नई दिल्ली: कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति को 'राष्ट्रपत्नी' कहकर संबोधित करने को लेकर पूरा का पूरा सत्ता पक्ष लामबंद हो गया है. गुरुवार को इस मुद्दे पर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में काफी हंगामा बरपा. यही नहीं, इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच संसद के गलियारे में भी बहस हुई, जिसको लेकर भी पूरे दिन आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा.
सत्ताधारी एनडीए के नेताओं ने मांग की है कि सोनिया गांधी सदन में खुद माफी मांगें और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को राष्ट्रपति की अवमानना करने पर उनके पद से हटाएं. एनडीए का कहना है कि यदि कांग्रेस ऐसा नहीं करती है तो वह इसका विरोध करते रहेंगे. वहीं, विपक्षी पार्टियों का कहना है कि लगातार विपक्षी सांसद महंगाई, पेट्रोल-डीजल के दाम और जनता से जुड़े मामलों पर बहस करने की मांग कर रहे हैं और इस मांग के कारण ही 24 सांसदों को निलंबित भी किया गया है और इन्हीं मुद्दों से सरकार ध्यान हटाने के लिए इस मसले को तूल दे रही है.
इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री और एनडीए की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के नेता रामदास अठावले ने कहा कि यह सीधे-सीधे आदिवासी समुदाय का और माननीय राष्ट्रपति का अनादर है. उन्होंने कहा कि अधीर रंजन 'बधिर रंजन' हो गए हैं और उन्हें सत्ता पक्ष की मांग नहीं सुनाई पड़ रही है. उन्होंने कहा कि समय-समय पर अधीर रंजन चौधरी इसी तरह की टिप्पणी करते रहे हैं और उसके बाद वह यह कहकर अपने शब्द वापस ले लेते हैं कि उनकी हिंदी अच्छी नहीं है, लेकिन यह बार-बार नहीं चलेगा और उन्हें इस बात पर राष्ट्रपति से माफी नहीं मांगी.
साथ ही अठावले ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी भी यह मांग करती है कि सोनिया गांधी, अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में कांग्रेस के नेता पद से हटाएं और साथ ही इस मुद्दे पर खुद सोनिया गांधी भी सदन में और राष्ट्रपति से माफी मांगें. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से आती हैं, पहले भी कांग्रेस ने उनका समर्थन नहीं किया. वे गरीब पिछड़े तबकों का सम्मान करना नहीं जानते. जहां तक बात महंगाई पर चर्चा की है, सरकार चर्चा कराना चाहती है, लेकिन विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है.
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि पहले भी अधीर रंजन इस तरह की टिप्पणी करते आए हैं और लोगों से माफी मांगते रहे हैं, मगर यह मामला ऐसा है कि जिसमें न सिर्फ बीजेपी बल्कि कोई भी पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी. यह मामला देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद से जुड़ा है और इसमें खुद सोनिया गांधी को भी साथ देना चाहिए था और उन पर कार्रवाई करनी चाहिए थी.
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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी के बीच बहस के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि स्मृति ईरानी अपनी बात रख रही थीं और उसी में वह सोनिया गांधी से बात कर रही थीं, लेकिन सोनिया गांधी ने इस पर साथ न देते हुए उल्टे आरोप लगा दिया. मुझे लगता है कि ऐसे मामलों में विपक्ष को भी साथ देते हुए देश के सर्वोच्च पद पर बैठी एक आदिवासी महिला की हुई अवमानना का विरोध करना चाहिए.