सूरत: भगवान राम के जीवन काल को राम भक्तों द्वारा स्वर्ण काल माना जाता है. देवता होते हुए भी उन्होंने एक साधारण मनुष्य की तरह अपना जीवन व्यतीत किया और मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए. आपने रामायण में भगवान राम के जीवन के बारे में बहुत कुछ पढ़ा या सुना होगा. लेकिन गुजरात के सूरत में 19 किलो सोने की एक दुर्लभ रामायण है, जो साल में सिर्फ एक बार रामनवमी के दिन जनता के लिए प्रदर्शित की जाती है.
भगवान श्री राम के जन्म को उनके भक्तों द्वारा बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. भक्त रामनवमी के पर्व को उत्साह के साथ मनाकर भगवान राम के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं. रामनवमी के दिन पूजा करने के साथ-साथ सूरत के लोगों के लिए एक और बात खास है, क्योंकि इस दिन राम भक्तों को स्वर्ण रामायण देखने को मिलती है. यह स्वर्ण रामायण भक्तों के दर्शनार्थ के लिए वर्ष में सिर्फ एक दिन ही रखी जाती है.
इस स्वर्ण रामायण को भक्त रामनवमी के दिन ही देख पाते हैं. अगर आप इस स्वर्ण रामायण को दूसरी बार देखना चाहते हैं तो आपको एक साल का इंतजार करना होगा. 530 पन्नों की सोने की रामायण 222 तोला सोने की स्याही से लिखी गई है, जिसका वजन 19 किलो है. इस रामायण को 10 किलो चांदी, चार हजार हीरे, माणिक, पन्ना और नीलम से सजाया गया है, जिसकी कीमत करोड़ों में है.
स्वर्ण रामायण के मुख्य पृष्ठ पर एक तोला सोने से शिवजी की और आधा तोला सोने से हनुमानजी की आकृति बनी हुई है. साल 1981 में इस स्वर्ण रामायण को राम भाई भक्त ने विशेष पुष्य नक्षत्र में लिखा था. यह रामायण कुल 9 महीने और 9 घंटे में लिखी गई, जिसे लिखने का काम 12 लोगों ने मिल कर किया. राम के जीवन को 530 पृष्ठों में दर्शाया गया है. इस रामायण में श्रीराम के नाम को 5 करोड़ बार लिखा गया है.
इस रामायण को लिखने वाले रामभाई भक्त के रिश्तेदार गुणवंत भाई ने बताया कि रामायण लिखने के लिए पेज जर्मनी से मंगवाये गए थे. यहां तक कि इसे पानी से धोने पर भी इस पर कोई असर नहीं होता है. जर्मनी का यह कागज इतना सफेद होता है कि इसे हाथ से छूने पर भी इस पर कोई दाग नहीं लगता. साल में एक बार इस रामायण को भक्तों के दर्शन के लिए लगाया जाता है. भक्त भी इस स्वर्ण रामायण के दर्शन कर धन्य हो जाते हैं. दर्शन के बाद इसे बैंक में रख दिया जाता है.