तिरुवनंतपुरम : सीबीआई की एक विशेष अदालत ने केरल के कोट्टायम में 28 साल पहले हुई सिस्टर अभया की हत्या के दोषी पाए गए कैथोलिक पादरी और नन को बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इस पर चर्च की सिस्टर लुसी, कोट्टायम का द नाइया कैथोलिक आर्कपार्ची और मुख्य गवाह अदका राजू समेत कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी है.
वायनाड में मीडिया से बात करते हुए सिस्टर लुसी ने कहा कि कोर्ट के फैसले ने चर्च और केरल के लोगों को गौरवान्वित किया है.
मलयालम में प्रतिक्रिया में कहा गया कि सिस्टर अभया की मृत्यु दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण थी. सीबीआई कोर्ट ने फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने पाया कि उन्होंने सिस्टर अभया की हत्या की थी. उन पर लगाए गए आरोप अविश्वसनीय हैं. हालांकि, हम न्यायालय के आदेश को स्वीकार करते हैं.
अदका राजू जो इस मामले के मुख्य गवाह हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि सिस्टर अभया को न्याय मिला. हालांकि, उन्हें न्याय मिलने में देरी हुई. राजू ने मीडिया को बताया कि वे खुश हैं कि कोर्ट ने 28 साल बाद सिस्टर अभया की हत्या करने वालों को दोषी करार दिया.
कोट्टायम का द नाइया कैथोलिक आर्कपार्ची का कहना है कि यह फैसला 'अविश्वसनीय' है.
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इससे पहले बुधवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सनल कुमार ने कैथोलिक चर्च के फादर थॉमस कोट्टूर को आजीवन कारावास की दोहरी सजा सुनाई और उस पर 6.5 लाख रुपये जुर्माना लगाया, जबकि मामले की दूसरी दोषी सिस्टर सेफी को आजीवन कारावास और 5.5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई.
अदालत ने पादरी नन को सिस्टर अभया की हत्या का मंगलवार को दोषी पाया था. यह मामला 21 वर्षीय अभया की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से संबंधित है. उनका शव 27 मार्च 1992 को सेंट पायस कॉन्वेंट के एक कुएं से मिला था.
पादरी और नन को सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में भी सात-सात साल की सजा सुनाई गई है. हालांकि, अदालत ने कहा कि दोनों सजा साथ-साथ चलेंगी.
अभया कोट्टयम के बीसीयेम कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा थीं और कॉन्वेंट में रहती थीं.
इस मामले में अन्य आरोपी फादर जोस पुथ्रीक्कयील को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है.
शुरुआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस और राज्य की अपराध शाखा ने की थी और दोनों ने ही कहा था कि अभया ने खुदकुशी की है.
सीबीआई ने मामले की जांच 29 मार्च 1993 को अपने हाथ में ली और तीन क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी तथा कहा था कि यह हत्या का मामला है, लेकिन अपराधियों का पता नहीं चल सका है.
बहरहाल, चार सितंबर 2008 को केरल उच्च न्यायालय ने मामले को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई थी और कहा था कि एजेंसी अब भी राजनीतिक और नौकरशाही की ताकत रखने वालों की कैदी है तथा उसने सीबीआई की दिल्ली इकाई को निर्देश दिया था कि वह जांच को कोच्चि इकाई को सौंप दे.
इसके बाद सीबीआई ने 2008 में फादर कोट्टूर, फादर पूथ्रीक्कयील और नन सेफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.
अभियोजन के मुताबिक, कोट्टूर और पूथ्रीक्कयील का कथित रूप से सेफी से अवैध संबंध था.