा ऑनलाइन भुगतान करने की सुविधा नहीं होती है.'

कांग्रेस नेता ने बताया कि 2000 रुपये के नोटों की अदला-बदली विवेकाधीन उपभोक्ता मांग को भी कम करेगी जहां लोग यात्रा और अन्य विलासिता के सामान पर अपनी अतिरिक्त आय खर्च करते हैं.

प्रो. वल्लभ ने कहा कि 'एक कम विवेकाधीन उपभोक्ता मांग जीएसटी संग्रह को कम कर देगी जो बदले में करदाताओं के पैसे से वित्तपोषित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित करेगी.'

उन्होंने कहा कि '2000 रुपये के नोटों के विनिमय कार्यक्रम के कारण गरीब और मध्यम वर्ग को नुकसान होगा, जबकि जिनके पास काला धन है, उन्हें नहीं होगा. दिलचस्प यह भी है कि आरबीआई ने इस एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए सर्कुलर तो जारी कर दिया है लेकिन यह भी कहा है कि उसके बाद भी नोट वैध रहेंगे. अगर ऐसा है तो इसे वापस क्यों लिया जाए.

पढ़ें- RBI ने किया खास इंतजाम, घर बैठे भी कर सकते हैं 2000 रुपये की नोटबदली, जानें कैसे

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.