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रौफ भट ने किए हैं कई 'इनाेवेशन', 'कश्मीर के Rancho के नाम से भी बुलाते हैं दाेस्त - रौफ आलम भट

श्रीनगर के हबक निवासी 33 वर्षीय रौफ आलम भट को बचपन से ही इनोवेशन का शौक रहा है. उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए, भट ने कहा, मैं पांच या सात साल का था जब नूर मोहम्मद (रबाब वादक) हमारे इलाके में आया करते थे. मैं उन्हें भी सुनता था, लेकिन मेरा ध्यान संगीत पर नहीं था, बल्कि रबाब का निर्माण कैसे होता है उस पर था. जब मैंने अपने पिता से रबाब के लिए कहा, तो उन्होंने इसे नहीं खरीदा क्योंकि यह महंगा था. मैंने कहा कोई समस्या नहीं है और मैंने इसे प्लास्टिक के बक्से, बैडमिंटन और मछली पकड़ने के धागे से खुद बनाया है. तब मैं लगभग दस साल का था.

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Published : Nov 16, 2021, 9:56 PM IST

श्रीनगर : रौफ आलम भट वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग, प्रौद्योगिकी संस्थान, ज़कुरा कैंपस, कश्मीर विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं. उन्हाेंने कहा कि ज्यादातर लोग आविष्कार और नवाचार को एक समान मानते हैं, वास्तव में ऐसा नहीं है. आविष्कार नई चीजें लाने काे कहते हैं जबकि नवाचार समस्याओं को दूर करने के लिए नई चीजें विकसित करने का कहा जाता है.

दिलचस्प बात यह है कि बॉलीवुड फिल्म 3 इडियट्स में आमिर खान द्वारा निभाए गए रैंचाे (भूमिका) की तरह, भट को उनके दोस्त और सहकर्मी भी 'कश्मीर का रैंचाे' कहते हैं.

इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, मैं एम.टेक कर रहा था जब यह फिल्म रिलीज हुई थी. मेरे दोस्तों ने मेरे इनोवेशन और इसके लिए जुनून के कारण मुझे रैंचाे कहना शुरू कर दिया. मैंने अब तक 150 इनोवेशन किए हैं.

2014 में लकवाग्रस्त लोगों के लिए डायपर बनाने के लिए मैंने अपने एक छात्र के साथ मिलकर काम किया. जब इन लोगों को जरूरत महसूस होती है तो यह डायपर अलर्ट कर देता है. सभी परीक्षणों के बाद, हमने इसे बच्चों के लिए भी बनाया है. एक जापानी कंपनी, जापान यूनिलीवर लिमिटेड इस अवधारणा के बारे में सुनकर प्रभावित हुई थी.

उन्होंने इस अवधारणा को विकसित करने के लिए मुझसे संपर्क किया. इसका परीक्षण करने के बाद, उन्होंने दावा किया कि दुनिया में कहीं भी ऐसी तकनीक या अवधारणा नहीं थी, जो इतनी अच्छी हो. यह डायपर अभी बाजार में नहीं आया है क्योंकि कुछ औपचारिकताएं बाकी हैं. मैं अपने छात्रों को भी इसके बारे में बताता हूं. यह न केवल उन्हें प्रेरित करता है बल्कि उन्हें प्रोत्साहित भी करता है.

हालांकि एक नवप्रवर्तनक को प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है और जाे वह बाजार में अपना माल देखकर इसे प्राप्त करता है और फिर प्रमोशन मिलता है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनोवेटर को क्या मिलेगा? इसलिए प्रशासन को कुछ करना चाहिए. गौरतलब है कि भट के पास विदेश जाने और इस क्षेत्र में काम करने के कई अवसर थे, लेकिन वह अपने 'देश प्रेम' के कारण नहीं गए.

श्रीनगर : रौफ आलम भट वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग, प्रौद्योगिकी संस्थान, ज़कुरा कैंपस, कश्मीर विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं. उन्हाेंने कहा कि ज्यादातर लोग आविष्कार और नवाचार को एक समान मानते हैं, वास्तव में ऐसा नहीं है. आविष्कार नई चीजें लाने काे कहते हैं जबकि नवाचार समस्याओं को दूर करने के लिए नई चीजें विकसित करने का कहा जाता है.

दिलचस्प बात यह है कि बॉलीवुड फिल्म 3 इडियट्स में आमिर खान द्वारा निभाए गए रैंचाे (भूमिका) की तरह, भट को उनके दोस्त और सहकर्मी भी 'कश्मीर का रैंचाे' कहते हैं.

इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, मैं एम.टेक कर रहा था जब यह फिल्म रिलीज हुई थी. मेरे दोस्तों ने मेरे इनोवेशन और इसके लिए जुनून के कारण मुझे रैंचाे कहना शुरू कर दिया. मैंने अब तक 150 इनोवेशन किए हैं.

2014 में लकवाग्रस्त लोगों के लिए डायपर बनाने के लिए मैंने अपने एक छात्र के साथ मिलकर काम किया. जब इन लोगों को जरूरत महसूस होती है तो यह डायपर अलर्ट कर देता है. सभी परीक्षणों के बाद, हमने इसे बच्चों के लिए भी बनाया है. एक जापानी कंपनी, जापान यूनिलीवर लिमिटेड इस अवधारणा के बारे में सुनकर प्रभावित हुई थी.

उन्होंने इस अवधारणा को विकसित करने के लिए मुझसे संपर्क किया. इसका परीक्षण करने के बाद, उन्होंने दावा किया कि दुनिया में कहीं भी ऐसी तकनीक या अवधारणा नहीं थी, जो इतनी अच्छी हो. यह डायपर अभी बाजार में नहीं आया है क्योंकि कुछ औपचारिकताएं बाकी हैं. मैं अपने छात्रों को भी इसके बारे में बताता हूं. यह न केवल उन्हें प्रेरित करता है बल्कि उन्हें प्रोत्साहित भी करता है.

हालांकि एक नवप्रवर्तनक को प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है और जाे वह बाजार में अपना माल देखकर इसे प्राप्त करता है और फिर प्रमोशन मिलता है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनोवेटर को क्या मिलेगा? इसलिए प्रशासन को कुछ करना चाहिए. गौरतलब है कि भट के पास विदेश जाने और इस क्षेत्र में काम करने के कई अवसर थे, लेकिन वह अपने 'देश प्रेम' के कारण नहीं गए.

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