हरिद्वार: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की रैलियों में उमड़ी भीड़ के बाद चारों ओर यही चर्चा है कि कुंभ मेले में आखिरकार इतनी पाबंदियां क्यों है? क्या कोरोना चुनावों में नहीं जाता और धार्मिक आयोजनों में आ जाता है. बता दें, हरिद्वार में महाकुंभ चल रहा है. जहां सरकार ने कोरोना का हवाला देकर कई पाबंदियां लगाई हैं, लेकिन श्रद्धालु और साधु-संतों के उत्साह में कोई कमी नहीं है. दूर-दूर से लोग महाकुंभ में शामिल होने के लिए हरिद्वार पहुंच रहे हैं, लेकिन श्रद्धालु सरकार पर कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं. ऐसे ही बंगाल चुनाव में वोट डालकर हरिद्वार पहुंचे एक दल से ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की. जहां वे सरकार के फरमान पर काफी असंतुष्ट नजर आए.
दरअसल, पश्चिम बंगाल में वोट डालने के बाद कुंभ मेले में आए वर्धमान जिले के 40 लोगों ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि ऐसा कुंभ उन्होंने पहले कभी नहीं देखा. जबकि, राजनीतिक रैलियों में भीड़ जमकर उमड़ रही थी. मौजूदा समय में हालात बहुत बुरे हैं. पूर्व में लगे कुंभ मेलों में जो भव्यता और दिव्यता दिख रही थी, वह यहां पर नदारद है.
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धार्मिक आयोजनों में कोरोना होता है लेकिन चुनावों में नहींः बंगाली श्रद्धालु
बंगाल के वोटर ने बताया कि वो पहले कई कुंभ देख चुके हैं. अन्य जगहों पर कुंभ के आयोजनों में जिस तरह से व्यवस्था होती थी, वैसी व्यवस्था इस बार कुंभ में हरिद्वार में नहीं दिख रही है. पहले भी वो साल 2010 के कुंभ में हरिद्वार आ चुके हैं, लेकिन न तो रुकने की व्यवस्था है और न ही खाने-पीने की व्यवस्था है. साथ ही कहा कि पानी पीने की व्यवस्था तो दूर की बात है. उनका कहना है कि क्या कोरोना राजनीतिक रैलियों में नहीं आता या फिर उसे जानबूझकर धार्मिक आयोजनों में भेजा जा रहा है.
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वहीं, इस दल में करीबन हर उम्र के लोग शामिल थे. जिन्होंने हरिद्वार कुंभ मेले के अनुभवों को ईटीवी भारत के साथ साझा किया. हरिद्वार के बैरागी कैंप स्थित अखाड़े में रुके यह लोग कहते हैं कि जैसे कुंभ मेले में भीड़ हुआ करती थी, वैसी भीड़ इस बार नहीं है. अगर यह भीड़ कोरोना वायरस की वजह से कम है तो सरकार को यह सोचना चाहिए कि जहां-जहां पर चुनाव हो रहे हैं, वहां पर यह भीड़ नियंत्रण क्यों नहीं हो रही है? बहरहाल, बाहर से आए श्रद्धालुओं को बड़ी निराशा हाथ लग रही है.