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मेघालय ने पूर्व उग्रवादी नेता के साथ पुलिस मुठभेड़ की न्यायिक जांच की घोषणा की

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने सोमवार को पुलिस मुठभेड़ में पूर्व उग्रवादी नेता के मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की. बता दें कि पूर्व उग्रवादी नेता के समर्थकों ने मुठभेड़ के खिलाफ स्वतंत्रता दिवस के दिन शिलांग में तोड-फोड़ और आगजनी की थी, जिसकी वजह से प्रशासन को राज्य की राजधानी में कर्फ्यू लगाना पड़ा था.

सीबीआई
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Published : Aug 16, 2021, 5:04 PM IST

Updated : Aug 16, 2021, 10:21 PM IST

नई दिल्ली : मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने सोमवार को पुलिस मुठभेड़ में पूर्व उग्रवादी नेता के मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की. बता दें कि पूर्व उग्रवादी नेता के समर्थकों ने मुठभेड़ के खिलाफ स्वतंत्रता दिवस के दिन शिलांग में तोड-फोड़ और आगजनी की थी, जिसकी वजह से प्रशासन को राज्य की राजधानी में कर्फ्यू लगाना पड़ा था.

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संगमा ने कहा कि उप मुख्यमंत्री प्रेस्टन तिनसॉन्ग की अध्यक्षता में सरकार शांति समिति गठित करेगी, जिसमें नागरिक समाज संगठन के प्रतिनिधि और अन्य बतौर सदस्य शामिल होंगे.

उन्होंने बताया कि सरकार ने शिलांग में कर्फ्यू की मियाद 24 घंटे और बढ़ाने का फैसला किया है एवं अब यह 18 अगस्त सुबह पांच बजे तक लागू रहेगा. मोबाइल इंटरनेट सेवा भी अगले 24 घंटे तक बंद रहेगी. संगमा ने कहा, 'मंत्रिमंडल के सदस्यों की सलाह पर आयोग जांच अधिनियम के तहत 13 अगस्त की घटना की जांच के लिए न्यायिक जांच कराने का फैसला किया गया.' हालांकि, मुख्यमंत्री ने 13 अगस्त को मुठभेड़ में हुई मौत की न्यायिक जांच के लिए न्यायाधीश के नाम की घोषणा नहीं की.

संगमा ने कहा कि उप मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति में कैबिनेट मंत्री आर डोहलिंग और आर टोंगखार भी होंगे. उन्होंने कहा, 'समिति में नागरिक समाज संगठनों, धार्मिक संगठनों, समुदाय प्रमुख आदि भी सदस्य होंगे.'

संगमा ने ट्वीट किया, 'सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक उप समिति होगी जिसमें उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री सदस्य होंगे, जो कानून व्यवस्था, भविष्य के खतरों और कुल मिलाकार मेघालय पुलिस की कार्यप्रणाली को देखेगी.'

हालांकि, शिलांग की घटना के बाद गृहमंत्री लहकमैन रिम्बुई ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने उसे स्वीकार नहीं किया है.

संगमा ने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्री ने राज्य की मदद के लिए केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बल की पांच अतिरिक्त कंपनियां मंजूर की है.

इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित अधिकार समूह 'इट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप' (Rights and Risks Analysis Group ) ने सोमवार को हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन (Hynniewtrep National Liberation Council) के पूर्व नेता चेरिस्टरफील्ड थांगख्यू (Cheristerfield Thangkhiew) की हालिया हत्या की केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) से जांच कराने की मांग की.

बता दें कि चेरिस्टरफील्ड थांगख्यू की13 अगस्त, 2021 को शिलांग में उनके घर पर पुलिस छापेमारी के दौरान हत्या हो गई थी.

मेघालय के गृह मंत्री (Meghalaya Home Minister) लहकमेन रिंबुई (Lahkmen Rymbui ) ने रविवार को यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि पुलिस ने कानून के वैध सिद्धांतों को पार कर लिया है.'

मामले में RRAG के निदेशक सुहास चकमा (Suhas Chakma) ने कहा कि आरआरएजी गृह मंत्री रिंबुई के इस्तीफे का स्वागत करता है. मुठभेड़ की प्रकृति को देखते हुए, केवल केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच ही सच्चाई का पता लगा सकती है.'

पढ़ें - दिन-दहाड़े गन प्वाइंट पर करोड़ों की लूट, इलाके में हड़कंप

चकमा ने आगे कहा, 'पुलिस मुठभेड़ में हुई मौतों पर संपूर्ण, प्रभावी और स्वतंत्र जांच के लिए मानक प्रक्रिया 23 सितबंर 2014 को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा निर्धारित की गई थी, जिसमें किसी भी अन्य सामग्री सहित फोरेंसिक और बैलिस्टिक विश्लेषण (forensic and ballistic analysis) के लिए हथियार सौंपने संबंधित पुलिस अधिकारी शामिल थे. जांच दल द्वारा आवश्यक के रूप में इसका पालन किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि 2014-2015 से 2018-2019 के दौरान पुलिस मुठभेड़ में हुई मौतों के मामले में मेघालय देश में सातवें स्थान पर है, जहां 1,073 लोग मारे गए है.

चकमा ने कहा कि NHRC के आंकड़ों के अनुसार इस अवधि के दौरान मुठभेड़ में सबसे अधिक मौतें छत्तीसगढ़ (248 मौतें) में हुईं, उसके बाद असम (191 मौतें), उत्तर प्रदेश (124 मौतें), झारखंड (75), आंध्र प्रदेश (71 मौतें) में हुईं। ), ओडिशा (69 मौतें), मेघालय (56 मौतें), महाराष्ट्र (44 मौतें), हरियाणा (28 मौतें और मध्य प्रदेश (21 मौतें) हुई हैं.

उन्होंने आगे कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार 30 लाख की आबादी वाला राज्य मेघालय, 2014-2015 से 2018-2019 के दौरान पुलिस मुठभेड़ में हुई मौतों पर देश में 7 वें स्थान पर है, यह गंभीर चिंता का विषय है और राज्य पुलिस की प्रकृति को उजागर करता है.

नई दिल्ली : मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने सोमवार को पुलिस मुठभेड़ में पूर्व उग्रवादी नेता के मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की. बता दें कि पूर्व उग्रवादी नेता के समर्थकों ने मुठभेड़ के खिलाफ स्वतंत्रता दिवस के दिन शिलांग में तोड-फोड़ और आगजनी की थी, जिसकी वजह से प्रशासन को राज्य की राजधानी में कर्फ्यू लगाना पड़ा था.

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संगमा ने कहा कि उप मुख्यमंत्री प्रेस्टन तिनसॉन्ग की अध्यक्षता में सरकार शांति समिति गठित करेगी, जिसमें नागरिक समाज संगठन के प्रतिनिधि और अन्य बतौर सदस्य शामिल होंगे.

उन्होंने बताया कि सरकार ने शिलांग में कर्फ्यू की मियाद 24 घंटे और बढ़ाने का फैसला किया है एवं अब यह 18 अगस्त सुबह पांच बजे तक लागू रहेगा. मोबाइल इंटरनेट सेवा भी अगले 24 घंटे तक बंद रहेगी. संगमा ने कहा, 'मंत्रिमंडल के सदस्यों की सलाह पर आयोग जांच अधिनियम के तहत 13 अगस्त की घटना की जांच के लिए न्यायिक जांच कराने का फैसला किया गया.' हालांकि, मुख्यमंत्री ने 13 अगस्त को मुठभेड़ में हुई मौत की न्यायिक जांच के लिए न्यायाधीश के नाम की घोषणा नहीं की.

संगमा ने कहा कि उप मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति में कैबिनेट मंत्री आर डोहलिंग और आर टोंगखार भी होंगे. उन्होंने कहा, 'समिति में नागरिक समाज संगठनों, धार्मिक संगठनों, समुदाय प्रमुख आदि भी सदस्य होंगे.'

संगमा ने ट्वीट किया, 'सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक उप समिति होगी जिसमें उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री सदस्य होंगे, जो कानून व्यवस्था, भविष्य के खतरों और कुल मिलाकार मेघालय पुलिस की कार्यप्रणाली को देखेगी.'

हालांकि, शिलांग की घटना के बाद गृहमंत्री लहकमैन रिम्बुई ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने उसे स्वीकार नहीं किया है.

संगमा ने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्री ने राज्य की मदद के लिए केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बल की पांच अतिरिक्त कंपनियां मंजूर की है.

इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित अधिकार समूह 'इट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप' (Rights and Risks Analysis Group ) ने सोमवार को हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन (Hynniewtrep National Liberation Council) के पूर्व नेता चेरिस्टरफील्ड थांगख्यू (Cheristerfield Thangkhiew) की हालिया हत्या की केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) से जांच कराने की मांग की.

बता दें कि चेरिस्टरफील्ड थांगख्यू की13 अगस्त, 2021 को शिलांग में उनके घर पर पुलिस छापेमारी के दौरान हत्या हो गई थी.

मेघालय के गृह मंत्री (Meghalaya Home Minister) लहकमेन रिंबुई (Lahkmen Rymbui ) ने रविवार को यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि पुलिस ने कानून के वैध सिद्धांतों को पार कर लिया है.'

मामले में RRAG के निदेशक सुहास चकमा (Suhas Chakma) ने कहा कि आरआरएजी गृह मंत्री रिंबुई के इस्तीफे का स्वागत करता है. मुठभेड़ की प्रकृति को देखते हुए, केवल केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच ही सच्चाई का पता लगा सकती है.'

पढ़ें - दिन-दहाड़े गन प्वाइंट पर करोड़ों की लूट, इलाके में हड़कंप

चकमा ने आगे कहा, 'पुलिस मुठभेड़ में हुई मौतों पर संपूर्ण, प्रभावी और स्वतंत्र जांच के लिए मानक प्रक्रिया 23 सितबंर 2014 को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा निर्धारित की गई थी, जिसमें किसी भी अन्य सामग्री सहित फोरेंसिक और बैलिस्टिक विश्लेषण (forensic and ballistic analysis) के लिए हथियार सौंपने संबंधित पुलिस अधिकारी शामिल थे. जांच दल द्वारा आवश्यक के रूप में इसका पालन किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि 2014-2015 से 2018-2019 के दौरान पुलिस मुठभेड़ में हुई मौतों के मामले में मेघालय देश में सातवें स्थान पर है, जहां 1,073 लोग मारे गए है.

चकमा ने कहा कि NHRC के आंकड़ों के अनुसार इस अवधि के दौरान मुठभेड़ में सबसे अधिक मौतें छत्तीसगढ़ (248 मौतें) में हुईं, उसके बाद असम (191 मौतें), उत्तर प्रदेश (124 मौतें), झारखंड (75), आंध्र प्रदेश (71 मौतें) में हुईं। ), ओडिशा (69 मौतें), मेघालय (56 मौतें), महाराष्ट्र (44 मौतें), हरियाणा (28 मौतें और मध्य प्रदेश (21 मौतें) हुई हैं.

उन्होंने आगे कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार 30 लाख की आबादी वाला राज्य मेघालय, 2014-2015 से 2018-2019 के दौरान पुलिस मुठभेड़ में हुई मौतों पर देश में 7 वें स्थान पर है, यह गंभीर चिंता का विषय है और राज्य पुलिस की प्रकृति को उजागर करता है.

Last Updated : Aug 16, 2021, 10:21 PM IST
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