रीवा. पहले कोरोना और उसके बाद आठ महीने तक फेफड़ों में संक्रमण से जूझने के बाद मंगलवार रात रकरी गांव कि किसान धर्मजय सिंह (50) ने चेन्नई के अपोलो अस्पताल (rewa farmer died in chennai) में दम तोड़ दिया. परिजनों का कहना है कि उनके इलाज में 8 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. अपोलो में हर दिन का चार्ज 3 लाख रुपये था. इसके लिए परिजनों ने अपनी 50 एकड़ जमीन भी बेच दी, लेकिन वे धर्मजय सिंह को बचा नहीं पाए.
एयर एंबुलेंस से ले जाए गए चेन्नई
मऊगंज क्षेत्र के रकरी गांव के रहने वाले धर्मजय सिंह (50) का 30 अप्रैल 2021 को सैंपल (rewa farmer spent 8 crore rupee on corona treatment) लिया गया था. 2 मई को उनकी रिपोर्ट आई, जिसमें वे कोरोना संक्रमित पाए गए थे. भाई प्रदीप सिंह ने बताया कि तब धर्मजय को रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका ब्लड प्रेशर कम को गया था. आईसीयू में इलाज के दौरान उनका ब्रेन हेमरेज हो गया था. इसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. हालत में सुधार न होने पर 18 मई को एयर एम्बुलेंस से चेन्नई ले जाया गया. तब से वह अपोलो अस्पताल में भर्ती थे.
फेफड़े हो गए थे 100% संक्रमित
अपोलो में धर्मजय सिंह के फेफड़े 100% संक्रमित हो गए थे. हालांकि, चार दिन बाद कोरोना संक्रमण से ठीक हो गए थे. फेफड़ों में संक्रमण के कारण एक्मो मशीन (corona treatment with acmo machine of rewa farmer) से उन्हें नई जिंदगी देने की कोशिश की जा रही थी. करीब 8 महीने उनका इलाज चला. इलाज पर हर दिन लगभग 3 लाख रुपए खर्च हो रहे थे, जिसके लिए परिवार ने 50 एकड़ जमीन तक बेच डाली, लेकिन फिर भी कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी.
लंदन के डॉक्टर कर रहे थे इलाज
परिजनों की कहना है कि धर्मजय सिंह का इलाज देश-विदेश के डॉक्टरों की मौजूदगी में हुआ. उनको देखने लंदन के मशहूर डॉक्टर अपोलो अस्पताल आया करते थे. साथ ही अन्य देशों के डॉक्टरों की भी ऑनलाइन सलाह ली जा रही थी. लंदन के डॉक्टरों के कहने पर ही आठ माह तक एक्मो मशीन पर रखा गया था. अब से पहले देश में कोरोना का सबसे लंबा इलाज मेरठ के विश्वास सैनी का चला था, जिन्होंने 130 दिन बाद कोरोना को मात दी थी.
कौन हैं धर्मजय सिंह
धर्मजय सिंह ने स्ट्राॅबेरी और गुलाब की खेती को विंध्य में विशिष्ट पहचान दिलाई थी. इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 26 जनवरी 2021 को पीटीएस मैदान में धर्मजय को सम्मानित किया था. कोरोना काल में लोगों की सेवा करते हुए धर्मजय संक्रमित हुए थे. परिजनों का दावा है परिवार वालों ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई थी. इसके बाद सिर्फ 4 लाख रुपए की आर्थिक मदद मिली थी.
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