बेंगलुरु : रामकृष्ण आश्रम के बेंगलुरु इकाई के प्रमुख स्वामी हर्षानंद का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. आश्रम अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि 91 वर्षीय स्वामी उम्र संबंधी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे और पिछले कुछ महीने से व्हीलचेयर पर थे.
आश्रम के एक अधिकारी ने बताया कि इसके बाद भी वह आश्रम के काम-काज का ध्यान रखते थे. आज दोपहर में भोजन के बाद वह अपने कक्ष में गए और एक बजे उनका निधन हो गया.
यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरय्या कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से वह गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले मैकेनिकल इंजीनियर थे. बाद में वह संत बन गए.
आश्रम के अधिकारियों ने बताया कि वह स्वामी विवेकानंद की शिक्षा से बेहद प्रभावित थे और 1954 में रामकृष्ण मिशन से जुड़ गए. वह रामकृष्ण मिशन के बेंगुलुरु शाखा के छठे प्रमुख स्वामी विरजानंद के संरक्षण में आध्यात्म की दीक्षा लिये.
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अपने प्रशासनिक गुणों के लिए पहचाने जाने वाले स्वामी ने बेंगलुरु, मैसुरू, मंगलुरु और रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ और इलाहाबाद में काम किया. वह 1989 से रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष थे.
अधिकारी ने बताया कि स्वामीजी को कई भाषाओं संस्कृत, कन्नड़, तेलुगु, हिंदी, बंगाली और अंग्रेजी का ज्ञान था. उन्होंने कन्नड़, संस्कृत और अंग्रेजी में कई किताबें लिखी, जिनमें ‘ए कंसाइज इंसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म' शामिल है. वह अच्छे गायक और वक्ता भी थे.
मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने संत के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें उत्कृष्ट वक्ता और विद्वान बताते हुए कहा कि उन्होंने रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के दर्शनों को बरकरार रखा.