पटना: आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग को लेकर महिला आरक्षण बिल का विरोध करने का आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव का इतिहास रहा है. कभी उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन में रहते हुए सरकार गिराने की धमकी देकर बिल को लोकसभा में पेश करने से रोक दिया था तो कभी वायजेपी की सरकार में गृह मंत्री लालू कृष्ण आडवाणी से उनके सांसद ने बिल की कॉपी को छीनकर फाड़ दिया था. अब एक बार फिर उनकी पार्टी अपनी मांग पर मुखर दिख रही है.
जब सुरेंद्र यादव ने बिल की कॉपी फाड़ दी थी: दरअसल ये बात 13 जुलाई 1998 की है, उस समय अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे. उनकी सरकार में कानून मंत्री एम थंबी दुरैई ने पहली बार महिला आरक्षण बिल पेश किया था. पक्ष-विपक्ष के बीच नारेबाजी हो रही थी, तभी उसी दौरान जहानाबाद से आरजेडी सासंद सुरेंद्र यादव (अभी बिहार के सहकारिता मंत्री) स्पीकर के आसन से लपक कर तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी के बाद गए और उनसे बिल की कॉपी छीनकर फाड़ दिया.
कॉपी फाड़ने के बाद क्या कहा था सुरेंद्र यादव ने?: बिल की कॉपी फाड़ने के बाद सदन में मौजूद तमाम सांसद हैरत में पड़ गए थे. राष्ट्रीय जनता दल की ओर से कहा गया कि बिना चर्चा के विधेयक को पेश किया गया, इसलिए हमारे सांसद ने इसका विरोध किया. सुरेंद्र यादव को लालू यादव का बेहद करीबी माना जाता है. इसलिए ये समझा गया कि लालू के इशारे पर ही उन्होंने ऐसा किया होगा. हालांकि अभी कुछ साल पहले ही सुरेंद्र यादव ने इस बारे में कहा, 'मेरे सपने में बाबा साहेब आंबेडकर आए थे. उन्होंने ही मुझे बिल फाड़ने के लिए कहा था.'
कौन हैं बिल की कॉपी फाड़ने वाले सुरेंद्र यादव?: लोकसभा में लालकृष्ण आडवाणी से महिला आरक्षण बिल की कॉपी छीनकर फाड़ने वाले सुरेंद्र यादव असल में लालू यादव और तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं में शुमार हैं. 1998 में वह जहानाबाद से लोकसभा चुनाव जीते थे. हालांकि 1999 में वह चुनाव हार गए. हालांकि वह बेलागंज विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. 2020 में वह 8वीं बार विधायक बने हैं. फिलहाल नीतीश कैबिनेट में सहकारिता मंत्री हैं.
लालू ने दी थी यूपीए सरकार गिराने की धमकी: खुद आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव 2010 में यूपीए में रहते हुए इस बिल का विरोध कर चुके हैं. कहा जाता है कि लालू ने यहां तक कह दिया था कि महिला आरक्षण बिल उनकी लाश के ऊपर से ही पास हो सकता है. उनकी धमकी के कारण यूपीए सरकार ने लोकसभा में बिल नहीं लाया था. मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी ने भी बिल का विरोध किया था.
आरजेडी के राजनीति प्रसाद ने भी बिल फाड़ा: वहीं 8 मार्च 2010 को मनमोहन सिंह की सरकार ने राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया था. वहां पेश होने के तुरंत बाद आरजेडी के राज्यसभा सांसद राजनीति प्रसाद ने बिल की कॉपी को सदन के अंदर ही फाड़ दिया था. हालांकि बिल पास हो गया लेकिन इसे लोकसभा में पेश नहीं किया जा सका.
क्या है महिला आरक्षण बिल?: मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया. इसके तहत लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान होगा. आसान भाषा में समझें तो लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी. महिलाओं के लिए आरक्षण की यह व्यवस्था 15 साल के लिए होगी, उसके बाद आरक्षण के लिए फिर से बिल लाना होगा. राज्यसभा और विधान परिषद में महिला आरक्षण लागू नहीं होगा.