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भड़काऊ भाषण मामले में हाईकोर्ट ने काफिल खान के खिलाफ दर्ज FIR रद्द कीं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉ कफील खान को राहत दी है. कोर्ट ने कफील खान के खिलाफ सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण के मामले में लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है. कफील खान के खिलाफ साल 2019 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए भाषण के खिलाफ यह केस दर्ज किया गया था.

काफिल खान
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Published : Aug 26, 2021, 10:44 PM IST

Updated : Aug 26, 2021, 10:59 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के डॉ कफील अहमद खान को फिलहाल राहत दे दी है. कफील खान को पुलिस की तकनीकी प्रक्रिया की खामियों का लाभ मिला है. कोर्ट ने सरकार से अभियोजन चलाने की अनुमति लिए बगैर चार्जशीट पर सीजेएम अलीगढ़ द्वारा संज्ञान लेने की कार्यवाही रद्द कर दी है. साथ ही सरकार की अभियोजन चलाने की अनुमति के बाद ही सीजेएम को नियमानुसार कार्यवाही के लिए पत्रावली वापस भेज दी है.

कोर्ट ने कहा कि सरकार से अनुमति मिलने के बाद आपराधिक केस चल सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने डॉ कफील खान की याचिका पर दिया है.

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार,अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह और शांभवी शुक्ला, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र ने पक्ष रखा.

काफिल खान का बयान

बता दें कि याची के खिलाफ सीएए के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आयोजित सभा में भड़काऊ, देश विरोधी भाषण देने के आरोप में एफ आई आर दर्ज कराई गई थी. पुलिस ने भी चार्जशीट दाखिल की थी. सीजेएम ने रिपोर्ट पर संज्ञान भी ले लिया. जिसकी वैधता को चुनौती दी गई थी.

याची अधिवक्ता का कहना था कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत लोक सेवक के विरूद्ध बिना सरकार की अनुमति लिए आपराधिक केस नहीं चलाया जा सकता. मजिस्ट्रेट का आदेश सुप्रीम कोर्ट और कानूनी उपबंधों के खिलाफ होने के कारण रद्द किया जाए.

सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि आरोप निर्मित करते समय पर यदि अभियोजन चलाने की अनुमति न मिलती तो कार्यवाही रद्द की जा सकती है.अभी संज्ञान लेने के आदेश के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है. किन्तु कोर्ट ने बिना सरकार की अनुमति लिए मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेने के आदेश को रद्द कर दिया है.

पढ़ें - Unitech Case : SC का आदेश, तिहाड़ से मुंबई की जेलोंं में शिफ्ट किए जाएं संजय, अजय चंद्रा

इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ कफील ने कहा कि यह भारत की जनता की जीत है और इस फैसले से न्यायपालिका में हमारा विश्वास बढ़ा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से योगी आदित्यनाथ सरकार का उत्तर प्रदेश की जनता के प्रति रवैया साफ हो गया है. इस फैसले ने सभी की पोल खोल दी है.

उन्होंने कहा कि यह साहसिक निर्णय भारत भर के सभी लोकतंत्र समर्थक नागरिकों और जेल कर्मियों को आशा की किरण देगा.

डॉ काफिल खान ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका से न्याय की पूरी उम्मीद थी और न्यायपालिका ने न्याय किया है. यह हमारे लिए बड़ी राहत का समय है. उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका में विश्वास रखने वाले सभी भारतीय नागरिकों की जीत है. उन सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद जो मुझसे प्यार करते हैं और हमारे लिए प्रार्थना करते हैं.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के डॉ कफील अहमद खान को फिलहाल राहत दे दी है. कफील खान को पुलिस की तकनीकी प्रक्रिया की खामियों का लाभ मिला है. कोर्ट ने सरकार से अभियोजन चलाने की अनुमति लिए बगैर चार्जशीट पर सीजेएम अलीगढ़ द्वारा संज्ञान लेने की कार्यवाही रद्द कर दी है. साथ ही सरकार की अभियोजन चलाने की अनुमति के बाद ही सीजेएम को नियमानुसार कार्यवाही के लिए पत्रावली वापस भेज दी है.

कोर्ट ने कहा कि सरकार से अनुमति मिलने के बाद आपराधिक केस चल सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने डॉ कफील खान की याचिका पर दिया है.

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार,अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह और शांभवी शुक्ला, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र ने पक्ष रखा.

काफिल खान का बयान

बता दें कि याची के खिलाफ सीएए के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आयोजित सभा में भड़काऊ, देश विरोधी भाषण देने के आरोप में एफ आई आर दर्ज कराई गई थी. पुलिस ने भी चार्जशीट दाखिल की थी. सीजेएम ने रिपोर्ट पर संज्ञान भी ले लिया. जिसकी वैधता को चुनौती दी गई थी.

याची अधिवक्ता का कहना था कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत लोक सेवक के विरूद्ध बिना सरकार की अनुमति लिए आपराधिक केस नहीं चलाया जा सकता. मजिस्ट्रेट का आदेश सुप्रीम कोर्ट और कानूनी उपबंधों के खिलाफ होने के कारण रद्द किया जाए.

सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि आरोप निर्मित करते समय पर यदि अभियोजन चलाने की अनुमति न मिलती तो कार्यवाही रद्द की जा सकती है.अभी संज्ञान लेने के आदेश के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है. किन्तु कोर्ट ने बिना सरकार की अनुमति लिए मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेने के आदेश को रद्द कर दिया है.

पढ़ें - Unitech Case : SC का आदेश, तिहाड़ से मुंबई की जेलोंं में शिफ्ट किए जाएं संजय, अजय चंद्रा

इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ कफील ने कहा कि यह भारत की जनता की जीत है और इस फैसले से न्यायपालिका में हमारा विश्वास बढ़ा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से योगी आदित्यनाथ सरकार का उत्तर प्रदेश की जनता के प्रति रवैया साफ हो गया है. इस फैसले ने सभी की पोल खोल दी है.

उन्होंने कहा कि यह साहसिक निर्णय भारत भर के सभी लोकतंत्र समर्थक नागरिकों और जेल कर्मियों को आशा की किरण देगा.

डॉ काफिल खान ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका से न्याय की पूरी उम्मीद थी और न्यायपालिका ने न्याय किया है. यह हमारे लिए बड़ी राहत का समय है. उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका में विश्वास रखने वाले सभी भारतीय नागरिकों की जीत है. उन सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद जो मुझसे प्यार करते हैं और हमारे लिए प्रार्थना करते हैं.

Last Updated : Aug 26, 2021, 10:59 PM IST
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