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शराब की कीमतों में छूट देने पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार - Abhishek Manu Singhvi

दिल्ली सरकार (Delhi Government) की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने शराब के खुदरा दुकानदारों की ओर से शराब की कीमतों में छूट देने पर रोक लगाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि यह फैसला दिल्ली में शराब की अवैध बिक्री को रोकने के लिए किया है.

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Published : Mar 8, 2022, 10:20 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शराब के खुदरा दुकानदारों की ओर से शराब की कीमतों में छूट या रियायत देने पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. जस्टिस वी कामेश्वर राव की बेंच ने ये आदेश दिया.

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शराब के खुदरा दुकानदारों की ओर से शराब की कीमतों में छूट देने पर रोक लगाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि यह फैसला दिल्ली में शराब की अवैध बिक्री को रोकने के लिए किया है. अगर खुदरा दुकानदारों को शराब की कीमतों में छूट की अनुमति दी जाती तो इससे अवैध बिक्री की संभावना बढ़ जाती.

यह याचिका निजी शराब दुकानदारों ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि दिल्ली के आबकारी आयुक्त ने 28 फरवरी को शराब की कीमतों में छूट या रियायत देने पर रोक लगाने का आदेश दिया था. आबकारी आयुक्त के आदेश में शराब दुकानों पर भीड़ जुटने और अस्वस्थ बाजार प्रतिस्पर्धा की दलील दी गई थी, लेकिन दिल्ली सरकार का ये फैसला खुद उसके आबकारी नीति का उल्लंघन है.

यह भी पढ़ें- केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक के दाखिले की उम्रसीमा बढ़ाने पर HC ने मांगा जवाब

आबकारी नीति में शराब की कीमतों में छूट देने की बात कही गई है. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने ये आदेश पारित करते समय शराब के दुकानदारों का पक्ष नहीं सुना गया. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार का ये आदेश मुक्त बाजार और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के सिद्धांतों का उल्लंघन है. ये आदेश मनमाना है और संविधान की धारा 14 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया था कि जब एक बार निविदा की प्रक्रिया पूरी हो गई और लाईसेंस जारी कर दिए गए तब फिर दोबारा आदेश देना कहीं से भी विधि सम्मत नहीं है.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शराब के खुदरा दुकानदारों की ओर से शराब की कीमतों में छूट या रियायत देने पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. जस्टिस वी कामेश्वर राव की बेंच ने ये आदेश दिया.

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शराब के खुदरा दुकानदारों की ओर से शराब की कीमतों में छूट देने पर रोक लगाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि यह फैसला दिल्ली में शराब की अवैध बिक्री को रोकने के लिए किया है. अगर खुदरा दुकानदारों को शराब की कीमतों में छूट की अनुमति दी जाती तो इससे अवैध बिक्री की संभावना बढ़ जाती.

यह याचिका निजी शराब दुकानदारों ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि दिल्ली के आबकारी आयुक्त ने 28 फरवरी को शराब की कीमतों में छूट या रियायत देने पर रोक लगाने का आदेश दिया था. आबकारी आयुक्त के आदेश में शराब दुकानों पर भीड़ जुटने और अस्वस्थ बाजार प्रतिस्पर्धा की दलील दी गई थी, लेकिन दिल्ली सरकार का ये फैसला खुद उसके आबकारी नीति का उल्लंघन है.

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आबकारी नीति में शराब की कीमतों में छूट देने की बात कही गई है. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने ये आदेश पारित करते समय शराब के दुकानदारों का पक्ष नहीं सुना गया. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार का ये आदेश मुक्त बाजार और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के सिद्धांतों का उल्लंघन है. ये आदेश मनमाना है और संविधान की धारा 14 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया था कि जब एक बार निविदा की प्रक्रिया पूरी हो गई और लाईसेंस जारी कर दिए गए तब फिर दोबारा आदेश देना कहीं से भी विधि सम्मत नहीं है.

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