वाराणसी: अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले स्थापना समारोह से पहले 17 जनवरी से ही पूजन पाठ की शुरुआत हो जाएगी. 17 जनवरी को मुख्य आयोजन की शुरुआत के बाद अगले दिन अग्निकुंड में अग्नि प्रज्जवलित करने के साथ ही हवन कुंड भी अनुष्ठान के लिए तैयार हो जाएंगे हालांकि अग्निकुंड तैयार करने के लिए वाराणसी से विद्वानों की 11 सदस्य टीम पहले ही रवाना हो चुकी है. इन सबके बीच अन्य विद्वानों की टीम 15 तारीख से पहले वाराणसी से अयोध्या के लिए रवाना होगी लेकिन यह टीम अपने साथ यज्ञ हवन के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्री और हवन कुंड में लगाए जाने वाले शंख, चक्र, गदा, पद्म के अलावा हवन कुंड में इस्तेमाल होने वाले लकड़ी के और भी सामान लेकर जाएगी जो काशी की ही खोवा गली और रामपुर इलाके में तैयार हो रहे हैं.
चार पीढ़ियों से तैयार हो रही सामग्रीः वाराणसी के सूरज विश्वकर्मा लगभग चार पीढ़ियों से हवन कुंड की लकड़ी की सामग्री बनाने का काम कर रहे हैं. हवन कुंड से जुड़े अलग-अलग तरह की सामग्री यह तैयार करके हमेशा से ही काशी और अन्य जगहों के विद्वानों को देते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि यह प्रोडक्ट कुछ ही गिने-चुने लोग वर्तमान में तैयार करते हैं. जिसमें सूरज विश्वकर्मा भी शामिल हैं. सूरज विश्वकर्मा बताते हैं कि हवन कुंड के लिए तैयार होने वाले लकड़ी के सारे सामान विशेष तरह से शुद्धता के साथ तैयार किए जाते हैं.
पांच जनवरी तक आर्डर पूरे करने हैंः लगभग डेढ़ महीने पहले उनको यह सारे आर्डर दिए गए थे. उस वक्त मुहूर्त भी नहीं निकला था. मुहूर्त फाइनल होने के बाद उनका हर हाल में यह सारे प्रोडक्ट 5 जनवरी तक देने के लिए कहा गया है. इसमें से कुछ चीज उन्होंने तैयार करके भेज दी है, जबकि कुछ चीज अभी वह तैयार कर रहे हैं जो तीन या चार तारीख तक तैयार करने के बाद भेज दी जाएगी.
ये सामग्री तैयार हो गईः सूरज बताते हैं कि उनके द्वारा जो सामग्री तैयार की है उनमें वशोधारा, जिसका इस्तेमाल यज्ञ की पूर्णाहुति में होता है. अरणी मंथन, इसका इस्तेमाल अग्नि उत्पन्न करने में यज्ञ कुंड में किया जाता है. शंख, चक्र, गदा और पद्म, विशेष मंडप के चारों दिशा में लगेगा और यज्ञपात्र के समान में सुरूवा जिसका इस्तेमाल आहुति देने में होता है. सुरुचि का इस्तेमाल पूर्णाहुति यानी पूजन संम्पन्न करने में, प्रणीता जिसका इस्तेमाल जलपात्र के रूप में और प्रोक्षणि का इस्तेमाल घी पात्र के रूप में होगा जबकि उनके द्वारा तैयार खड्ग का इस्तेमाल वेदी कुंड के बाहर लेख खींचने में होगा.
नौ तरह की लकड़ियां इस्तेमाल कीः सूरज ने बताया कि उन्हें कुल मिलाकर लगभग 22000 रुपये का आर्डर मिला है. जिसमें 10 सेट यज्ञ पात्र, 1 सेट अरणी मंथा, शंख, चक्र गदा पद्म एक सेट शामिल है. सूरज ने बताया कि वैसे तो यह सारे प्रोडक्ट नौ तरह की लकड़ियों से तैयार होते हैं लेकिन इसके लिए वैकन्थक की लकड़ी का यूज हुआ है जबकि अरणी मंथा में समी और पीपल की लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है. सूरज ने बताया यह सारी चीज इसलिए महत्वपूर्ण है कि वैदिक रीति से नाप के बाद जितने इंच की जो चीज कही गई है उसको उतने ही साइज का बनाना था. इस वजह से इसे काशी में ही तैयार करवाया गया है.