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चिकित्सा शिक्षा का नियमन बन गया है कारोबार, देश के लिए त्रासदी : सुप्रीम कोर्ट

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Published : Oct 5, 2021, 10:48 PM IST

केंद्र को नीट सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 के पाठ्यक्रम में किये गये बदलावों को वापस लेने पर विचार करने का एक मौका देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि चिकित्सा पेशा और शिक्षा कारोबार बन गया है और अब चिकित्सा शिक्षा का नियमन इस स्तर पर पहुंच गया है कि देश के लिए त्रासदी बन गया है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : केंद्र को नीट सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 के पाठ्यक्रम में किये गये बदलावों को वापस लेने पर विचार करने का एक मौका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चिकित्सा पेशा और शिक्षा कारोबार बन गया है और अब चिकित्सा शिक्षा का नियमन इस स्तर पर पहुंच गया है कि देश के लिए त्रासदी बन गया है.

जुलाई में परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी किये जाने के बाद आखिरी क्षण में बदलाव किये जाने पर केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) तथा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के स्पष्टीकरण से शीर्ष अदालत संतुष्ट नहीं थी.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने करीब दो घंटे की सुनवाई में केंद्र, एनबीई तथा एनएमसी को बुधवार सुबह तक समाधान निकालने का समय दिया और कहा कि युवा चिकित्सकों के प्रति किसी तरह के पूर्वाग्रह से बचने के लिए वह मामले में सुनवाई जारी रखेगी.

पीठ ने कहा, 'अभी मामले में आंशिक सुनवाई हुई है और आप अपनी व्यवस्था अब भी दुरुस्त कर सकते हैं और हम आपको कल तक का समय देंगे. हम आंशिक रूप से सुनवाई वाले मामले को स्थगित नहीं करेंगे, क्योंकि यह छात्रों के साथ पूर्वाग्रह ही होगा,लेकिन हमें उम्मीद है कि बेहतर होगा.'

शीर्ष अदालत 41 पीजी डॉक्टरों और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने 13 और 14 नवंबर को परीक्षा के आयोजन के लिए 23 जुलाई को अधिसूचना जारी होने के बाद अंतिम समय में पाठ्यक्रम में किये गये बदलावों को चुनौती दी है.

केंद्र की तरफ से अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अदालत को यह नहीं लगना चाहिए कि पाठ्यक्रम में अंतिम समय में बदलाव निजी कॉलेजों में खाली सीटों को भरने के लिए किया गया था और वे अदालत को इस धारणा को खारिज करने के लिए मनाने का प्रयास करेंगे.

यह भी पढ़ें- बच्चे-युवा आने वाले कई वर्षों तक मानसिक स्वास्थ्य पर कोविड-19 के प्रभाव को महसूस करेंगे : यूनिसेफ

पीठ ने कहा, 'हमें यह बात मजबूती से लगती है कि चिकित्सा व्यवसाय कारोबार बन गया है, चिकित्सा शिक्षा कारोबार बन गयी है और चिकित्सा शिक्षा का नियमन एक कारोबार बन गया है. यह देश के लिए त्रासदी है.'

उसने कहा कि अधिकारियों को छात्रों के लिए कुछ चिंता दिखानी चाहिए क्योंकि ये विद्यार्थी परीक्षा से दो या तीन महीने पहले तैयारी शुरू नहीं करते बल्कि पीजी पाठ्यक्रम में दाखिले के साथ ही तैयारी शुरू कर देते हैं. वे सुपर स्पेशियलिटी चाहते हैं, जिसमें सालों की प्रतिबद्धता चाहिए होती है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार को इन मेडिकल कॉलेजों में निजी क्षेत्र के निवेश का संतुलन करना होता है, लेकिन उसे चिकित्सा व्यवसाय के हित में तथा छात्रों के हित में भी उतना ही सोचना चाहिए.

(पीटीआई भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र को नीट सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 के पाठ्यक्रम में किये गये बदलावों को वापस लेने पर विचार करने का एक मौका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चिकित्सा पेशा और शिक्षा कारोबार बन गया है और अब चिकित्सा शिक्षा का नियमन इस स्तर पर पहुंच गया है कि देश के लिए त्रासदी बन गया है.

जुलाई में परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी किये जाने के बाद आखिरी क्षण में बदलाव किये जाने पर केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) तथा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के स्पष्टीकरण से शीर्ष अदालत संतुष्ट नहीं थी.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने करीब दो घंटे की सुनवाई में केंद्र, एनबीई तथा एनएमसी को बुधवार सुबह तक समाधान निकालने का समय दिया और कहा कि युवा चिकित्सकों के प्रति किसी तरह के पूर्वाग्रह से बचने के लिए वह मामले में सुनवाई जारी रखेगी.

पीठ ने कहा, 'अभी मामले में आंशिक सुनवाई हुई है और आप अपनी व्यवस्था अब भी दुरुस्त कर सकते हैं और हम आपको कल तक का समय देंगे. हम आंशिक रूप से सुनवाई वाले मामले को स्थगित नहीं करेंगे, क्योंकि यह छात्रों के साथ पूर्वाग्रह ही होगा,लेकिन हमें उम्मीद है कि बेहतर होगा.'

शीर्ष अदालत 41 पीजी डॉक्टरों और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने 13 और 14 नवंबर को परीक्षा के आयोजन के लिए 23 जुलाई को अधिसूचना जारी होने के बाद अंतिम समय में पाठ्यक्रम में किये गये बदलावों को चुनौती दी है.

केंद्र की तरफ से अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अदालत को यह नहीं लगना चाहिए कि पाठ्यक्रम में अंतिम समय में बदलाव निजी कॉलेजों में खाली सीटों को भरने के लिए किया गया था और वे अदालत को इस धारणा को खारिज करने के लिए मनाने का प्रयास करेंगे.

यह भी पढ़ें- बच्चे-युवा आने वाले कई वर्षों तक मानसिक स्वास्थ्य पर कोविड-19 के प्रभाव को महसूस करेंगे : यूनिसेफ

पीठ ने कहा, 'हमें यह बात मजबूती से लगती है कि चिकित्सा व्यवसाय कारोबार बन गया है, चिकित्सा शिक्षा कारोबार बन गयी है और चिकित्सा शिक्षा का नियमन एक कारोबार बन गया है. यह देश के लिए त्रासदी है.'

उसने कहा कि अधिकारियों को छात्रों के लिए कुछ चिंता दिखानी चाहिए क्योंकि ये विद्यार्थी परीक्षा से दो या तीन महीने पहले तैयारी शुरू नहीं करते बल्कि पीजी पाठ्यक्रम में दाखिले के साथ ही तैयारी शुरू कर देते हैं. वे सुपर स्पेशियलिटी चाहते हैं, जिसमें सालों की प्रतिबद्धता चाहिए होती है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार को इन मेडिकल कॉलेजों में निजी क्षेत्र के निवेश का संतुलन करना होता है, लेकिन उसे चिकित्सा व्यवसाय के हित में तथा छात्रों के हित में भी उतना ही सोचना चाहिए.

(पीटीआई भाषा)

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