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जनकपुरी में उत्साहः सीताजी के मायके नेपाल से अयोध्या के लिए भेजे गए 1100 उपहार

अयोध्या में रामलला मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए नेपाल में सीताजी की ससुराल से 1100 उपहार भेजे गए हैं. ये उपहार शनिवार शाम तक अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 6, 2024, 12:49 PM IST

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महाराजगंजः अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर माता सीता के मायका नेपाल यानी जनकपुर में भी खास उत्साह है. मिथिलांचल की बेटी के घर से ससुराल भार भेजने की सदियों पुरानी परम्परा है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए अयोध्या को 1100 उपहार भेजे जा रहे हैं. जानकी मंदिर के छोटे महंत राम रोशन दास यह भार लेकर शुक्रवार को अयोध्या के लिए रवाना हुए. शनिवार को वह अयोध्या पहुंच जानकी मंदिर के उपहार रामजन्म भूमि ट्रस्ट को सौंपेंगे.

अयोध्या और जनकपुरी नेपाल का सदियों से खास नाता रहा है. इसकी वजह है सीता राम है. जनकपुरी माता सीता का मायका है. अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर चल रहीं हैं. इसी के मद्देनजर जनकपुरी में भी खास उत्साह है. माता सीता का मायका जनकपुर नेपाल के ही धनुषा जिले है. यहां के जानकी मंदिर से राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए साड़ी, धोती, आभूषण, बिस्तर, मेज, कुर्सी, स्टोव, विभिन्न प्रकार की मिठाइयां तैयार की गईं और पांच जनवरी को रवाना की गई. मंदिर के महंत राम रोशन दास ने बताया कि 1100 उपहार लेकर उनकी टीम शनिवार को अयोध्या पहुंच जाएगी. यहां ये उपहार राम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपे जाएंगे.

नेपाल से शालीग्राम शिला व जल पहले ही पहुंच चुका अयोध्या
राम मंदिर में नेपाल के काली गंडकी का पवित्र जल भी अयोध्या भेजा जा चुका है. काली गंडकी वह नदी है जिसमें शालीग्राम जी मिलते हैं. इस कारण गंडकी के जल को नारायण का जल भी कहा जाता है. शालीग्राम के दो बड़े पत्थरो को पहले ही नेपाल से अयोध्या भेजा जा चुका है.

नेपाल के प्रतिष्ठित मंदिरों में पहुंचा निमंत्रण
अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नेपाल के राम जानकी मंदिर, पशुपति नाथ मंदिर, मनोकामना मंदिर के महंत समेत कई साधु-संतों को निमंत्रण भेजा गया है. नेपाल-भारत अवध मैत्री समाज के अध्यस अजय कुमार गुप्ता ने बताया कि राम जानकी के कारण भारत नेपाल के लोगों का आपस में सदियों से बेहतर संबंध रहा है. ज्यादातर लोग प्राण प्रतिष्ठा के गवाह बनाना चाहते हैं लेकिन उस दिन अयोध्या का माहौल बेहद व्यस्त रहेगा. ऐसे में अधिकतर लोग आराध्य के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को टीवी पर ही देखेंगे.

महाराजगंजः अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर माता सीता के मायका नेपाल यानी जनकपुर में भी खास उत्साह है. मिथिलांचल की बेटी के घर से ससुराल भार भेजने की सदियों पुरानी परम्परा है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए अयोध्या को 1100 उपहार भेजे जा रहे हैं. जानकी मंदिर के छोटे महंत राम रोशन दास यह भार लेकर शुक्रवार को अयोध्या के लिए रवाना हुए. शनिवार को वह अयोध्या पहुंच जानकी मंदिर के उपहार रामजन्म भूमि ट्रस्ट को सौंपेंगे.

अयोध्या और जनकपुरी नेपाल का सदियों से खास नाता रहा है. इसकी वजह है सीता राम है. जनकपुरी माता सीता का मायका है. अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर चल रहीं हैं. इसी के मद्देनजर जनकपुरी में भी खास उत्साह है. माता सीता का मायका जनकपुर नेपाल के ही धनुषा जिले है. यहां के जानकी मंदिर से राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए साड़ी, धोती, आभूषण, बिस्तर, मेज, कुर्सी, स्टोव, विभिन्न प्रकार की मिठाइयां तैयार की गईं और पांच जनवरी को रवाना की गई. मंदिर के महंत राम रोशन दास ने बताया कि 1100 उपहार लेकर उनकी टीम शनिवार को अयोध्या पहुंच जाएगी. यहां ये उपहार राम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपे जाएंगे.

नेपाल से शालीग्राम शिला व जल पहले ही पहुंच चुका अयोध्या
राम मंदिर में नेपाल के काली गंडकी का पवित्र जल भी अयोध्या भेजा जा चुका है. काली गंडकी वह नदी है जिसमें शालीग्राम जी मिलते हैं. इस कारण गंडकी के जल को नारायण का जल भी कहा जाता है. शालीग्राम के दो बड़े पत्थरो को पहले ही नेपाल से अयोध्या भेजा जा चुका है.

नेपाल के प्रतिष्ठित मंदिरों में पहुंचा निमंत्रण
अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नेपाल के राम जानकी मंदिर, पशुपति नाथ मंदिर, मनोकामना मंदिर के महंत समेत कई साधु-संतों को निमंत्रण भेजा गया है. नेपाल-भारत अवध मैत्री समाज के अध्यस अजय कुमार गुप्ता ने बताया कि राम जानकी के कारण भारत नेपाल के लोगों का आपस में सदियों से बेहतर संबंध रहा है. ज्यादातर लोग प्राण प्रतिष्ठा के गवाह बनाना चाहते हैं लेकिन उस दिन अयोध्या का माहौल बेहद व्यस्त रहेगा. ऐसे में अधिकतर लोग आराध्य के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को टीवी पर ही देखेंगे.

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