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फिर पलायन का दौर : कारण, दावे, आरोप और सुझाव - फिर पलायन का दौर

देश में प्रवासी मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हो गया है. कई राज्यों में लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू के बाद वह अपने घरों की ओर रुख कर रहे हैं. 'ईटीवी भारत' ने दिल्ली से पलायन कर रहे मजदूरों और पूरे मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं से बात की. खास रिपोर्ट.

फिर पलायन का दौर
फिर पलायन का दौर
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Published : Apr 21, 2021, 3:00 AM IST

नई दिल्ली : देश में एक बार फिर प्रवासी मजदूरों के बड़े पैमाने पर पलायन के दृश्य देखे जा रहे हैं. विभिन्न राज्यों में तालाबंदी के बाद वह अपने मूल स्थानों पर वापस जाने की उम्मीद में राज्य की सीमाओं पर इकट्ठा हो रहे हैं. 2020 में भी कुछ यही स्थिति थी. मजदूर दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में लॉकडाउन हो जाने के बाद अपनी आजीविका के बारे में चिंतित थे.

'ईटीवी भारत' ने अपने घरों को लौट रहे कुछ प्रवासी मजदूरों से बात की. एक प्रवासी मजदूर, जो बिहार अपने मूल स्थान लौट रहा था ने कहा, 'लॉकडाउन के बीच यहां भोजन की कोई गारंटी नहीं है. कम से कम हमें अपने गांव में खाने के लिए कुछ मिलेगा.'

दिल्ली से फिर पलायन

बिहार के मधुबनी के रहने वाले व्यक्ति का कहना था 'कौन जानता है कि यह तालाबंदी कब तक रहेगी. पहले उन्होंने इसे 2 दिनों के लिए लगाया, फिर इसे 6 दिनों के लिए बढ़ा दिया. यहां भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है. हमारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं यदि हमारे पास बचा हुआ धन समाप्त हो जाएगा, तो हम अपने गांव भी नहीं जा पाएंगे.'

2020 में देशव्यापी तालाबंदी के कारण अधिकांश सार्वजनिक परिवहन को बंद कर दिया गया था. हजारों प्रवासी मजदूरों के पास कोई विकल्प न होने पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था.

हालांकि इस वर्ष रेल मंत्रालय ने पूर्व घोषणा की थी कि ट्रेनों की कोई कमी नहीं होगी और लोगों को किसी भी अटकलों के आधार पर घबराना नहीं चाहिए. वर्तमान में भी रेलवे ने यह दावा किया है कि रेलवे स्टेशनों पर इतनी भीड़ नहीं है क्योंकि केवल आरक्षित टिकट वाले यात्री ही ट्रेनों में यात्रा कर सकते हैं.

रेलवे ने कहा- घबराने की जरूरत नहीं, पर्याप्त ट्रेनें हैं

रेलवे ने कहा घबराने की जरूरत नहीं

रेलवे मंत्रालय के प्रवक्ता डीजे नारायण ने 'ईटीवी भारत' से कहा, 'सभी रेलवे स्टेशनों पर सामान्य स्थिति है. किसी भी स्टेशन पर भीड़भाड़ की कोई सूचना नहीं है.लोगों को किसी भी तरह की अटकलों से बचना चाहिए और भारतीय रेलवे की आधिकारिक घोषणाओं की प्रतीक्षा करनी चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'रेलवे अपनी सेवाओं का संचालन जारी रखे हुए है. कुछ मार्गों पर जहां मांग अधिक है अतिरिक्त ट्रेनें भी शुरू की जा रही हैं. घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है.

उन्होंने कहा कि 'मैं लोगों से आग्रह करना चाहता हूं, आरक्षित टिकट लें, आराम से यात्रा करें. रेलवे हमेशा आपकी मदद करने के लिए मौजूद है. सीएम केजरीवाल ने भी लोगों से पलायन न करने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि सरकार आप लोगों का पूरा ख्याल रखेगी.

कांग्रेस ने फिर दोहराई खाते में 6000 रुपये डालने की मांग

सुनिए ईटीवी से क्या बोले कांग्रेस नेता
कांग्रेस बार-बार केंद्र सरकार से लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों के लिए वित्तीय सहायता की मांग करती रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 'ईटीवी भारत' से कहा, 'वर्तमान में राज्य में जो एकमात्र सुझाव प्रासंगिक है, वह प्रत्येक पात्र नागरिक के खाते में 6,000 रुपये की मासिक आय हस्तांतरण. राज्य गंभीर वित्तीय तनाव में हैं. केंद्र के पास पीएम-केयर्स है. किसी को नहीं पता उस पैसे का क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा पर लगभग 30,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं लेकिन केंद्र के पास राज्यों को देने के लिए कोई पैसा नहीं है.'

उन्होंने जोर देकर कहा, 'कांग्रेस ने इस मांग के संबंध में पत्र लिखे हैं, लेकिन पीएम की तरफ से चुप्पी है. प्रवासी मजदूरों का मुद्दा गंभीर होता जा रहा है.
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने लॉकडाउन लागू करने से पहले दिल्ली सरकार की योजना पर सवाल उठाया.

पढ़ें- सरकार ने रेमडेसिविर, इसके एपीआई पर आयात शुल्क समाप्त किया

माकन ने कहा, 'हमें पिछले साल से सबक लेना चाहिए था. यह वास्तव में विश्वास की कमी का मामला है और केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं. शहरी गरीब, विक्रेता, प्रवासी मजदूरों की पहचान कर उनके खातों में सीधे पैसे डालने चाहिए. इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार दोनों को लोगों को आश्वासन देना चाहिए था कि यदि वे अपने मूल स्थानों पर जाना चाहते हैं तो उनके लिए उचित व्यवस्था की जाएगी.'

नई दिल्ली : देश में एक बार फिर प्रवासी मजदूरों के बड़े पैमाने पर पलायन के दृश्य देखे जा रहे हैं. विभिन्न राज्यों में तालाबंदी के बाद वह अपने मूल स्थानों पर वापस जाने की उम्मीद में राज्य की सीमाओं पर इकट्ठा हो रहे हैं. 2020 में भी कुछ यही स्थिति थी. मजदूर दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में लॉकडाउन हो जाने के बाद अपनी आजीविका के बारे में चिंतित थे.

'ईटीवी भारत' ने अपने घरों को लौट रहे कुछ प्रवासी मजदूरों से बात की. एक प्रवासी मजदूर, जो बिहार अपने मूल स्थान लौट रहा था ने कहा, 'लॉकडाउन के बीच यहां भोजन की कोई गारंटी नहीं है. कम से कम हमें अपने गांव में खाने के लिए कुछ मिलेगा.'

दिल्ली से फिर पलायन

बिहार के मधुबनी के रहने वाले व्यक्ति का कहना था 'कौन जानता है कि यह तालाबंदी कब तक रहेगी. पहले उन्होंने इसे 2 दिनों के लिए लगाया, फिर इसे 6 दिनों के लिए बढ़ा दिया. यहां भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है. हमारे पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं यदि हमारे पास बचा हुआ धन समाप्त हो जाएगा, तो हम अपने गांव भी नहीं जा पाएंगे.'

2020 में देशव्यापी तालाबंदी के कारण अधिकांश सार्वजनिक परिवहन को बंद कर दिया गया था. हजारों प्रवासी मजदूरों के पास कोई विकल्प न होने पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था.

हालांकि इस वर्ष रेल मंत्रालय ने पूर्व घोषणा की थी कि ट्रेनों की कोई कमी नहीं होगी और लोगों को किसी भी अटकलों के आधार पर घबराना नहीं चाहिए. वर्तमान में भी रेलवे ने यह दावा किया है कि रेलवे स्टेशनों पर इतनी भीड़ नहीं है क्योंकि केवल आरक्षित टिकट वाले यात्री ही ट्रेनों में यात्रा कर सकते हैं.

रेलवे ने कहा- घबराने की जरूरत नहीं, पर्याप्त ट्रेनें हैं

रेलवे ने कहा घबराने की जरूरत नहीं

रेलवे मंत्रालय के प्रवक्ता डीजे नारायण ने 'ईटीवी भारत' से कहा, 'सभी रेलवे स्टेशनों पर सामान्य स्थिति है. किसी भी स्टेशन पर भीड़भाड़ की कोई सूचना नहीं है.लोगों को किसी भी तरह की अटकलों से बचना चाहिए और भारतीय रेलवे की आधिकारिक घोषणाओं की प्रतीक्षा करनी चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'रेलवे अपनी सेवाओं का संचालन जारी रखे हुए है. कुछ मार्गों पर जहां मांग अधिक है अतिरिक्त ट्रेनें भी शुरू की जा रही हैं. घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है.

उन्होंने कहा कि 'मैं लोगों से आग्रह करना चाहता हूं, आरक्षित टिकट लें, आराम से यात्रा करें. रेलवे हमेशा आपकी मदद करने के लिए मौजूद है. सीएम केजरीवाल ने भी लोगों से पलायन न करने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि सरकार आप लोगों का पूरा ख्याल रखेगी.

कांग्रेस ने फिर दोहराई खाते में 6000 रुपये डालने की मांग

सुनिए ईटीवी से क्या बोले कांग्रेस नेता
कांग्रेस बार-बार केंद्र सरकार से लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों के लिए वित्तीय सहायता की मांग करती रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 'ईटीवी भारत' से कहा, 'वर्तमान में राज्य में जो एकमात्र सुझाव प्रासंगिक है, वह प्रत्येक पात्र नागरिक के खाते में 6,000 रुपये की मासिक आय हस्तांतरण. राज्य गंभीर वित्तीय तनाव में हैं. केंद्र के पास पीएम-केयर्स है. किसी को नहीं पता उस पैसे का क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा पर लगभग 30,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं लेकिन केंद्र के पास राज्यों को देने के लिए कोई पैसा नहीं है.'

उन्होंने जोर देकर कहा, 'कांग्रेस ने इस मांग के संबंध में पत्र लिखे हैं, लेकिन पीएम की तरफ से चुप्पी है. प्रवासी मजदूरों का मुद्दा गंभीर होता जा रहा है.
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने लॉकडाउन लागू करने से पहले दिल्ली सरकार की योजना पर सवाल उठाया.

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माकन ने कहा, 'हमें पिछले साल से सबक लेना चाहिए था. यह वास्तव में विश्वास की कमी का मामला है और केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं. शहरी गरीब, विक्रेता, प्रवासी मजदूरों की पहचान कर उनके खातों में सीधे पैसे डालने चाहिए. इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार दोनों को लोगों को आश्वासन देना चाहिए था कि यदि वे अपने मूल स्थानों पर जाना चाहते हैं तो उनके लिए उचित व्यवस्था की जाएगी.'

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